महेश्वर की मां आशापुरी देवी के मंदिर में पूरी होती है आशा
पहाड़ियों की तलछटी में बसा आशापुरी मंदिर पौराणिक महत्व रखता है।
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Publish Date: Mon, 03 Oct 2016 05:22:48 PM (IST)
Updated Date: Tue, 04 Oct 2016 10:05:45 AM (IST)

महेश्वर। तहसील मुख्यालय से 13 किमी दूर पहाड़ियों की तलछटी में बसा आशापुरी मंदिर पौराणिक महत्व रखता है। यहां चैत्र एवं शारदीय नवरात्रि में निमाड़-मालवांचल सहित अन्य प्रदेशों से श्रद्धालु पूजन एवं दर्शन के लिए आते है। वर्षभर भी यहां प्रतिदिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते है।
मां आशापुरी ट्रस्ट के त्रिलोक यादव ने बताया कि विगत फरवरी 2012 से मंदिर का जीर्णोद्धार का कार्य जारी हुआ था। भव्य मंदिर का निर्माण किया जा चुका है वहीं मंदिर परिसर में अभी भी अन्य निर्माण कार्य जारी है।
पुजारी पं. अत्रिऋषि दुबे एवं पं. सुभाषचंद्र दुबे ने बताया कि मंदिर का इतिहास शताब्दियों पूर्व का है।
महाभारत कालीन इस मंदिर के बारे में बताया जाता है कि अर्जुन ने जब विध्याचंल पर्वत श्रेणियों में बैठकर मां दुर्गा की तपस्या की थी। तब मां दुर्गा ने प्रसन्न् होकर उन्हें दर्शन दिए थे। माताजी के स्वयं दर्शन देने के कारण मूर्ति स्वयंभू है यानी स्वप्राकट्य है।
माताजी के इस स्थान पर महालक्ष्मी के रूप में मां आशापुरी के साथ महाकाली, महासरस्वती व दस महाविद्या की मूर्तियां विराजमान है। कहा जाता है यहां माताजी अपने तीन रूप बदलती है। वर्तमान में इस मंदिर 28 गोत्रो के श्रद्धालु अपनी कुलदेवी का पूजन करने नवरात्रि में आते है।