
नईदुनिया प्रतिनिधि, खंडवा। सांसद जी, यहां सरकार की योजनाओं का बखान न करें, हमने आपकी नहीं, हमारी बात सुनाने के लिए आने दिया है। किसान परेशान हैं, आप खुद सोचें यदि किसी माह आपके या अधिकारी-कर्मचारी के वेतन से दो-तीन हजार रुपये कट जाते हैं तो हंगामा शुरू हो जाता है। फसल बर्बाद होने से किसानों ने छह महीने से रुपये नहीं देखे। बच्चों की फीस से लेकर परिवार का लालन-पालन चुनौती बन गया है।
कर्ज लेकर खरीफ की बुआई की थी, लेकिन लौटा नहीं पा रहे हैं। जहर खाने तक के पैसे नहीं हैं। हमें समस्याओं का समाधान चाहिए। आप हमारी बात मुख्यमंत्री या कृषि मंत्री से करवा दी दीजिए। नहीं तो हम रेल रोकने के लिए ट्रैक पर बैठ जाएंगे। किसानों को कार्रवाई का डर नहीं है।
महिलाओं ने भजन-कीर्तन और नृत्य कर अपना आक्रोश व्यक्त किया। सुबह गौरव दिवस के कार्यक्रम में जाने के कारण दोपहर बाद सांसद और जनप्रतिनिधि फिर गांव पहुंचे और आंदोलित किसानों को जल्द ही मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री से मिलवाने का आश्वासन देने पर किसानों ने आंदोलन समाप्त किया।
शनिवार को ग्राम टिगरिया के मांगलिक भवन में स्वतंत्र किसान जनआंदोलन के बैनर तले 800 से अधिक किसानों व महिलाओं ने प्रदर्शन किया। किसानों द्वारा रेल रोकने की चेतावनी को देखते हुए गांव और रेलवे ट्रैक के आसपास पुलिस और सुरक्षा बल की तैनाती की गई थी।
आंदोलन की सूचना पर सांसद ज्ञानेश्वर पाटील, विधायक कंचन तनवे, छाया मोरे और भाजपा जिलाध्यक्ष राजपाल सिंह तोमर किसानों के बीच पहुंचे। उन्हें मंच की बजाय किसानों के बीच जमीन पर बैठाकर खरी-खोटी सुनाई। इस दौरान जय जवान- जय किसान के नारों के बीच नेताओं को आड़े हाथों लेकर किसानों ने नारेबाजी की।
दो घंटे की माथा-पच्ची के बाद भी किसान संतुष्ट नहीं होने से बगैर किसी निर्णय के जनप्रतिनिधि वापस लौट गए। सुरक्षा की दृष्टि से यहां डीएसपी अनिल सिंह चौहान, एडीएम काशीराम बड़ोले, डीडीए नितेश यादव सहित बड़ी संख्या में पुलिस बल, रेलवे पुलिस बल मौजूद रहा। शाम में जनप्रतिनिधियों के साथ कलेक्टर और एसपी भी पहुंचे।