मंडलेश्वर (नईदुनिया न्यूज)। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण ने रविवार को पाक्सो एक्ट और बालको से मैत्रीपूर्ण संबंध विषय पर आनलाइन कार्यशाला आयोजित की। पाक्सो एक्ट के विशेष न्यायाधीश नरेंद्र पटेल ने कहा कि बच्चों के प्रति लैंगिक अपराध बढ़ रहे हैं। पाक्सो जैसे सख्त कानून के बाद भी जिले की चार पाक्सो अदालतों में मामले बढ़े हैं। इसका जो कारण है उसमें जनजातीय समुदाय की परंपराएं भी शामिल है। जनजाति क्षेत्र में बच्चों की शादी कम उम्र में कर दी जाती है। अपनी मर्जी से शादी नहीं होने से भी कुछ मामलों में लड़कियां नाबालिक होने पर भी किसी के साथ चली जाती है। जिसकी शिकायत होने पर पाक्सो का मामला बन जाता है। ऐसे मामलों में माता पिता की सहमति के बाद भी यदि नाबालिक की शादी की जाती है तो यह अपराध होता है। 16 से 18 के बीच की उम्र में प्यार के प्रति आकर्षण अधिक होता है। ऐसे बालकों को अपने बालिग होने तक इंतजार करना चाहिए। जब तक वे अपने पैरों पर खड़े होकर रोजगार से नहीं लग जाते। तब तक उन्हें शादी नहीं करना चाहिए। पाक्सो के मामलों में कमी लाने के लिए ग्रामीण क्षेत्र के स्कूलों में बच्चों को जागरूक करने की अधिक जरूरत है। इसके लिए सरकार या कानून के भरोसे बैठने की बजाय सामाजिक संस्थाओं को आगे आकर काम करना चाहिए।
स्कूलों में दी जाए फैसलों की जानकारी
न्यायाधीश पटेल ने कहा कि हमें लड़कियों के साथ ही लड़कों को भी ऐसे संस्कार देना चाहिए जिससे वे गलत काम की ओर न जाएं। पैरालीगल वालेंटियर दुर्गेश कुमार राजदीप ने सुझाव दिया कि सरकारी स्कूलों में विद्यार्थियों को पाक्सो न्यायालय के फैसलों की जानकारी दी जाए। बाल कल्याण समिति की सुधा मोयदे ने पुलिस द्वारा पीड़िता के बयान लेते समय के माहौल पर चिंता व्यक्त की। पीड़िता जब तक भयमुक्त नहीं होगा वो अपनी पीड़ा नहीं बता सकती। डा. बसंत सोनी, राजेश जोशी, चाइल्ड लाइन की मोनू निंबालकर, पीएलवी यामिनी पांडेय, अर्पित जायसवाल, जोजु एमआर ने भी अपनी बात कही। संचालन ममता यूनिसेफ के कोआर्डिनेटर अमित शिंदे ने किया। आभार जिला विधिक सहायता अधिकारी राबिन दयाल ने माना।
Posted By: Nai Dunia News Network