नईदुनिया न्यूज, मंदसौर, भानपुरा। मंदसौर जिले की भानपुरा तहसील में गांधीसागर बांध के किनारे बसा ग्राम कंवला चर्चाओं में हैं। गांधीसागर झील का किनारा और गांव के आस-पास का भौगोलिक स्वरूप कुछ ऐसा दृश्य बनाता है कि यह किसी भी समुद्र तट से कम नहीं लगता है।
इसके चलते ही कंवला मिनी गोवा के नाम से प्रसिद्ध हो रहा है। गांधीसागर में भरे अथाह पानी में हवा के साथ उठती लहरें हूबहू समुद्र की तरह दिखती हैं। जून में यहां लोग पहुंचना शुरू हो जाते हैं । उम्मीद है अभी बारिश में और भी पर्यटक यहां पहुंचेंगे।
ग्राम कंवला गांधीसागर से तीन तरफ से घिरा है। गांव की आबादी से दूर दक्षिण दिशा में गांधीसागर झील के तट पर दो विशाल शिलाखंड हैं। इन शिलाखंडों में अबाबिल पक्षी के मिट्टी से बने सुंदर घरौंदे होने के कारण इसे गांव में ‘चिड़ी वाला पत्थर’ भी कहते हैं।
पछुआ हवाएं चलने पर पर चंबल की ऊंची-ऊंची लहरें चट्टानों से अठखेलियां करते हुए रेत को धकेलते हुए किनारों को समुद्र तट के समान आकार देती हैं।
लगातार लहरें आने से किनारों पर रेत ने जमा होकर बीच का स्वरूप दे दिया है। यही कारण है कि यहां आने वाले पर्यटक इसे मिनी गोवा कहने लगे हैं।
दिन भर लहरें किनारों से टकराकर अपने स्वरूप का अहसास कराती हैं। शाम होते-होते हवा के साथ लहरों का जोश बढ़ जाता है। विपरीत दिशा की हवा होने पर पानी शांत रहता है और इसकी सुंदरता बढ़ जाती हैं।
चंबल की लहरों तथा पर्यटकों की आवाजाही के बीच इन दो विशाल शिलाखंडों के आसपास जीवन का तानाबाना चलता रहता है।
दिनभर अपने चूजों के लिए भोजन लाते अबाबील पक्षी भी शाम होने पर घरौंदो से निकलकर आसमान में लगातार चक्कर लगाकर अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हैं।
इस स्थानपर सूर्यास्त का दृश्य अत्यंत मनोहारी होता है। एक ओर सूरज की किरणें पानी पर पड़ती हैं तो वह नजारा सुनहरा होता है वहीं, आसमान में अबाबील पक्षियों का झुंड हवा के साथ होड़ लगा रहा होता है। सूर्यास्त के साथ धीरे धीरे सबकुछ शांत हो जाता है। शिलाखंडों में आदि मानव द्वारा लाखों वर्ष पूर्व बनाए गए शैल चित्र भी हैं।
कैसे पहुंच सकते हैं कंवला