By Sameer Deshpande
Edited By: Sameer Deshpande
Publish Date: Mon, 29 Jan 2024 09:18:41 AM (IST)
Updated Date: Mon, 29 Jan 2024 01:38:01 PM (IST)
Lok Sabha Elections 2024: आलोक शर्मा, मंदसौर। अफीम की खेती और एशिया की पहली मानव निर्मित गांधीसागर झील की वजह से देशभर में प्रसिद्ध मंदसौर राजनीतिक दृष्टि से भी चर्चित क्षेत्र है। मंदसौर में पशुपतिनाथ का मंदिर भी है। यदि इसे जनसंघ और भाजपा का पुराना गढ़ कहा जाए तो बिलकुल गलत नहीं होगा। वर्ष 1951 से लेकर वर्ष 2019 तक हुए 17 लोकसभा चुनावों में यहां 12 बार भाजपा (पहले जनसंघ) के उम्मीदवार जीते हैं।
केवल पांच बार ही कांग्रेस के प्रत्याशी यहां जीत हासिल कर पाए हैं।
भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डा. लक्ष्मीनारायण पांडेय ने यहां से 11 बार लोकसभा चुनाव लड़ा और आठ बार जीतकर कीर्तिमान बना दिया है। डा. पांडेय के सामने कांग्रेस के तमाम दिग्गजों ने हार झेली है।
मंदसौर संसदीय क्षेत्र की भौगोलिक सीमा में भी वर्ष 1951 से अभी तक कोई बदलाव नहीं हुआ है। मंदसौर-नीमच जिले के सातों विधानसभा क्षेत्रों सहित
रतलाम जिले के जावरा विधानसभा क्षेत्र को भी समेटे यह संसदीय क्षेत्र लगातार जीत से भाजपा का अभेद्य गढ़ बन गया है।
डा. लक्ष्मीनारायण पांडेय का कीर्तिमान
मंदसौर संसदीय क्षेत्र से सर्वाधिक आठ बार सांसद रहने का कीर्तिमान डा. लक्ष्मीनारायण पांडेय के नाम पर है। वर्ष 1971 से 2009 तक हुए 11 चुनावों में डा. पांडेय लगातार भारतीय जनसंघ, लोकदल और फिर भाजपा से उम्मीदवार रहे। इनमें वह केवल 1980, 1984 व 2009 में ही चुनाव हारे। बाकी आठ चुनावों में जीत दर्ज की। वर्ष 1989 से वर्ष 2004 तक तो डा. पांडेय ने लगातार छह चुनावों में जीत हासिल की। इस दौरान उन्होंने कांग्रेस के दिग्गजों बालकवि बैरागी, महेंद्र सिंह कालूखेड़ा, नरेंद्र नाहटा, घनश्याम पाटीदार व राजेंद्र सिंह गौतम को भी हराया। डा. पांडेय की जीत का क्रम कांग्रेस की नई उम्मीदवार मीनाक्षी नटराजन ने वर्ष 2009 में तोड़ा था।
दो ही प्रत्याशियों को मिला दूसरी बार सांसद बनने का मौका
72 साल में मंदसौर लोकसभा क्षेत्र से डा. लक्ष्मीनारायण पांडेय के अलावा वर्तमान सांसद सुधीर गुप्ता ही दूसरी बार लोकसभा चुनाव जीत सके हैं। वैसे कई नेता दो से तीन बार चुनावी रण में उतर चुके हैं लेकिन अधिकतम एक बार ही जीत पाए तो कुछ का खाता ही नहीं खुला। मंदसौर संसदीय क्षेत्र में कई बार बाहरी प्रत्याशियों ने भी चुनाव लड़ा। पहले सांसद कैलाशनाथ काटजू दिल्ली से आए थे। फिर बैरिस्टर उमाशंकर त्रिवेदी गुजरात से आए थे तो स्वतंत्र सिंह कोठारी को कोलकाता से यहां भेजा गया था। मंदसौर सीट कई बार बड़े उलटफेर व चौंकाने वाले परिणाम देने के लिए ख्यात रही है।
17 चुनावों में तीन बार एक ही महिला प्रत्याशी को टिकट
मंदसौर लोकसभा सीट से अब तक तीन बार एक ही महिला प्रत्याशी मैदान में उतरी हैं। वर्ष 2009, 2014 और 2019 के चुनाव में तीनों ही बार कांग्रेस ने मीनाक्षी नटराजन को टिकट दिया। वे एक बार चुनाव जीतीं।
बाबा ढोल बजाएंगे, पांडेय दिल्ली जाएंगे
वर्ष 1984 के लोकसभा चुनाव में डा. लक्ष्मीनारायण पांडेय और कांग्रेस के बालकवि बैरागी के बीच मुकाबला था। तब भाजपा कार्यकर्ता और नेता प्रचार के दौरान खूब नारे लगाते थे कि बाबा (बालकवि बैरागी) ढोल बजाएगा, पांडेय दिल्ली जाएगा। हालांकि जब चुनाव हुआ तो परिणाम इसके उलट सामने आए। बाबा दिल्ली चले गए और डा. पांडेय को हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद बालकवि बैरागी 1989 के चुनाव में फिर मैदान में उतरे।
भाजपा ने भी डा. पांडेय को यहीं से मैदान में उतारा। इस बार भी भाजपा व कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने अपने-अपने हिसाब से नारे बनाए। इसमें 1984 वाला नारा ‘बाबा ढोल बजाएगा, पांडेय दिल्ली जाएगा’ भी खूब चला। इस चुनाव में किस्मत डा. पांडेय के साथ थी और उन्हें जीत मिली।
पिता से हारे, पुत्र से जीते
डा.लक्ष्मीनारायण पांडेय की जीत का सफर वर्ष 1971 से शुरू हुआ था जिसे वर्ष 2009 में मीनाक्षी नटराजन ने हराकर रोका था। इन 37 वर्षों में पूरी एक पीढ़ी डा. पांडेय को प्रत्याशी के रूप में देखती रही। यहां भंवरलाल नाहटा व उनके पुत्र नरेंद्र नाहटा ऐसे पिता-पुत्र रहे हैं जिनका चुनावी मुकाबला डा. पांडेय से हुआ। वर्ष 1980 में भंवरलाल नाहटा ने डा.पांडेय को मामूली अंतर 2683 मतों से हरा दिया था। इसका बदला डा. पांडेय ने वर्ष 1998 में स्व. नाहटा के बड़े पुत्र नरेंद्र नाहटा को 17 हजार से अधिक मतों से हराकर लिया।
कोलकाता से आए, जीतने के बाद पलटकर नहीं देखा
वर्ष 1967 में जनसंघ के टिकट पर कोलकाता (कलकत्ता) से सीए स्वतंत्र सिंह कोठारी चुनाव लड़ने आए। उनके प्रचार में भी खूब तड़क-भड़क रही। पहली बार जीप से प्रचार हुआ। उस समय के साक्षी रहे बुजुर्ग बताते हैं कि भाजपा नेताओं व कार्यकर्ताओं की मेहनत से कोठारी चुनाव जीत गए। इसके बाद वह कोलकाता गए तो फिर पलटकर नहीं आए। उन्होंने मंदसौर संसदीय क्षेत्र पर ध्यान ही नहीं दिया।
मंदसौर संसदीय क्षेत्र में 8 विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं
मंदसौर, मल्हारगढ़, सुवासरा, गरोठ, नीमच, मनासा, जावद, जावरा
कुल मतदाता- 18,72,135
पुरुष मतदाता- 9,47,244
महिला मतदाता- 9,24,874
थर्ड जेंडर- 17
अब तक इन्होंने किया प्रतिनिधित्व
2019
सुधीर गुप्ता। भाजपा के सुधीर गुप्ता लगातार दो बार से सांसद हैं। पार्टी संगठन में सुधीर गुप्ता सह-कोषाध्यक्ष भी रह चुके हैं।
कैलाशनाथ काटजू
1951- कांग्रेस
माणकभाई अग्रवाल
1957- कांग्रेस
उमाशंकर त्रिवेदी
1962- भारतीय जनसंघ
स्वतंत्र सिंह कोठारी
1967- भारतीय जनसंघ
डा. लक्ष्मीनारायण पांडेय
1971 में भारतीय जनसंघ, 1977 में भारतीय लोकदल से
1989, 1991, 1996, 1998, 1999, 2004 में भाजपा से
भंवरलाल नाहटा
1980- कांग्रेस
बालकवि बैरागी
1984 - कांग्रेस
मीनाक्षी नटराजन
2009- कांग्रेस