मंडला (नईदुनिया प्रतिनिधि)। जिला मुख्यालय से करीब 25 किमी दूर गौड़ राजाओं की ऐतिहासिक नगरी रामनगर के निकट चौगान की मढ़िया है। चैत्र नवरात्र में चौगान की मढ़िया में हर वर्ष हजारों की संख्या में जवारे बोए जाते हैं। जिनका नौ दिनों तक पूजन उपरांत विसर्जन श्रद्धा भक्ति के साथ किया गया। खास बात यह रही कि आदिवासी समाज की इस मढ़िया में एक विशेष वेशभूषा सफेद वस्त्र में ही श्रद्धालू यहां नौ दिनों तक रहकर पूजा में शामिल होते हैं, जिसके बाद सफेद वस्त्र धारण कर वे जवारे विसर्जन को जाते हैं। द्श्य देखने लायक होता है। सोमवार सुबह करीब दो किमी दूर पैदल चलकर जवारे सिर में रखे हजारों भक्त नर्मदा तट रामनगर पहुंचे। जहां श्रद्धा भक्ति के साथ जवारे विसर्जन किया। जिसे देखने हजारों की संख्या में भक्त जुटे। विसर्जन के दौरान लंबी कतार देखी गई। एक सी वेशभूषा में यह नजारा देखने लायक था।
दूर दूर से आते हैं श्रद्धालुः आदिवासी समाज के लिए आस्था का केंद्र चौगान की मढ़िया है। यहां पर बड़ी संख्या में लोग हर वर्ष आते हैं। जिले के अलावा पड़ौसी राज्य छग व महाराष्ट व अन्य प्रदेश के लोग भी पूजन में शामिल रहते हैं। करीब 2 हजार के लगभग जवारे बोए गए थे। जिले के चिखली, नकावल, झिरियाटोला, गुरार, झीना पलेहरा, मुनु, बिलगांव, चंदवारा, रामपुर, भोदर, डोंगरमंडला , इमलिया, डुंगरिया, अंजनिया एवं बंजी गांव के लोग भी चौगान मढिय़ा दर्शन के लिए पहुंचे। इसके अलावा पड़ौसी राज्य के लोग भी आते हैं। यहां पर मुख्य पंडा रमेश पंडा व सहयोगी पंडा स्वदेश पंडा,श्रवण कुमार पंडा के द्वारा चौगान मढ़िया में पूजन कराया गया।
जिले भर में जवारे विसर्जन का क्रम चलता रहाः जिले भर के देवी स्थानों पर भी जवारे विसर्जन नौ दिनों के बाद किए गए। शहर के प्रमुख देवी मंदिरों बूढ़ी माई मंदिर, शीतला माता मंदिर, खैर माई माता मंदिर, छपरा माता हिरदेनगर से देर रात जवारे निकाले गए और विसर्जन किया गया। बकौरी स्थित नक्खी माई माता मंदिर में भी जवारे विसर्जन किया गया।