बगमार, असीरगढ़, चांदनी रेलवे स्टेशन पर भुसावल-कटनी एक्सप्रेस का ठहराव देने की मांग
ट्रेन में साधारण श्रेणी के डिब्बों की संख्या रेलवे ने जो कटौती की है उस पर नाराजगी व्यक्त कर संख्या बढ़ाने की मांग भी की
By gajendra.nagar
Edited By: gajendra.nagar
Publish Date: Sun, 10 Apr 2022 12:35:09 AM (IST)
Updated Date: Sun, 10 Apr 2022 12:35:09 AM (IST)

खंडवा। सांसद ज्ञानेश्वर पाटिल ने सेंट्रल रेलवे के महाप्रबंधक अनिल लाहोटी को पत्र लिखकर बगमार, असीरगढ़ ,चांदनी रेलवे स्टेशन पर भुसावल-कटनी एक्सप्रेस का ठहराव देने की मांग की है। सांसद प्रवक्ता सुनील जैन ने बताया सांसद ने पत्र के माध्यम से बताया 1 अप्रैल से शुरू की गई भुसावल-कटनी पैसेंजर जिसे एक्सप्रेस पर परिवर्तन कर चलाया जा रहा है। इस गाड़ी के प्रारंभ होने पर बगमार, असीरगढ़, चांदनी रेलवे स्टेशनों पर ठहराव बंद कर दिया गया है। जबकि पूर्व में पैसेंजर श्रेणी में चलने के दौरान इन स्टेशनों पर ठहराव दिया जाता था। बगमार, असीरगढ़, चांदनी ग्रामीण क्षेत्रवासियों को दिन के समय मिलने वाली इस यात्री गाड़ी की सुविधा से वंचित होना पड़ रहा है। महाप्रबंधक को उपरोक्त तीनों स्टेशन पर ट्रेन संख्या 11127/28 भुसावल कटनी एक्सप्रेस का स्टॉपेज पुन: बहाल करने की मांग पत्र में की है। इसके साथ ही ट्रेन में साधारण श्रेणी के डिब्बों की संख्या रेलवे ने जो कटौती की है उस पर नाराजगी व्यक्त कर संख्या बढ़ाने की मांग भी की है।
समाजजन सिंधीयत दिवस पर बच्चों के साथ मातृ भाषा में बात करने का लें संकल्प
खंडवा। यह दुर्भाग्य की बात है कि 14 अगस्त 1947 को देश विभाजन और 15 अगस्त 1947 को आजादी के बाद सिंधी हिंदुओं ने खुली हवा में सांस तो ली लेकिन उन्हें इस आजादी की बड़ी कीमत अदा करनी पड़ी। आज की परिस्थिति में एक ही उपाय है कि सिंधी भाषा को रोजगार से जोड़ा जाए। साथ ही घर परिवार में अपने बच्चों से अभिभावकगण मातृ भाषा में बात करें। ताकि आने वाली पीढ़ी सिंधी संस्कृति व मान्यताओं से जुड़ी रहे। यह बात राष्ट्रीय सिंधी समाज शाखा खंडवा प्रदेश प्रवक्ता निर्मल मंगवानी ने 10 अप्रैल सिंधीयत दिवस की पूर्व संध्या पर कहीं। उन्होंने कहा-10 अप्रैल 1967 को सिंधी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में मान्यता मिली थी। सन् 70 और 80 के दशक तक जो सिंधी भाषी सिंधी व अरबी लिखना, पढ़ना जानते थे। उनकी संख्या तेजी से घटती गई। अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों ने रही सही कसर पूरी कर दी। घर परिवार में सिंधी के स्थान पर हिंदी और अंग्रेजी बोली जा रही है। राष्ट्रीय सिंधी भाषा विकास परिषद हो अथवा राज्यों की सिंधी साहित्य अकादमियां वे भी सिंधी कवि सम्मेलन, साहित्य गोष्ठियों व सेमिनार तक सीमित रह गई हैं। प्रदेश प्रवक्ता मंगवानी ने सिंधीयत दिवस पर समाजजन व अभिभावक से संकल्प लेकर अपने बच्चों और परिवार से मातृ भाषा में बात करने की अपील की है।