नईदुनिया प्रतिनिधि, मंदसौर। जिला अस्पताल में मरीजों के प्रति चिकित्सक व स्टाफ कितना संवेदनशील है यह सोशल मीडिया पर वायरल हुए एक वीडियो में दिख रहा है। जिला अस्पताल के कर्मचारियों ने एक निराश्रित बुजुर्ग मरीज को नेहरू बस स्टैंड के यहां एक दुकान के बाहर ले जाकर छोड़ दिया। बुजुर्ग इतने कमजोर थे कि चल भी नहीं पा रहे थे। आस-पास के लोगों ने विरोध किया तो फिर स्ट्रेचर की जगह चादर में ही उठाकर रिक्क्षा से वापस ले गए। अब सिविल सर्जन सफाई दे रहे हैं कि एसा कुछ नहीं है। मरीज को ठीक होने पर ही छोड़ा गया था।
अस्पताल प्रशासन ने मरीज की पहचान और परिवार की जानकारी के लिए पुलिस से संपर्क भी किया। वहीं इन्हे ठीक होने पर वृद्धाश्रम भी छोड़ने को कहा गया। पुलिसकर्मी इनके परिवार को तो नहीं खोज पाए। वहीं वृद्धाश्रम में भी मरीज को रखने से मना कर दिया गया। इधर चिकित्सकों ने अस्पतालकर्मियों को कहा कि बुजुर्ग को नेहरू बस स्टैंड पर छोड़ आओ। अस्पताल कर्मी उन्हें लेकर बस स्टैंड पहुंचे और दुकान के बाहर छोड़कर जाने लगे। जब लोगों ने विरोध किया कि बीमार और असहाय बुजुर्ग को रात के समय में बस स्टैंड पर कैसे छोड़ रहे हो। इसके बाद फिर से अस्पताल कर्मचारी चादर में ही उठाकर बुजुर्ग को रिक्क्षा से ले गए।
एक वीडियो के माध्यम से जानकारी मिली है कि किसी एक मरीज को बस स्टैंड पर छोड़ा गया था। मैने चिकित्सक से जानकारी ली है कि तो बताया कि खून की कमी थी बुखार आ रहा था तब ठीक हो गए थे तो चिकित्सक ने उन्हें डिस्चार्ज किया था। इसके लिए पुलिस को भी सूचना दी थी कि मरीज लावारिस है तो इन्हें वृद्धाश्रम में छोड़ा जाए। कर्मचारियों ने बात की है कि उन्होंने कहा कि मरीज ने बताया था कि मैं बस स्टैंड पर रहता हूं तो वहां छोड़ा गया था। यह उनकी गलती थी कि स्ट्रेचर के बजाय चाादर में लेकर चले गए। हम कलेक्टर से चर्चा करेंगे कि वृद्धाश्रम में ऐसे लोगों को रखना चाहिये। पुलिसकर्मी भी उसके साथ गए थे तो वहां रखने से मना कर दिया गया।
बीएल रावत, सिविल सर्जन, जिला अस्पताल।