*खरगोन शहर में प्रतिदिन 20 हजार गुटखा-पाउच की हो रही बिक्री
खरगोन। नईदुनिया प्रतिनिधि
पिछले 10 सालों में लोगों विशेषकर युवाओं के स्वाद और आदतों में तेजी से बदलाव आया। इन्हीं 10 सालों में पान की शान खत्म हो गई। पान की इस तासीर की जगह गुटखे और पाउच ने ले ली। लगातार हिदायतों और सामने आ रही बीमारी के आंकड़ों के बावजूद केवल शहर में ही लगभग 20 हजार पाउच-गुटखों की बिक्री हो रही है। इन 10 सालों में जहां शहर में लगभग 100 दुकानें व गुमटियां थी वह लगभग 500 के आसपास संचालित हो रही है। उल्लेखनीय है कि गुटखे और पाउस की विभिन्न कंपनियों ने इसे युवाओं तक पहुंचाने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी। शहर के चिकित्सकों ने इसके सेवन को घातक बताया।
ड़ेढ हजार से घटकर 250
टोकनियों तक सिमटा पान
लगभग 25 सालों से पान का व्यापार कर रहे जाकिर हुसैन ने बताया कि 10 साल पहले प्रति सप्ताह 400 से 500 टोकनी पान की शहर में आवक थी। तेजी से बदले माहौल में अब लगभग 250 टोकनी पान की आवक प्रति माह हो रही है। एक टोकनी में 1 हजार पान विभिन्न प्रकार के आते हैं। उनका कहना है कि पहले पान स्वाद और शान की पहचान थी। अब युवा गुटखा व पाउच खाना पसंद कर रहे हैं।
उधर बिस्टान नाका क्षेत्र के व्यवसायी प्रकाश माली ने बताया कि युवा पान पसंद नहीं करते जबकि सादा व मसालेदार पान की पहले अधिक बिक्री होती थी।
जिला अस्पताल के कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉ. मनोज निराले ने बताया कि पिछले कुछ सालों से कैंसर के मरीजों की संख्या बढ़ी है। इसमें युवा भी शामिल है। लगभग 300 मरीजों का परीक्षण यहां किया जा चुका है। समझाइश दी जा रही है कि व्यसनों से बचें।