खंडवा। इक ओंकार सतनाम करता पूरख... यह ओंकार वाणी सिख समाज के पहले धर्मगुरु गुरु नानक देव ने ओंकार पर्वत से कही थी। वे 1535 में तीर्थनगरी ओंकारेश्वर आए थे। इसका उल्लेख सिख समाज की धार्मिक कथाओं और प्रवचनों में है। ओंकारेश्वर के ज्योतिर्लिंग मंदिर के पास ही सिख समाज का गुरुद्वारा भी बना हुआ है। इसमें समाजजनों की विशेष आस्था है।
सोमवार को सिख समाज गुरु नानकदेव का 548वां प्रकाश पर्व मनाएगा। निमाड़ से समाज के धर्मगुरुओं का इतिहास जुड़ा हुआ है। गुरुसिंघ सभा गुरुद्वारे के ज्ञानी जसबीरसिंह राणा ने बताया 1535 में गुरु नानक देवी ओंकारेश्वर आए थे, यहां उन्होंने ओंकार वाणी कही। अलवर के ज्ञानी संतसिंह मस्कीन ने अपने प्रवचन और धार्मिक किताबों में भी गुरु नानक के ओंकारेश्वर आने का उल्लेख किया है। यहां पर ज्योतिर्लिंग मंदिर के पास ही गुरुद्वारा बना हुआ है। यहां बड़ी संख्या में सिख समाज के लोग मत्था टेकने पहुंचते हैं। हर वर्ष 1 से 3 अप्रैल तक यहां विशेष उत्सव का आयोजन किया जाता है। मान्यता है कि गुरु नानकदेव खंडवा के प्राचीन भवानी माता मंदिर भी आए थे। अब भी मंदिर के पास एक गुरुद्वारा बना हुआ है। इस गुरुद्वारे का निर्माण 1957 में हुआ था।
पटनासाहेब को भेजा चोला
खंडवा के गुरुद्वारे में पाकिस्तान के एक परिवार ने गुरु गोविंद सिंह का चोला भेंट किया था। करीब तीन दशक पहले यह चोला बिहार के पटना साहेब गुरुद्वारे को भेज दिया गया। यहां आज भी देश विदेश से आए श्रद्घालुओं को गुरु के चोले के दर्शन होते हैं। इसके साथ ही यहां लिखा हुआ है कि यह चोला खंडवा गुरुसिंघ सभा ने भेजा है।
गुरुद्वारे में रोज होता है लंगर
- खंडवा के टपालचाल स्थित बड़े गुरुद्वारे में रोजाना मुसाफिरों और जरूरतमंदों के लिए गुरु का लंगर होता है।
- अमृतसर से नांदेड़ जाने वाली सचखंड एक्सप्रेस में भी रोजाना समाजजन यात्रियों को लंगर का वितरण करते हैं।
- गुरु नानक जयंती पर होने वाले विशेष लंगर में शहर के 8 हजार से अधिक श्रद्घालु भोजन करते हैं।
- शहर में सिख समाज के करीब दो हजार लोग रहते हैं। प्रकाश पर्व पर नगर कीर्तन सहित धार्मिक आयोजन होते हैं।
क्या है इक ओंकार वाणी
ज्ञानी जसवीरसिंह राणा ने बताया कि इक ओंकार वाणी का अर्थ है कि प्रभु एक हैं। वह सभी के अंदर समाए हुए हैं, उनका नाम सत्य है। वह सृष्टि के कर्ता हैं। उनको न किसी का डर है, न किसी से बैर है। उनका स्वरूप काल से रहित है।