आलोक शर्मा, नईदुनिया, मंदसौर। मध्य प्रदेश के मंदसौर स्थित गांधीसागर अभयारण्य में चीतों को बसाने की तारीख तय हो गई है। यहां भारत में जन्मे चीतों को बसाया जाएगा। श्योपुर जिले के कूनो नेशनल पार्क में जन्मे दो नर चीतों को 20 अप्रैल को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव गांधीसागर अभयारण्य में बने बाड़ों में छोड़ेंगे।
अभी यहां दो ही चीते लाने की योजना है। यहां अभी विदेशी चीते नहीं लाए जाएंगे। बरसात के बाद जब विदेशी चीते आएंगे तो संख्या बढ़ेगी। इसके साथ ही देश में कूनो के बाद गांधीसागर अभयारण्य चीतों के दूसरे घर के रूप में पहचाना जाएगा।
अफ्रीका, केन्या के प्रतिनिधिमंडलों और केंद्र सरकार की सात सदस्यीय हाइपावर कमेटी के निरीक्षण के बाद आखिरकार तय हो गया कि भारत की धरती पर जन्म लेने वाले चीतों से ही गांधीसागर आबाद होना है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की हां होते ही वन विभाग ने तैयारी शुरू कर दी है।
फिलहाल यहां कूनो नेशनल पार्क में जन्मे लेने वाले दो नर चीतों को लाया जा रहा है। उन्हें 20 अप्रैल को यहां छोड़ा जाएगा। इसकी तैयारी गांधीसागर अभयारण्य में काफी समय पहले से चल रही थी। मंदसौर के डीएफओ संजय रायखेरे ने बताया कि 6400 हेक्टेयर में चीतों के लिए बड़े बाड़े बनकर तैयार हैं। इनमें आठ क्वारंटाइन बाड़े भी हैं। शुरुआत में चीतों को क्वारंटीन बाड़ों में रखा जाएगा।
बता दें कि केंद्र सरकार की सात सदस्यीय हाइपावर कमेटी ने निरीक्षण के बाद दिल्ली में वन मंत्रालय को सौंपी रिपोर्ट में गांधीसागर अभयारण्य को चीतों के लिए पूरी तरह से अनुकूल बताया था, तो केंद्र सरकार ने यहां कूनो से ही चीते भेजने का निर्णय लिया है। विशेषज्ञों ने बाड़े, क्वारंटाइन बाड़ों, हाइमास्ट कैमरा, जलस्रोत मानीटरिंग के लिए बनाए गए स्थल और उपचार केंद्र सहित सभी तैयारी देखी हैं।
चीता बड़े जंगली जानवरों का शिकार नहीं कर सकता है। ऐसे में गांधी सागर अभयारण्य क्षेत्र में 1250 चीतल और हिरणों को चीतों के भोजन के लिए छोड़ने का लक्ष्य है। अभी तक करीब 472 हिरण-चीतल छोड़े गए हैं। भोपाल के वन विहार, नरसिंहगढ़ सेंचुरी और कान्हा टाइगर सफारी आदि स्थानों से हिरण व चीतल को पकड़कर यहां छोड़े जा रहे हैं।