भगवान शिव से प्रतीकात्मक विवाह कर साध्वी बनने निकली नाबालिग छात्रा, बोली-काशी जा रही हूं - सोशल मीडिया में धार्मिक प्रवचनों से प्रभावित
19 अक्टूबर की सुबह उसने घर पर एक भावनात्मक पत्र छोड़ा- “मैं अब साध्वी बनकर प्रभु को अपना जीवन समर्पित करना चाहती हूं, कृपया मुझे खोजने की कोशिश न करें।” घर से निकलने से पहले उसने अपने शहर के शिव मंदिर में भगवान शिव से प्रतीकात्मक विवाह किया, माला और मंगलसूत्र चढ़ाकर भोलेनाथ को अपना जीवनसाथी माना।
Publish Date: Wed, 22 Oct 2025 05:54:50 PM (IST)
Updated Date: Wed, 22 Oct 2025 06:40:33 PM (IST)
नाबालिग लड़की की सांकेतिक तस्वीर।HighLights
- भगवान शिव से विवाह कर साध्वी बनने निकली नाबालिग, बोली-काशी जा रही हूं।
- सोशल मीडिया पर धार्मिक प्रवचनों से प्रभावित हुई थी तेलंगाना की नर्सिंग छात्रा
- बाल कल्याण समिति खंडवा ने काउसलिंग कर लौटाया जीवन का संतुलन।
नईदुनिया प्रतिनिधि, खंडवा। तेलंगाना की एक नाबालिग नर्सिंग छात्रा, जो अध्यात्म और शांति की खोज में गहराई से जुड़ी थी, सोशल मीडिया पर साध्वियों और धार्मिक प्रवचनों से इतनी प्रभावित हुई कि उसने संसारिक जीवन त्यागने का निर्णय ले लिया।
19 अक्टूबर की सुबह उसने घर पर एक भावनात्मक पत्र छोड़ा- “मैं अब साध्वी बनकर प्रभु को अपना जीवन समर्पित करना चाहती हूं, कृपया मुझे खोजने की कोशिश न करें।” घर से निकलने से पहले उसने अपने शहर के शिव मंदिर में भगवान शिव से प्रतीकात्मक विवाह किया, माला और मंगलसूत्र चढ़ाकर भोलेनाथ को अपना जीवनसाथी माना।
इसके बाद वह साध्वी जैसी वेशभूषा में काशी जाने के उद्देश्य से हैदराबाद जयपुर एक्सप्रेस में सवार हो गई। पुलिस की सजगता से टली बड़ी भूल ट्रेन में यात्रियों और आरपीएफ कर्मियों ने जब उसे साध्वी रूप में अकेले यात्रा करते देखा, तो उन्होंने पूछताछ की।वह मासूमियत से बोली- “काशी जा रही हूं, साध्वी बनने।”
पुलिस ने स्नेहपूर्वक समझाया कि वह गलत ट्रेन में बैठ गई है। तत्परता दिखाते हुए आरपीएफ ने उसे बाल कल्याण समिति खंडवा के समक्ष प्रस्तुत किया।
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संवेदनशीलता और मानवीय दृष्टिकोण से संभाला
न्यायिक मजिस्ट्रेट समकक्ष खंडपीठ, बाल कल्याण समिति खंडवा के अध्यक्ष प्रवीण शर्मा के नेतृत्व में समिति ने इस पूरे मामले को अत्यंत संवेदनशीलता और मानवीय दृष्टिकोण से संभाला। समिति सदस्य मोहन मालवीय, रुचि पाटिल, कविता पटेल और स्वप्निल जैन की उपस्थिति में बालिका की गहन काउंसलिंग की गई। काउंसलिंग के दौरान बालिका ने बताया कि वह नर्सिंग की छात्रा है और लंबे समय से धार्मिक वीडियो, साध्वियों के प्रवचन तथा भगवान शिव की भक्ति से प्रभावित थी। अध्यात्म और शांति की खोज में उसने भगवान शिव से विवाह कर साध्वी जीवन अपनाने का निर्णय लिया था।
सकारात्मकता फैलाने से ईश्वर की प्राप्ति होती है
- अध्यक्ष प्रवीण शर्मा ने अत्यंत करुणा और संवेदनशीलता के साथ बालिका को समझाया कि सच्ची आध्यात्मिकता का अर्थ पलायन नहीं, बल्कि शिक्षा, सेवा और समाज में सकारात्मकता फैलाने से ईश्वर की प्राप्ति है।
- उन्होंने कहा-“आध्यात्म केवल साध्वी बनकर ही नहीं जिया जा सकता। यदि मन में भक्ति है, तो वह समाज में प्रेम, नैतिकता और सद्भाव फैलाने का माध्यम बन सकती है।
- तुम अपनी पढ़ाई पूरी करो और चाहो तो आगे चलकर कथावाचक बनकर, अपने ज्ञान और श्रद्धा से लोगों को प्रेरित कर सकती हो।
- यही तुम्हारा सच्चा साध्वी जीवन होगा। बालिका ने समिति के इस मार्गदर्शन को स्वीकार करते हुए शिक्षा जारी रखने का संकल्प लिया।
मां की तबीयत बिगड़ी, समिति ने जोड़ा परिवार
- बालिका के अचानक घर से निकलने की जानकारी मिलते ही उसकी मां की तबीयत बिगड़ गई और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा।
- परिवार में अफरा-तफरी मच गई थी, लेकिन प्रवीण शर्मा के नेतृत्व में समिति ने तत्परता से परिजनों से संपर्क कर उन्हें स्थिति से अवगत कराया।
- बालिका को सुरक्षित पाकर परिवार ने राहत की सांस ली। समिति ने परिजनों को खंडवा बुलवाकर बालिका को उनके सुपुर्द किया।
- उन्हें यह सलाह दी कि वे उसकी आध्यात्मिक जिज्ञासाओं का सम्मान करते हुए उचित मार्गदर्शन प्रदान करें।