नईदुनिया प्रतिनिधि, खंडवा। इंदौर-इच्छापुर नेशनल हाईवे पर मोरटक्का में नर्मदा नदी स्थित पुल उम्रदराज होने के साथ ही खस्ताहाल हो चुका है। नर्मदा की बाढ़ का कई बार सामना कर चुके इस पुल को एनएचएआइ और एमपीआरडीसी कमजोर घोषित कर चुका है। इस व्यस्ततम मार्ग से प्रतिदिन 25 हजार से अधिक बडे वाहनों के गुजरने से एनएचएआई ने 25 टन से अधिक भारी मालवाहक वाहनों की आवाजाही पर रोक लगा दी है।
इसके बावजूद सड़क निर्माण कंपनी सहित अति आवश्यक सेवा के नाम पर 80 टन से अधिक वजनी वाहन धड़ल्ले से पुल से गुजर रहे हैं। ऐसे में यह पुल कभी भी धराशायी हो सकता है। वैसे सावन माह में निकलने वाली कांवड़ यात्रा और श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए प्रशासन ने दिन में बड़े मालवाहक वाहनों की आवाजाही प्रतिबंधित कर दी है।
मोरटक्का पुल की जीएसआईटीएस इंदौर की टीम द्वारा जांच और तकनीकी विशेषज्ञों की चेतावनी के बाद भी निर्माणाधीन नए पुल का कार्य धीमी रफ्तार से चल रहा है, जो निर्धारित समय अवधि से करीब डे़ढ साल पिछड़ चुका है।
जानकारों के अनुसार, मोरटक्का का वर्तमान पुल गुजरात की महिसागर नदी पर बने पुल की तरह भरभरा कर दम तोड़ गया तो इंदौर से खंडवा और बुरहानपुर जिलों के अलावा महाराष्ट्र का सीधा संपर्क कटने के आमजन के साथ ही व्यापार-व्यवसाय पर प्रभावित होगा।
इतना ही नहीं इस पुल पर आए दिन जाम लगने से ओंकारेश्वर तीर्थ स्थल आने वाले श्रद्धालुओं को परेशानी का सामना करना पड़ता है। इसके बाद भी वर्तमान पुल और निर्माणाधीन पुल की प्रशासन सुध लेने को तैयार नहीं है।
ग्राम मोरटक्का में नर्मदा नदी पर बना पुल अपनी उम्र पार कर चुका है। टू लेन पुल 1947 में लखनऊ के दरियावसिंह एंड कंपनी ने 25 लाख रुपये की लागत से बनाया था। इस पुल पर 24 घंटे ट्रैफिक चलता है। पिछले 10 सालों में तीन बार यह पुल वर्षाकाल में जलमग्न हो चुका है।
विदित हो कि 2023 में बाढ़ से पुल को काफी नुकसान हुआ था। उस समय भी पुल का डामर उखड़ गया था। रेलिंग भी नर्मदा नदी में बह गई थी। पिलरों के बीच में दरारें आ गई थीं, तब दरार के अंदर से पत्थरों को निकालकर उसके कुछ सैंपल लेकर जांच की गई थी।
मोरटक्का-खेड़ीघाट नर्मदा नदी पर 70 वर्ष पूर्व बने नर्मदा नदी के पुल की पिछले साल जांच एनएचएआइ और एसजीएसआइटीएस इंदौर के विशेषज्ञों ने की थी। एसजीएसआईटीएस के सिविल इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट के तीन सदस्यीय दल में शामिल डॉ. विजय रोडे, डॉ. एमके लगाते, प्रोफेसर विवेक तिवारी ने तीन घंटे से भी अधिक समय तक का पुल का निरीक्षण किया था। इस दौरान उनके साथ एनएचएआई के वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे।
इंजीनियर एवं प्रोफेसरों ने हाइड्राक्रेन के माध्यम से पुल के पिलरों के बीच की गैप की भी जांच की थी। पुल के ऊपर से लोड भर के वाहनों को भी निकालकर देखा था। जांच के बाद विवेक तिवारी ने कहा था कि लगातार पुल पर से बाढ़ का पानी निकालने के कारण जोड़ काफी कमजोर हो चुका है। ऐसे में ज्यादा भार डालना उचित नहीं होगा।
पुल 2018 और 2023 में भी नर्मदा नदी में भयानक बाढ़ आई थी। पुल के ऊपर से करीब 10 फीट पानी निकला था। इसके बाद पुल का पूरी तरह से डामर उखड़ गया था, तब एनएचएआइ और एमपीआरडीसी ने संयुक्त रूप से दिल्ली से पुल के विशेषज्ञ मनोज राय को जांच के लिए बुलाया था उन्होंने भी पुल में भी निरीक्षण किया। पुल से पूरा डामर उखड़ चुका था
वर्ष 2023 में संपूर्ण जांच करने के बाद इंजीनियरों की टीमों ने मध्य प्रदेश सरकार को रिपोर्ट दी थी, जिसमें सबसे पहले 14 टन के वाहनों को निकालने की मंजूरी मिली थी। इसके बाद राजनेताओं के बढ़ते हुए दबाव को देखते हुए फिर जांच कर 22 टन के वाहनों को निकालने की अनुमति दी गई थी लेकिन लगातार कुछ वर्षों से राखड़ के 80 टन से अधिक के सैकड़ों डंपर निकल रहे हैं।
नर्मदा नदी पर सिक्स लेन पुल बन रहा है। इसे पूरा होने में अभी एक साल से अधिक समय लगने की संभावना है। इसे देखते हुए प्रशासन को मौजूदा पुल के बेहतर रखरखाव के साथ ही निर्माण कंपनी के 80 टन से अधिक वजनी डंपरों की आवाजाही भी पूरी तरह प्रतिबंधित करना चाहिए, वहीं नए पुल के निर्माण की गति भी बढ़ाना चाहिए।