मालवा में कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा था कि नदी जोड़ो परियोजना के तहत नर्मदा नदी और शिप्रा नदी को नहीं जोड़ा जा सकता है। नर्मदा नदी और शिप्रा नदी ही नहीं बल्कि गंभीर, सिंध, सिंधू सबके कारण मालवा और निमाण का वर्तमान परिदृश्य पूरी तरह बदल गया है। 2003 तक केवल 7 लाख हेक्टेयर तक भूमि सिंचित थी। मुझे यह बताने में प्रसन्नता है कि आज 55 लाख हेक्टेयर तक सिंचाई की सुविधा पहुंच गई है। आज ही हमने चार परियोजनाएं लोकार्पित की हैं। अगले पांच साल के अंदर ये 100 लाख हेक्टेयर भूमि सिंचित हो जाएगी। अब नर्मदा ही नहीं केन-बेतवा नदी के माध्यम से हमारे पूरे बुंदेलखंड की प्यास बुझाई जाएगी। ये सभी योजनाएं बीस साल पहले ही हो जाती लेकिन कांग्रेस के लोगों ने काम नहीं किया। उन्होंने राज्य के लोगों की गरीबी को नहीं देखा। बुंदेलखंड की परेशानी नहीं देखी। केवल सत्ता चलाते रहे। बड़े दुर्भाग्य की बात है कि कांग्रेसियों के कारण हमारी कई पीढ़ियां खराब हो गई है। इसका पाप किसी के सिर पर है तो कांग्रेस के लोगों के ऊपर है।
सीएम ने कहा कि पीएम मोदी भी राज्य के विकास में पूरा योगदान दे रहे हैं। 1 लाख करोड़ की लागत से केन-बेतवा नदी जोड़ो योजना योजना मोदी सरकार दे रही है जिसमें मात्र पांच फीसदी ही राज्य को अपनी ओर से देना है। ऐसी ही कई योजनाएं केंद्र सरकार ने मध्य प्रदेश को दी हैं।
सीएम ने कहा कि हमने प्रदेश की 57 नदियों में मिलने वाले 194 से ज्यादा नालों की पहचान करके जल शोधन की योजना बनाई है, ताकि हमारी नदियां स्वच्छ एवं निर्मल बनी रहें। आने वाले समय में ओंकारेश्वर में उज्जैन की भांति महालोक का निर्माण और इंदौर-ओंकारेश्वर के बीच रेल की सौगात भी देंगे।
प्रदेश की नदियों के जल संरक्षण एवं संवर्धन के संकल्प के साथ आज खण्डवा जिले में "जल गंगा संवर्धन अभियान" के समापन अवसर पर आयोजित वाटरशेड सम्मेलन में जलदूतों को पुरस्कृत किया और 1568 करोड़ रुपये से अधिक के जल संरक्षण कार्यों का शिलान्यास और लोकार्पण किया। इस अवसर पर पूज्य संत दादा गुरु जी का आशीर्वाद भी प्राप्त हुआ।
90 दिवसीय जल गंगा संवर्धन अभियान बना, जन आंदोलन
जल संचय में वृद्धि
- ₹2048 करोड़ लागत के 83 हजार से अधिक खेत तालाबों का निर्माण पूर्ण, जिससे खेत का पानी खेत में सिंचित होगा
- ₹254 करोड़ लागत से 1 लाख से अधिक कूप रीचार्ज
- अमृत सरोवर 2.0 के तहत ₹ 354 करोड़ लागत से 1 हजार से अधिक नए अमृत सरोवरों का निर्माण
- शहरी क्षेत्रों में 3300 से अधिक जल स्त्रोतों का पुनर्जीवन, 2200 नालों की सफाई एवं 4000 वर्षा जल संचयन संरचनाओं का निर्माण पूर्ण
जनभागीदारी
- 40 लाख लोगों की भागीदारी से 5 हजार से अधिक जल स्त्रोतों का हुआ जीर्णोद्धार
- My Bharat पोर्टल के माध्यम से 2.30 लाख से अधिक जलदूत बनाए गए
- ग्रामीण क्षेत्रों में पानी चौपाल का आयोजन
तकनीकी नवाचार
- GIS आधारित SIPRI सॉफ्टवेयर के उपयोग से जल स्रोतों का चयन एवं AI आधारित मॉनिटरिंग की गई
- नर्मदा परिक्रमा पथ एवं अन्य तीर्थ मार्गों के डिजिटलीकरण के जरिए श्रद्धालुओं की सुविधाओं का रखा जा सकेगा ख्याल
पर्यावरणीय एवं कृषि प्रभाव
- 57 प्रमुख नदियों में मिलने वाले 194 से अधिक नालों का चिह्नांकन एवं उनके शोधन के लिए योजना तैयार
- जैव विविधता संरक्षण हेतु घड़ियाल और कछुओं का किया गया जलावतरण
- 145 नदियों के उद्म क्षेत्रों को चिन्हित कर हरित विकास हेतु योजना तैयार
- अविरल निर्मल नर्मदा योजना में 5600 हेक्टेयर में पौधरोपण प्रारंभ
- वन्य जीवों के लिए जल की उपलब्धता सुनिश्चित करने हेतु 2500 से अधिक तालाब, स्टॉप डैम का निर्माण
- पौधरोपण हेतु लगभग 6 करोड़ पौधों की नर्सरी विकसित
वॉटरशेड हेतु कार्य
- ₹1200 करोड़ लागत की 91 वॉटरशेड परियोजनाएं स्वीकृत, 5.5 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को मिलेगी सिंचाई सुविधा
- 9000 से अधिक जल संरक्षण संरचनाओं के जरिए किसानों को 1 वर्ष में दो से तीन फसलों का मिल रहा लाभ