चूहे की प्रजाति के जंतु से कई परिवार परेशान, नियंत्रण नहीं होने से समस्या बढ़ी घूस की घुसपैठ, दीवारें हो रही खोखली खरगोन। शहर के रहवासी इलाकों में इन दिनों घूस की घुसपैठ बनी हुई है। ये पुराने मकानों की नींव को नुकसान पहुंचा रहा है। शहर के कई स्थानों पर पिछले एक वर्ष से इस इनकी संख्या में बढ़ोतरी हुई है। विशेषज्ञों के अनुसार प्राकृतिक संतुलन बिगड़ने व परभक्षी जीवों की विलुप्तता के कारण इनकी संख्या बढ़ रही है। शहर के तालाब चौक, बाकी माता, भावसार मोहल्ला, माली मोहल्ला, तलाई मार्ग, पठानवाड़ी सहित अन्य क्षेत्रों में घूस का आतंक बना हुआ है। यही नहीं ये घुस पक्के मकानों को भी नुकसान पहुंचा रहा है। ये घरों की पक्की दीवारों के साथ आंगन में लगी फर्श के नीचे भी सुरंगे बना रहा है। जिससे आमजनों को काफी परेशानी हो रही है। विश्वसखा कॉलोनी निवासी अनिल सोहनी व प्रवीण बार्चे ने बताया कि प्रतिदिन सुबह घर के आंगन में मिट्टी का ढेर दिखाई देता है। बाकी माता पथ निवासी प्रतिभा भट्ट, यशोदा महाजन व रश्मि खोड़े ने बताया कि रात्रि में घूस दीवारों के साथ घरेलू सामान को भी नुकसान पहुंचा रहा है। घनी आबादी का रुख आंचलिक कृषि अनुसंधान केंद्र के सह संचालक एमएल शर्मा ने बताया कि पहले घूस खेतों और ग्रामीण क्षेत्रों में बहुतायत से पाया जाता था। लेकिन खेतों की भूमि पर अब अधिकाशंतः भवनों का निर्माण हो चुका है। इससे ये घनी आबादी की ओर आ रहे हैं। घूस के दुश्मन माने जाने वाले सांप, बिल्ली, कौआ, उल्लू आदि पशु-पक्षी भी कम हो रहे हैं। इस कारण इनकी आबादी पर नियंत्रण नहीं हो पा रहा है। चुहे की प्रजाति है घूस घूस चूहे की एक प्रजाति है जो आकार में चूहे से काफी बड़ा होता है। यह लोमड़ी की तरह चतुर होता है। इनका नेटवर्क काफी मजबूत होता है। किसी एक जगह पर जहरीली वस्तु खाने के बाद मृत्यु होने के उपरांत अन्य घूस उस स्थान पर खाद्य सामग्री का सेवन नहीं करते। यही वजह है कि पूरी तरह से इन पर नियंत्रण नहीं हो पा रहा है। ये हैं नियंत्रण के उपाय इन जंतुओं को नियंत्रित करने के लिए घर में इन्हें भोजन कराने की आदत डालना चाहिए। कुछ दिनों तक एक चम्मच जहरीली दवाई आटा व शकर में मिलाकर इनकी गोलियां बनाकर निर्धारित स्थानों पर रखना चाहिए। इन गोलियों को बच्चों की पहुंच से दूर रखना चाहिए। साथ ही प्रयोग के दौरान सावधानी भी बरतनी चाहिए। -निप्र