मंडला (नईदुनिया प्रतिनिधि)। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता,सहायिका एकता यूनियन मप्र के द्वारा एक दिवसीय धरना प्रदर्शन अपनी मांगों को लेकर आयोजित किया गया। जिले भर से आई आंगनबाड़ी कायकर्ता व सहायिका कलेक्ट्रेट मार्ग में धरना प्रदर्शन में बैठी और अपनी मांगों को लेकर आवाज बुलंद की। इनके द्वारा मुख्यमंत्री व प्रधानमंत्री के नाम अलग अलग मांगों को लेकर ज्ञापन भी कलेक्टर के माध्यम से दिया गया। जिसमें उन्होंने शीघ्र मांग पूरी न होने पर आगे और भी आंदोलन का रास्ता अख्तियार करने की बात कही। आंगनबाड़ी कर्मचारियों व जिलाध्यक्ष भागवती बर्मन, ब्लाक अध्यक्ष सबीना ने बताया कि उन्होंने प्रधानमंत्री को सौंपे ज्ञापन में मांग रखी है कि वे 45वर्षों से काम कर रही है। शासकीय विभागों की योजनाओं को लागू करने का दायित्व उनका होता है। वे गांव में शासन की बस्तियों के रूप में काम कर रही हैं। फिर भी उन्हें सरकार कर्मचारी का दर्जा और न्यूनतम वेतन तक नहीं दे रही है। इस परिस्थिति में विभिन्ना श्रमिक संगठनों के द्वारा आंगनबाड़ी कार्यकर्ता एवं सहायिका का कर्मचारी के रूप में काम करने, न्यूनतम वेतन 21000 देने, योजनाओं का लाभ देने, सार्वजनिक उद्योगों, विभागों को निजीकरण के विरोध में एक दिनी रार्टव्यापी केंद्र बंद हड़ताल किया है।
ये हैं प्रमुख मांगे- पीएम को सौंपे ज्ञापन के अनुसार उनकी प्रमुख मांगे आंगनबाड़ी कर्मियों को श्रम कानून के दायरे में लाया जाए।45वें व 46वें भारतीय श्रम सम्मेलन की सिफारिशों को लागू किया जाए। -आईसीडीएस योजना का किसी भी रूप में निजीकरण न किया जाए। स्कूलों में प्री स्कूल या नर्सरी न खोली जाए। -आंगनबाड़ी वर्कस व हेल्पर्स को जबरन सेवानिवृत्त न किया जाए। -मजदूर विरोधी लेबर कोड और किसान विरोधी बिलों को वापस लो। -आयकर के तहत न आने वाले सभी परिवारों को प्रतिमाह 7500 रुपये व सभी को प्रतिमाह 10किलो प्रति व्यक्ति मुफ्त राशन दिया जाए। -सभी को पेंशन दो, एनपीएस को वापस लिया जाए। पिछली पेंशन व्यवस्था बहाल की जाए।
मुख्यमंत्री के नाम सौंपे ज्ञापन में मांग-राज्य सरकार आंगनबाड़ी कर्मियों के मानदेय में से काटी गई 1500रुपये का भुगतान एरियर सहित करे। -आंगनबाड़ी कार्यकर्ता को 1 लाख रुपये व सहायिका को 75000 - ग्रामीण आंगनबाड़ी कार्यकर्ता,सहायिका को आवास योजना का लाभ दिया जाए। -कोविड-19 डयूटी में लगी कर्मियों को 10 हजार रुपये अतिरक्ति जोखिम भत्ता दिया जाए। -विभागीय बैठकों के लिए यात्रा भत्ता दिया जाए। एक माह में 5-6 बैठक होती है। वर्षों से यात्रा भत्ता नहीं दिया गया।