महेश्वर (नईदुनिया न्यूज)। भूत भावन भगवान शंकर की सबसे प्रिय सावन मास के प्रारंभ होते ही निमाड़ अंचल की पवित्र नगरी बोल बम के घोष गुंजित हो रही है। देर शाम से निमाड़-मालवा अंचल से कावड़िये पहुंच रहे हैं। वहीं अल सुबह होते ही कावड़ में पवित्र रेवा का जल भर कावड़िये अपने आराध्य का अभिषेक करने के लिए निकल रहे हैं। यात्रियों के स्वागत के लिए नगर में लग्गी-पताका से सजा हुआ है। वहीं दुकानों पर केशरिया वस्त्र, सवलिए, कावड़ के पात्र, टीशर्ट, कुर्तों के टंगे होने से मुख्य मार्ग भगवामय दिखाई दे रहा है। कावड़ लेकर जाने वाले श्रद्धालु भी इन दुकानों से खरीदारी कर रहे हैं। नगर में यूं तो कावड का सिलसिला श्रावण के महिने भर चलता है। लेकिन बड़े जत्थों में हजारों कावड़ यात्री बोल बम का जयघोष करते रवाना होते हैं। इन दलों में प्रमुख बाणेश्वरी कावड यात्रा गोलू शुक्ला की अगुवाई में 18 जुलाई को नगर से उज्जैन के लिए रवाना होगी। इसी प्रकार पूर्व विधायक राजकुमार मेव की सहभागिता के साथ माहिष्मति बोल बम कावड यात्रा 23 जुलाई को ओंकारेश्वर के लिए प्रस्थान करेगी।
धन और धरती का मालिक कोई नहीं है
करही। धन और धरती का मालिक कोई नहीं है। उसे अपना मानना मूर्खता है। धन सिर्फ विनिमय का साधन है। धन और धरती किसी की रही नहीं, रहती नहीं और रहने वाली नहीं है। जब ये अपनी नहीं तो मान क्यो? और ये मान ही तो है जो आपको सीधे अंडरग्राउंड (नरक) में ले जाएगा। यह विचार गरुदेवश्री गुलाबमुनिजी महाराज साहब ने जैन स्थानक भवन में धर्मसभा को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि इंसान का अपना खुद का क्या है कुछ भी नहीं, यह शरीर भी खुद तुम्हारा नहीं है। और जब तुम्हारा कुछ है ही नहीं तो मान किस बात का करते हो। ये सब पुण्य का खेल है, जब तक पुण्यवानी है तब तक संपत्ति, सत्ता, पद, प्रतिष्ठा, यश, वैभव, ज्ञान सभी तुम्हारे पास है। जिस दिन पुण्यवानी खत्म हुई ये सब टिकने वाले नहीं हैं। ये सब तुम्हें लीज पर मिली हुई है जो एक दिन निश्चित ही छोड़ना पड़ेगी। जो चीज पुण्य के उदय से मिलती है, उसमें भूत जरूर लगता है। उन्होंने कहा कि चार महीने चातुर्मास के मिले हैं, इनमे खुद धर्म, ध्यान, तप, त्याग, तपस्या करें। सामायिक प्रतिक्रमण करें। ज्ञान सीखे और सम्यक बोध को प्राप्त करें। गुरुदेव की प्रेरणा से नगर में तपस्वियों द्वारा तप का दौर जारी है। प्रवचन में भी प्रतिदिन कतरगांव, बागोद, मंडलेश्वर आदि स्थानों से श्रावक-श्राविकाएं उपस्थित हो रहे हैं।