देश-विदेश में पूजे जाते हैं निमाड़ के शिवलिंग
निमाड़ के बकावां में नर्मदा नदी के पत्थरों से शिवलिंग तैयार किए जाते हैं। ये शिवलिंग देश-विदेश में भेजे जा रहे हैं। यहां लगभग हर घर में पत्थरों को तराशा जाता है।
By Nai Dunia News Network
Edited By: Nai Dunia News Network
Publish Date: Sun, 07 Aug 2022 08:39:22 PM (IST)
Updated Date: Sun, 07 Aug 2022 08:39:22 PM (IST)

पीपलगोन (नईदुनिया न्यूज)। निमाड़ के बकावां में नर्मदा नदी के पत्थरों से शिवलिंग तैयार किए जाते हैं। ये शिवलिंग देश-विदेश में भेजे जा रहे हैं। यहां लगभग हर घर में पत्थरों को तराशा जाता है।
सीहोर वाले पंडित प्रदीप मिश्रा ने लोगों को शिवपुराण के माध्यम से शिव पूजा व धर्म के प्रति आस्था बढ़ाई। इसके बाद धर्म के साथ साथ कई लोगों को रोजगार भी मिला। फूल माला से लेकर पूजन सामग्री भी खूब बिकने लगी। छोटे-छोटे लोगों से रोजगार में वृद्धि हुई। मान्यता है कि ओंकारेश्वर से महेश्वर के बीच बकावां में सबसे ज्यादा गोल पत्थर मिलते हैं। उन्हें तराशकर शिवलिंग का रूप दिया गया। पांच हजार की आबादी वाले इस गांव में अधिकांश परिवार इस कार्य में जुटे हैं। मान्यता है कि नर्मदा नदी से निकलने वाला हर कंकर (पत्थर) शंकर का रूप होता है। नर्मदा नदी में मिलने से यह शिवलिंग नर्मदेश्वर कहलाते हैं। नर्मदेश्वर शिवलिंग की बिना प्राण-प्रतिष्ठा के स्थापना की जा सकती है। प्रतिदिन गांव में तीन से चार हजार शिवलिंग तैयार हो रहे हैं। मान्यता है कि नर्मदेश्वर शिवलिंग की स्थापना करने से हमारे सभी कष्टों का निवारण होता है।
विद्यार्थियों को बांटे बस्ते
धूलकोट। ग्राम आड़फाटा में विश्व आदिवासी दिवस के उपलक्ष्य में 'एक कदम गांव की ओर' अभियान के तहत स्कूली बच्चों के लिए बस्ता वितरण किया गया। यह आयोजन एक कदम गांव की ओर अभियान समिति ने किया। इस दौरान धूलकोट व सुखपुरी गांव के निर्वाचित सरपंचों का सम्मान किया गया। इस मौके पर गर्दनसिंह कनासे, खूमसिंह जाधव, मंशाराम जाधव, बलराम जाधव आदि मौजूद थे।