*अध्ययन प्रतिवेदन : नाइट्रोजन की मात्रा ज्यादा होने से बीमारियों का खतरा
*केंद्रीय भूजल बोर्ड के विज्ञानियों के अनुसार जिले अन्य क्षेत्र में स्थिति अभी सुरक्षित
खरगोन (नईदुनिया प्रतिनिधि)। कलेक्टर कार्यालय सभाकक्ष में गुरुवार को जिले में भूमिगत जल की वर्तमान स्थिति पर केंद्रीय भूजल बोर्ड भोपाल के अधिकारियों और विज्ञानियों ने अपना अध्ययन प्रस्तुत किया। इसमें विज्ञानियों ने बताया कि खरगोन जिले में भूमिगत जल की वास्तविक स्थिति क्या है, हम भूमि की तह में भंडारित कितनी जलराशि का उपयोग घरेलू और सिंचाई के लिए दोहन कर चुके हैं। विज्ञानियों ने बताया कि जिले में खरगोन जनपद की स्थिति सेमी क्रिटिकल की ओर पहुंच चुकी है। अगर प्रतिशत के तौर पर देखें तो यहां 76.53 प्रतिशत भूजल विकास की दर पाई गई है। इससे खरगोन जनपद क्षेत्र गंभीर होने की दहलीज पर है। जिले के अन्य जनपद अभी सुरक्षित स्थिति में हैं।
प्रस्तुति देने वाले विज्ञानी लता उदसैय्या और रोज अनिता कुजूर ने प्रशासन के साथ जिले में भूमिगत जल की ताजा उपलब्धता की स्थिति साझा की है। बैठक में अपर कलेक्टर केके मालवीय, अतिरिक्त सीईओ पुरुषोत्तम पाटीदार, जल संसाधन के कार्यपालन यंत्री श्री पीके ब्राम्हणे, परियोजना अधिकारी श्री एसके रघुवंशी, पीएचई कार्यपालन यंत्री मंजू सिंह, एनवीडीए के कार्यपालन यंत्री जेएस राणावत, टीआर पंचारे आदि मौजूद थे।
जल में 62 प्रतिशत नाइट्रेट!
जिले में सिंचाई में 41433.83 और घरेलू प्रयोजनों के लिए 4293.5 प्रति हेक्टेयर मीटर जल का दोहन हुआ है, जबकि जिले में भविष्य के लिए भूमिगतं जल की कुल उपलब्धता 59783.75 हेक्टेयर मीटर है। विज्ञानियों ने साझा किए गए मानचित्र, विशेषताएं, मुद्दे और जल प्रबंधन की योजना में बताया कि जिले में भूमिगत जल के लिए गए नमूनों में 62 प्रतिशत नमूनों में नाइट्रेट की मात्रा अनुमानित सीमा से अधिक पाई गई है। इससे बच्चों में ब्लू बेबी बीमारी होने की संभावना रहती है। इसमें बच्चों की त्वचा ब्लू हो सकती है।
इन उपयों पर देना होगा ध्यान
विज्ञानियों ने कृत्रिम पुनर्भरण संरचनाएं बताई हैं। इसमें स्टापडैम, परकोलेशन टैंक, कंटूर ट्रेंच, अमृत सरोवर, रिचार्ज शाफ्ट और रिचार्ज ट्रेंच प्रस्तुत किए। इन संरचनाओं के निर्माण के बाद 187 मिलियन क्यूबिक मीटर तक भूजल बढ़ने की संभावना बताई गई है। सिंचाई के लिए जल का उपयोग स्प्रिंक्लर और ड्रिप सिंचाई से करने की सलाह दी गई है। इसी तरह जल की गुणवत्ता के लिए विज्ञानियों ने रासायनिक उर्वरकों के स्थान पर जैविक उर्वरक उपयोग करने की सलाह दी गई है।
जिले में विकासखंडवार जल का दोहन एक नजर में
विकासखंड सिंचाई में दोहन घरेलू प्रयोजनों में दोहन
सेगांव 3171.068 217.4736
बड़वाह 6991.86 735.2776
भीकनगांव 6353.11 491.6577
कसरावद 5446.45 575.8769
खरगोन 4357.6416 356.6196
भगवानपुरा 2218.17 536.3617
गोगावां 3070.02 292.2314
महेश्वर 5958.61 515.4091
झिरन्या 3866.9032 572.5974
(आंकड़े प्रति हेक्टेयर मीटर में)