
Pandit Pradeep Mishra Katha: खरगोन। सनातन, वेद, शास्त्र और पुराण की भूमि है भारत... जो विश्व में कहीं और नहीं है। भारत की भूमि ने हमें संस्कार, संस्कृति, सभ्यता और ज्ञान प्रदान किया है। इसीलिए पूरी पृथ्वी पर भारत भूमि सर्वश्रेष्ठ है। शिवमहापुराण के अनुसार अगर शिवजी के प्रति विश्वास के साथ जल चढ़ा रहे हैं तो उसका फल अवश्य मिलेगा। दृढ़ता और विश्वास प्रबल हो तो शिव मिलते हैं। उक्त आशीर्वचन नागेश्वर मंदिर महिला समिति भीकनगांव द्वारा आयोजित श्री हरिहर शिवमहापुराण कथा में कथा व्यास पंडित प्रदीप मिश्रा के मुखारविंद से निकले। उन्होंने कहा कि हमेशा आंख वाले ही दुर्घटना का शिकार होते हैं। कभी सुना है कि किसी दृष्टिहीन की हड्डी टूटी हो! क्योंकि दृष्टिहीन के पास ईश्वर की छड़ी होती है। उसी प्रकार आंख वालों के पास भी शिव छड़ी होनी चाहिए। विश्वास, दृढ़ता और सत्कर्म की छड़ी होनी चाहिए।
पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहा कि शिवमहापुराण कथा दिल से होती है धन से नहीं। नागेश्वर महिला समिति की माताओं ने दिल से कथा कराने के प्रयास किए। उनकी आस्था और भगवान शिव पर उनके अटूट विश्वास की वजह से यह धर्मसभा आपके बीच हो रही है। इन्हीं पूजनीय माता बहनों के कारण आज आप शिवमहापुराण कथा को सुन रहे हैं। नागेश्वर महिला समिति के कारण कार्तिक मास में आपको सबका मुंह जूठा करने का अवसर मिला है। इतनी बड़ी भव्य कथा में सहभागी बनने का अवसर भीकनगांव के क्षेत्रवासियों को मिला है। पंडित प्रदीप मिश्रा ने कथा आयोजन समिति सहित नगरवासियों को भी साधुवाद दिया।
पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहा कि लोग जवानी में सत्कर्म नहीं करते। जवानी में भगवान को नहीं पूजते, जवानी में भक्ति नहीं करते। कहते हैं कि अभी कोई उम्र है पुण्य कमाने की। ये काम तो बुढ़ापे के हैं। पंडित प्रदीप मिश्रा बोले कि आज के लोग क्या करते है। पाप जवानी में और पुण्य बुढ़ापे में! शिवपुराण कहती है कि बचपन और जवानी अगर भगवान को दे दी तो बुढ़ापा आपका परमात्मा संभाल लेंगे। शिवपुराण को तीन घंटे का समय दो फिर परिवर्तन देखो। पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहा कि महिलाओं को सिर्फ पति और माता-पिता के चरण छूने चाहिए। माता-पिता से अपेक्षा न रखें, बल्कि उनकी कैसे सेवा कर सकें, यह प्रयत्न करें। अपेक्षा केवल परमात्मा से करें। कोई सरकार जुर्म को नहीं रोक सकती। सिर्फ अच्छे संस्कार जुर्म को रोक सकते हैं। अपने बच्चों को अगर घर में सही संस्कार दे दिए तो जुर्म होंगे ही नहीं। बड़े जैसा व्यवहार करेंगे, छोटे वही सीखेंगे। इसलिए खुद संभलकर चलिए, ताकि आपसे छोटे भी आपका अनुसरण करें। जीवन में धर्म और सत्कर्म के मार्ग पर चलोगे तो जीवन सफल होगा। यदि गलत शौक में पड़ोगे तो किसी दिन शोकसभा भी हो जाएगी।