महेश्वर (नईदुनिया न्यूज)। प्राचीन माहिष्मति नगरी को भूत भावन भगवान शंकर की नगरी के रूप में गुप्त काशी के नाम से भी जाना जाता है। लेकिन यहां शिव के साथ शक्ति यानि कई सिद्ध देवी के स्थल भी है। जहां चैत्र व शारदीय नवरात्र में बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन, पूजन अर्चन करने के लिए आते हैं। नगर के बस स्टैंड के समीप स्थित है विंध्यवासिनी भवानी माता मंदिर। मंदिर के पुजारी विलास झावरे ने बताया कि देवी के स्वाहा अंग के यहां गिरने से इसे स्वाहा देवी के नाम से भी जाना जाता है। देवी के 108 शक्ति पीठों में से शक्ति स्थल रूप में भी इस मंदिर की गणना होती है। गर्भ गृह में काले पत्थर की करीब तीन फीट ऊंची मूर्ति स्थापित है। इसी प्रकार तहसील मुख्यालय से 13 किमी दूर पहाड़ियों तलछटी में स्थित आशापुरी मंदिर का इतिहास महाभारत कालीन है। 28 गोत्रों की कुल देवी रूप में पूजा जाता है। वर्ष 2012 में मंदिर के जीर्णोद्धार के पश्चात मंदिर को भव्य रूप प्रदान किया है। वहीं नगर के महात्मा गांधी मार्ग स्थित प्राचीन नागेश्वरी माता मंदिर साली समाज की आराध्य देवी है। मंदिर में नागों से श्रृंगारित देवी की प्रतिमा है। इसी प्रकार राजराजेश्वर मंदिर प्रांगण में भद्रकाली माता के साथ महाशक्ति के रूप में देवी की प्रतिमाएं विराजित है। इसके समीप प्राचीन भद्रकाली मंदिर में सुंदर पाषाणी प्रतिमा स्थापित है। बाजार चौक में लालबाई फूलबाई के प्राचीन मंदिर में प्रतिदिन बडी संख्या में श्रद्धालु दर्शन करते हैं। माली मोहल्ले स्थित बाघेश्वरी माता मंदिर, मंडलेश्वर रोड स्थित बिजासनी माता मंदिर, मोठी माता मंदिर के अतिरिक्त ब्रम्हलीन संत स्वामी भक्तानंदजी सरस्वती द्वारा स्थापित राजेश्वरी त्रिपुरासुंदरी माता मंदिर श्रद्धालुओं के लिए नवरात्र में विशेष आराधना स्थल है।