नगर के इतिहास वेत्ता एवं खासगी ट्रस्ट से जुड़े वसंत महेश्वरकर ने बताया कि अहिल्या देवी ने न सिर्फ अनेक मंदिरों एवं धर्मशालाओं का निर्माण कराया था, अपितु उनके व्यवस्थित रखरखाव की भी व्यवस्था की थी। महेश्वरकर ने बताया कि उन्होंने अनेक स्थानों पर बावड़ी का निर्माण कार्य भी किया। जिन स्थानों पर बावड़ी का निर्माण किया गया है, वह तत्कालीन समय में उपयोग किए जाने वाले रास्ते थे जिनका उपयोग घुड़सवार या बैलगाड़ी से तीर्थाटन करने वाले राहगीर करते थे। देवी ने कुओं की अपेक्षा बावड़ी का निर्माण इसलिए किया ताकि राहगीर के साथ चौपाए भी आसानी से उतरकर अपनी तृष्ण बुझा सके।
इन स्थानों पर कराए निर्माण
महेश्वरकर ने बताया कि देवी ने महेश्वर सहित केदारनाथ, ऋषिकेश, गंगोत्री, विष्णु प्रयाग, हरिद्वार, बद्रीनाथ, वृंदावन, अयोध्या, नैमिषारण्य, इलाहाबाद, वाराणसी, गया, पुष्कर, नाथद्वारा, उज्जैन, इंदौर, ओंकारेश्वर, अमरकंठक, द्वारका, सोमनाथ, नासिक, एलोरा, पुणे, जेजुरी, चौंडी, बाफगांव, संबलग्राम, पंढरपुर, राजापुर, गौकर्ण, रामेश्वर आदि स्थानों पर लोक हित में निर्माण कार्य कराए। इसके अतिरिक्त प्रदेश में बुरहानपुर, खरगोन, हातोद, देवगुराड़िया, तिल्लौरखुर्द, पिपलदा, सांवेर, देपालपुर, गौतमपुरा, मनासा, रामपुरा, भानपुरा, तराना आदि स्थानों पर भी देवीश्री ने निर्माण कार्य करवाए हैं।