परितोष राजगुरु, नईदुनिया सीतामऊ (मंदसौर)। मंदसौर जिला मुख्यालय से लगभग 28 किमी दूर स्थित सीतामऊ कस्बे में गुप्तकालीन श्री महालक्ष्मीजी का मंदिर है, जहां दीपावली के दिन गोधूलि वेला में पोशाक पहनाने के इच्छुक भक्तों को 2065 की दीपावली तक का इंतजार करना पड़ेगा। यहां 39 सालों तक वर्ष 2064 की दीपावली की बुकिंग हो चुकी है।
सबसे खास बात यह है कि पोशाक पहनाने के लिए यहां नाम भी केवल दीपावली के दिन गोधूलि वेला में ही लिखा सकते हैं। अतिप्राचीन मंदिर पर दर्शन करने दूर-दूर से भी भक्त आते हैं। सीतामऊ में व्यास घाटी स्थित श्री महालक्ष्मी मंदिर में लक्ष्मी पूजन के दिन आज सुबह 5:30 बजे से पट खोले गए। दिनभर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहेगा। इस बार दीपावली पर झाबुआ निवासी अनिल त्रिवेदी द्वारा भेंट की गई पोशाक पहनाई जाएगी। इन्होंने वर्ष 2014 में बुकिंग कराई थी।
मान्यता : आकाश मार्ग से उड़ाकर ले जा रहे थे मंदिर
मंदिर के पुजारी की दसवीं पीढ़ी में पूजा कर रहे प्रमोद मोड़ ने बताया कि मंदिर लगभग 500 साल पुराना है। मान्यता है कि गुप्तकाल में किसी साधक द्वारा आकाश मार्ग से तीन मंदिर उड़ाकर ले जाए जा रहे थे, तब सीतामऊ में तपस्या कर रहे साधु ने शक्तियों का उपयोग कर इन्हें यही उतार लिया था। इन मंदिरों में व्यास घाटी में स्थित श्री महालक्ष्मीजी मंदिर, राधा बावड़ी मंदिर व नांदिया की बावड़ी स्थित मंदिर शामिल है।