शामगढ़। विश्व में भारतीय वेद संस्कृति ही एकमात्र ऐसी संस्कृति है। जिसकी हर क्रिया वैज्ञानिक है। मनुष्य अपने जीवन में हर क्रिया करता रहे तो जीवन में सुख शांति, आरोग्य और समृद्वि सदैव बनी रहती है। पाश्चात्य संस्कृति के चलते युवा मानसिक रूप से तनावग्रस्त है। आधुनिक शिक्षा के साथ आध्यात्मिक और व्यवहारिक ज्ञान शिक्षा भी अति आवश्यक है।
ये बात अंतरराष्ट्रीय वास्तु रत्न ज्योतिषाचार्य और रूद्राक्ष जनसेवा के संस्थापक पंडित प्रशांत व्यास ने सोमवार को पोरवाल मांगलिक भवन में भारतीय वेद संस्कृति संस्कार पुस्तक भेंट समारोह में बोलते हुए कहीं। पंडित व्यास ने कहा कि भारतीय वेद संस्कृति संस्कार पुस्तक में वे तमाम धार्मिक मांगलिक, हवन, उत्सव, पूजा-पाठ, रक्षा सूत्र बांधना, स्वास्तिक बनाना, शंख बजाना आदि का शास्त्रोक्त महत्व विधि विधान बताये गए है। व्यास ने श्री और ओउम शब्द की उत्पति पर प्रकाश डालते हुए कहा कि श्री समुद्र मंथन के दौरान प्रकट हुआ। श्री में लक्ष्मीजी का वास है तो ओउम की खोज धर्मग्रंथों में हुआ। ओउम एकाग्रता का प्रतीक है। आपने कहा कि रूद्राक्ष जनसेवा द्वारा पिछले 2005 से 2020 तक 55 लाख रुद्राक्ष महामृत्युंजय मंत्र से सिद्व कर विधिवत निशुल्क वितरित किए है। समारोह में रुद्राक्ष से निर्मित भगवान भोलेनाथ की आकर्षक प्रतिमा का विधि-विधान से पूजा-अर्चना गणमान्य नागरिकों ने की। इस मौके पर पंडित श्री व्यास ने शिव तांडव व मां महिषासुर मर्दिनी देवी स्त्रोत पाठ का संगीतमय धारा प्रवाह सुनाया तो पांडाल तालियों से गूंज उठा। श्रोताओं के पांव थिरकने लगे। भागवत कथाकार अर्पणा नागदा ने श्रीकृष्ण राधा भजन की शानदार प्रस्तुति दी। इस मौके पर पंडित शिवनारायण व्यास, पंडित विक्रम पुरोहित, चन्द्रकाश फरक्या, ओमप्रकाश संघवी, पंकज धनोतिया, महेन्द्र पोरवाल, राम चौहान, मुकेश दानगढ़, गोविंद गुप्ता सहित बड़ी संख्या महिला पुरुष व आसपास के लोग थे। संचालन शिव भगवान फरक्या ने किया।