खंडवा (नईदुनिया प्रतिनिधि)। शांति व्यवस्था कायम करने में पुलिस की रीढ़ की हड्डी की तरह काम करने वाली ग्राम एवं नगर सुरक्षा समितियां ग्रामीण थाना क्षेत्रों में निष्क्रिय नजर आ रही है। ग्रामीण क्षेत्रों में सदस्यों की संख्या भी बेहद कम है। दो साल के कोरोना काल में गतिविधियां ठप रहने से समिति सदस्यों की संख्या कम हुई है। हालांकि शहर में सुरक्षा समितियाां सक्रिय और सजग हैं। इनकी संख्या भी अधिक है। समिति की निष्क्रियता से कम्युनिटी पुलिसिंग की पहल प्रभावी साबित नहीं हो रही है। जिले में सामाजिक विवाद के निराकरण और शांति व्यवस्था कायम रखने के मकसद से पूरे जिले में मात्र 130 सुरक्षा समिति सदस्य दर्ज है, जबकि इनमें से 50 से अधिक सदस्य केवल शहर में हैं। ऐसे में ग्रामीण क्षेत्रों में इस सामाजिक पुलिसिंग निष्प्रभावी साबित हो रही है।
कानून व्यवस्था बनाने में ग्राम एवं नगर सुरक्षा समितियों का विशेष योगदान होता है। शहर में धार्मिक त्योहारों पर निकलने वाले जुलूस हों या फिर विवाद या बलवा होने पर सुरक्षा समिति के सदस्यों की मदद सामाजिक आधार पर पुलिस शांति व्यवस्था कायम करने में लेती है, लेकिन पिछले दो सालों से सुरक्षा समितियां भी कोरोनो काल से प्रभावित होने से नहीं बच पाई। कोरोना की वजह से समितियों का सम्मेलन व अन्य गतिविधियां नहीं हो पाने से सुरक्षा समिति निष्क्रिय रही। इससे सदस्यों की संख्या घट गई है। अब इस फिर से बढाने के लिए पुलिस अधिकारी जुट गए है। शहर स्तर पर ही पुलिस अधिकारी सक्रियता दिखा रहे हैं। शहर में समिति सदस्यों की संख्या 50 से अधिक है, वहीं ग्रामीण क्षेत्रों के थाने किल्लौदए पंधाना, हरसूद, खालवा, पिपलौद, मांधाता, जावर, मूंदी, नर्मदानगर, धनगांव और छैगांवमाखन में सक्रिय सदस्यों की संख्या बहुत कम है। शहर के सदस्यों की संख्या को कम कर दिया जाए तो ग्रामीण थाना क्षेत्र के इन 11 थानों में केवल 75 सदस्य ही हैं।
युवाओं में अधिक उत्साह
सुरक्षा समिति के सदस्य बनने में युवाओं में अधिक उत्साह है, लेकिन यह उत्साह केवल शहरी क्षेत्र में देखने को मिल रहा है। शहर में कालेज छात्रए खेल से जुड़े युवा और कामकाजी युवक जुड़ रहे हैं। नगर पुलिस अधीक्षक ललित गठरे और रक्षित निरीक्षक पुरुषोत्तम विश्नोई सकारात्मक भाव रखने वाले युवकों को सुरक्षा समिति में जोड़ने में लगे हुए है। शहर में सुरक्षा समितियों के सदस्यों की संख्या बढाने में अधिक जोर दिया जा रहा है।
ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता की कमी
ग्रामीण थाना क्षेत्रों में सुरक्षा समितियों को मजबूत करने के प्रयास होते कहीं नजर नहीं आ रहे हैं। इसके चलते यहां समिति सदस्यों की संख्या बढने के बजाय घट सी गई है। ग्रामीण युवाओं को जागरूक करने का प्रयास तक नहीं किया जा रहा है। कोरोनाकाल के दो साल में भी ग्रामीण क्षेत्रों में सदस्य घटे है। इनको फिर से सक्रिय करने के लिए थाना प्रभारियों द्वारा जोर नहीं दिया जा रहा है।
1999 में बना था अधिनियम
ग्राम एंव नगर सुरक्षा समिति के लिए 1999 में अधिनियम बना था। कानून-व्यवस्था के दौरान समिति की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। सुरक्षा समिति के सदस्य लोक सेवक की तरह ही कार्य करते हैं। सुरक्षा समिति सदस्य पुलिस के वालंटियर है। 1956.57 में भिंड मुरैना से इसकी शुरुआत हुई थी, लेकिन 1999 में एक्ट बना। किसी भी तरह की मेला ड्यूटी हो या कहीं आपदा आने पर सुरक्षा समिति के कर्तव्य और अधिकार पुलिस की तरह ही होते हैं।
ग्राम एवं नगर सुरक्षा समिति को फिर से सक्रिय किया जा रहा है। देश सेवा का जज्बा रखने वाले ऊर्जावान और सकारत्मक विचार रखने वाले युवाओं को जोड़ा जा रहा है। - विवेक सिंह, पुलिस अधीक्षक