खंडवा (नईदुनिया प्रतिनिधि)। भागवत कथा में आचार्य इंद्रेश उपाध्याय ने कहा कि भगवान कृष्ण पांडव के रक्षक क्यों बने, यह आप सभी को जानना चाहिए। महाभारत में भगवान कृष्ण द्वारिका छोड़कर हस्तिानापुर में रहे। युधिष्ठिर, भीम, अुर्जन, नकुल, सहदेव ये पांच पांडव हैं, जो मानव के पांच गुण को दर्शाते है। ये मनुष्य के पांच गुण युधिष्ठिर-धर्म, भीम- बल, अर्जुन -मन, नकुल -बुद्ध और सहदेव है स्वरूप। पांच पांडव का विवाह द्रोपदी से हुआ। द्रोपदी का गुण है दया। द्रोपदी के पांचों पुत्रों को युद्ध में अश्वत्थामा ने सोते हुए मार दिया लेकिन द्रोपदी ने अश्वत्थामा को माफ कर दिया। जीवन में दया का होना बुहत जरूरी है। यही दया आपको धर्म, बल, मन, बुद्धि, स्वरूप इसे जीवन में संघर्ष को जीतने में सहायक करती है। पांचों गुणों के साथ दया होना अति आवश्यक है।
मंगलवार को श्रीमद् भागवत कथा से पूर्व गोविंद नगर में औषधि पौधारोपण के लिए पहुंचे पंडित इंद्रेश उपाध्याय का कालोनीवासियों द्वारा माला पहनाकर स्वागत किया गया। आयोजक सतनामसिंह ज्योति होरा, मुख्य यजमान हेमंत रीतु सोनी, सह यजमान सुरेश विमला शर्मा ने आरती कर स्वागत किया। व्यासपीठ से आचार्य उपाध्याय ने कहा कि बाणों की सैया पर लेटे भीष्म पितामह भगवान कृष्ण का इंतजार कर रहे हैं। भीष्म पितामह के सामने जैसे ही द्वारिकाधीश आए उनके आंखों से आंसू बहने लगे। कहने लगे द्वारिकाधीश आपके दर्शन मात्र से मेरा जीवन सफल हो गया। पांडवों की आंखों में आंसू देखकर भीष्म पितामह समझ गए कि इन्हें कृष्ण पर विश्वास नहीं है। पितामह ने पांडवों को कहा कि जो सामने है वह स्वयं भगवान हैं। भीष्म पितामह ने स्तुति में कहा कि मेरे जीवन का अंत होने वाला है। आपने प्रत्येक मानव को एक बेटी दी है जो कि मति है। मेरी मति रूपी बेटी से आप विवाह कर लीजिए। मैं चैन से प्राण त्याग सकता हूँ।
कथा में आज के मेहमान
कथा में मेहमान राजेंद्र नगर और हेमराज नगर के राधेश्याम जायसवाल, दीपक केशनिया, ओमप्रकाश गंगराडे़, सीताराम मालाकार, भगवानसिंह तंवर, शंकरलाल गंगराडे़, संगीता गंगराडे़,नैनाबाई गंगराडे़, विजय चौरे, रामकृष्ण पटेल, विष्णु प्रसाद शर्मा, मोहनलाल गंगराडे़, नेमीचंद यादव, राजेंद्र पाल, राजेंद्र वाघे, जगदीश पालीवाल, कीर्ति नीलकंठ, महेंद्र मंडलोई, सतीश गंगराडे़, बीआर गांगले, सुधीर डाले, प्रकाश मसके, केदार शर्मा ने महाराज का स्वागत किया।
खंडवा के पौधारोपण से प्रेरित होकर लिया संकल्प
व्यासपीठ से इंद्रेश उपाध्याय ने कहा कि खंडवा की भागवत कथा में बहुत आंनद आ रहा है। यहां से दक्षिणा लेकर जा रहे हैं। भागवत कथा करने के छठवें वर्ष में प्रवेश कर रहे हैं। देश के विभिन्ना शहरों में कथा के लिए जाना होता है, हजारों लोग आते हैं। एक किसी के जीवन में परिवर्तन भागवत कथा से आता है, लेकिन आज मुझे खंडवा की भागवत कथा से प्रेरित होकर यह संकल्प लिया है कि जहां भी कथा होगी, इसके पहले पौधारोपण किया जाएगा।