नीमच। जो व्यक्ति हमेशा धर्म नीति पर चलता है, धर्म की रक्षा करता है तो धर्म उसकी रक्षा करता है। मनुष्य की रक्षा भगवान नहीं, उसके अपने कर्म करते हैं। पुण्य कर्म से धर्म की रक्षा होती है। यदि मनुष्य खराब कर्म करता है तो धर्म उसकी रक्षा नहीं कर पाता है।
यह बात कथा व्यास पंडित रतिश शर्मा अमलावद वाले ने कही। वे बुधवार प्रातः 11ः30 से 3ः30 बजे तक मंशापूर्ण हनुमान महाराज और ग्रामवासी भाटखेड़ा द्वारा मारुति राज महायज्ञ श्रीमद् भागवत ज्ञान यज्ञ शिव परिवार प्राण-प्रतिष्ठा महोत्सव के अंतर्गत आयोजित श्रीमद् भागवत ज्ञान गंगा में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि यदि मनुष्य सादगी के साथ जीवन यापन कर ध्यान, योग अभ्यास करें तो ईश्वर से मिलन हो सकता है। परमात्मा सदैव दयावान होते हैं। जीवन भर पाप करने के बाद भी अजामिल ने नारायण का नाम लिया तो उसका भी कल्याण किया। वस्तु अपने विशेष गुण के अनुसार कार्य करती है। श्रीकृष्ण भगवान प्रेम की डोरी में बंधन के बनते हैं अन्य किसी बंधन में नहीं। भगवान भक्तों को यश देने के लिए पुण्य कर्म करते हैं। मनुष्य को जब भी पुण्य परमार्थ का अवसर मिले तो पीछे नहीं हटना चाहिए। मंदिर के निर्माण के लिए कुछ नहीं हो सके तो श्रमदान ही करना चाहिए। लेकिन मंदिर निर्माण में योगदान अवश्य करना चाहिए। प्रभु के लिए किया गया छोटे से छोटा कार्य भी सार्थक सफल सिद्घ होता है। डाक्टर रोगी का इलाज करता है। यदि रोगी को प्रभु समझकर सेवा करें तो चिकित्सा भी होगी और पुण्य भी मिलेगा। व्यक्ति को हर कार्य परमात्मा का कार्य समझकर सेवा भाव से करना चाहिए तो वह सार्थक सिद्घ होता है। श्री कृष्ण ने मैया यशोदा को संवाद में अपने मुख में 14 ब्रह्मांड के दर्शन कराए।
पेड़-पौधे लगाएंगे तो प्रकृति हमसे जुड़ी रहेगी
हम प्रकृति से जुड़कर पेड़-पौधे लगाएंगे तो प्रकृति भी हमसे जुड़ेगी। प्रकृति पर्यावरण रक्षा के लिए युवा वर्ग को आगे आना चाहिए। 100 यज्ञ पूर्ण होने के बाद व्यक्ति इंद्र के समान कहलाता है। हनुमान जी ने रावण को जीवन पर्यंत श्रीलंका में राज करने का मंत्र दिया था लेकिन उसे रावण ने नहीं माना और विभीषण ने माना और वे श्रीराम की शरण में चले गए तो उन्हें लंका का राज मिला, जो आज भी प्रासंगिक है। अभिमान से सदैव बचना चाहिए। अभिमान आदमी को उसके विनाश की ओर ले जाता है।
भागवत कथा में पंडित रतिश शर्मा द्वारा बाल कृष्ण माखन लीला, छप्पन भोग, कालिया नाग, धेनुकासुर वध, गिरिराज परिक्रमा, कृष्ण-बलराम चरित्र, रोहिणी के पुत्रों का नामकरण संस्कार, पूतना वध, कृष्ण-यशोदा संवाद आदि धार्मिक प्रसंगों का विस्तार से वर्तमान परिप्रेक्ष्य में महत्व प्रतिपादित किया। श्रीमद् भागवत ज्ञान गंगा में गुरुवार को श्रीमद् भागवत ज्ञान गंगा के मध्य रास लीला, कंस वध, कृष्ण-रुक्मणी विवाह प्रसंग पर प्रकाश डाला जाएगा। इसके साथ ही विभिन्न धार्मिक आयोजन होंगे। महाआरती के बाद प्रसाद वितरण किया गया। मारुति राज महायज्ञ शिव परिवार प्राण-प्रतिष्ठा महोत्सव के अंतर्गत पंडित विक्रम शास्त्री के सान्निध्य में 18 मई सुबह 7 बजे देव पूजन यज्ञ मूर्ति अधिवासन विधि संस्कार किया गया। 19 मई को देव पूजन, यज्ञ, धन्याधिवास संस्कार होगा।