महेश्वर(नईदुनिया न्यूज)। भूत भगवान महादेव की नगरी में भगवान गणेश के भी अनेक सिद्ध मंदिर है। इन्हीं में से नगर के पश्चिमी क्षेत्र में मां नर्मदा के किनारे नृसिंह टेकड़ी पर बड़े गणपति मंदिर है। भगवान गणेश की तीन आदमकद मूर्तियां वाले इस मंदिर में यूं तो वर्ष भर मन्नात पूरी होने पर श्रद्धालुओं की आवाजाही रहती है। लेकिन माघ माह की तील चतुर्थी को यहां मालवा-निमाड़ अंचल से सैकड़ों की संख्या में दर्शन के लिए पहुंचते है। 21 जनवरी को आने वाली चतुर्थी को स्थानीय लोग बेर चतुर्थी के नाम से भी जानते हैं। नर्मदा किनारे पैदल, नाव व वाहनों से श्रद्धालु मंदिर परिसर तक पहुंचते हैं। अल सुबह से दर्शन का सिलसिला प्रारंभ होता है जो रात 11 बजे तक चलता है। कई श्रद्धालु मंदिर के समीप बने अंगीरा घाट पर डुबकी लगाकर भी पुण्य लाभ अर्जित करते हैं। मंदिर के पुजारी ऋषि कुमार विष्णु पंत जोशी ने बताया कि मंदिर का इतिहास 400 वर्ष प्राचीन है। यहां श्रद्धालु मनोकमाना पूर्ण होने पर तिल के लड्डू, मोदक के साथ बेर भी चढ़ाते हैं। तीनों प्रतिमाओं में भगवान के अलग-अलग रूपों के दर्शन होते हैं। मंदिर में बेर चढ़ाने के महत्व को मंदिर के समीप नृसिंह टेकरी पर लगे सैकड़ों बेर के पेड़ों से जोड़कर देखा जाता है। यहां के बेर नुकिले होते हैं जिन्हें खिरनी बेर भी कहा जाता है। यहां 100 वर्ष से पुराने भी बेर के पेड़ लगे हैं। चतुर्थी पर 10 क्विंटल से ज्यादा बेर बिकेंगे। अभी इनकी कीमत 80 रुपये किलो है।
मंदिर पहुंच मार्ग है बदहाल
बडे गणपति तक पहुंच मार्ग कि स्थिति बहुत बदहाल है। सहस्त्रधारा मार्ग से शासकीय पौधशाला के समीप से लगभग एक किमी का मार्ग मिट्टी से पटा पड़ा है। चतुर्थी के दिन सैकड़ों वाहनों के चलते उड़ते धूल के गुबार से श्रद्धालु परेशान होते हैं। नगर के पुरषोत्तम गुप्ता का कहना है कि बड़े गणपति मार्ग के निर्माण व लाईट लगाने की बातें गत कई वर्षों से हो रही है। लेकिन अब तक कार्य नहीं हुए हैं।