खंडवा (नईदुनिया प्रतिनिधि), Raksha Bandhan 2021। विकासखंड खालवा में आदिवासियों ने हुनर से भाई-बहनों का दिल जीत लिया। वे बांस, नीबू के बीज और भुट्टे के छिलकों से ईको फ्रेंडली राखी तैयार कर रहे हैं। राखियों को रखने के लिए बांस गिफ्ट पैक भी बनाए हैं। खालवा से 40 किमी दूर ग्रामीण अंचल गुलाईमाल में बांस से कई आयटम तैयार किए जा रहे हैं। क्षेत्र के आदिवासियों के लिए सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय भारत सरकार की न्यू स्फूर्ति योजना के तहत बांस शिल्प क्लस्टर स्थापित किया गया है, जो कि बेंबू क्राप्ट क्लस्टर गुलाईमाल के रूप में ग्रामीण महिला-पुरुषों को रोजगार उपलब्ध करवा रहा है। यहां वृक्ष बंधन राखियों का निर्माण किया गया है। राखी के लिए बांस का ही बाक्स बनाकर उसमें कुमकुम, चावल के साथ ही काजू -बादाम से बने लड्डू व दो राखी रखी गई हैं। इसकी कीमत 250 रुपये है।
बेंबू से तैयार कर रहे ज्वेलरी
गुलाईमाल के बेंबू क्राप्ट क्लस्टर में बांस से सोफा, कुर्सी, घरेलू उपयोग की चीजों के साथ ही लैंप, फ्लावर पार्ट, घड़ी और ज्वेलरी आयटम तैयार किए जा रहे हैं। महेश नायक ने बताया कि यहां 100 से अधिक आदिवासी युवक-युवतियां प्रशिक्षण ले रहे हैं।
21 दिन पानी में रखते हैं बांस
क्लस्टर अध्यक्ष मोहन रोकड़े ने बताया कि बांस को उपयोग में लाने से पहले 21 दिन तक पानी में फिटकरी व नमक मिलाकर रखा जाता हैं। इससे प्रोडक्ट बनाने में उसकी उम्र बढ़ जाती है, वहीं बांस के बने प्रोडक्ट में फफूंद जैसी समस्या नहीं आती है।
वृक्ष बंधन
- बांस और भुट्टे के छिलके से बनाई राखी
- बेंबू क्राफ्ट क्लस्टर ने बनाया आदिवासी महिलाओं को आत्मनिर्भर
- 7,000 राखियों का आर्डर मिला