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नीमच। नईदुनिया प्रतिनिधि
भगवान महावीर का जन्म जीवदया का संदेश देता है। महावीर का जीवन तप व संस्कारों की शिक्षा देता है। तपस्या से आत्मा पवित्र होती है। यह बात साध्वी मुक्तिप्रिया श्रीजी ने कही। वे शुक्रवार को जैन भवन में श्री जैन श्वेतांबर भीड़ भंजन पार्श्वनाथ मंदिर ट्रस्ट द्वारा आयोजित पर्युषण पर्व धर्मसभा में बोल रही थीं। उन्होंने कहा कि भगवान महावीर के जन्म की खुशी में उनके पिता राज सिद्धार्थ ने प्रजा को कर्ज मुक्त व जन्म की बधाई देने वाली दासी को मुकुट का छोड़कर शरीर के सारे आभूषण भेंट कर दिए। इस प्रकार से नगर में दस दिनों तक जन्मोत्सव मनाया गया।
धर्मसभा में साध्वी मृदुप्रिया श्रीजी ने कहा कि मनुष्य को अपना स्वभाव नरम रखना चाहिए। नरम मिजाज वाले व्यक्ति सभी प्रिय लगते हैं। संसार में चार वस्तुएं ऋण, वर्ण, अग्नि व कषाय को शुरुआत में नियंत्रण करना चाहिए। भगवान महावीर ने 12 वर्षों से कठोर तपस्या की और लोगों द्वारा दिए कष्टों को समता के भाव से सहन किया। इस अवसर पर बड़ी संख्या में समाजजन मौजूद थे।
तपस्या से ही आत्मा शुद्ध होती है-
तपस्या से ही आत्मा शुद्ध होती है। आत्म शुद्धि के बिना सिद्धी की प्राप्ती नहीं हो सकती है। महावीर स्वामी ने जीवदया व अंहिसा को पुरे विश्व में प्रतिष्ठा दिलाई है। महावीर का जीवन चरित्र तपस्या का पर्याय है। यह बात साध्वी गुणरंजना श्रीजी ने शनिवार को शहर के उपनगर बघाना के शक्तिनगर स्थित श्री शंखेश्वर पार्श्व पद्मावती धाम में आयोजित महावीर जन्म वाचन धर्मसभा में कही। उन्होंने कहा कि भगवान महावीर ने समाज को दान-पुण्य व जीवदया का संदेश दिया। महावीर के जन्म से माता त्रिशला के भाग जाग गए थे। कु ंडलपुर में महावरी के जन्म से नगर में बधाई गुंजी थी। मनुष्य को अपनी परीणीती शुद्ध रखना होगी। इससे आत्मा पवित्र होती है। इस दौरान साध्वी श्रीजी ने मधुर भजन प्रस्तुत किए। इस अवसर पर बड़ी संख्या में श्रावक-श्राविकाएं मौजूद थी।
निरंतर तपस्या करने से ही जीवन सार्थक होगा-
मनुष्य द्वारा जीवन में निरतंर तपस्या करने से ही जीवन सार्थक होता है। तपस्या बिना पुण्य-कर्मों की प्राप्त नहीं होती है। तप से ही पापों का विनाश संभव है। तपस्या से ही आत्मा का कल्याण होता है। यह बात साध्वी मैना कु ंवर ने शनिवार को शहर की जैन कालोनी स्थित वर्धमान जैन स्थानक भवन में महावरी जन्म वाचन में आयोजित धर्मसभा में कही। उन्होंने कहा कि मनुष्य को व्यसन से बचना चाहिए। सदाचार के बिना जीवन व्यसन युक्त हो जाता है। द्वारिका नगरी में भी श्रीकृष्ण के सानिध्य में प्रभु की 12 वर्ष तक आयम्बिल तप की तपस्या की थी। तपस्या मन से करना चाहिए। दिखावे के लिए की गई तपस्या अत्यंत दुख दाई होती है। द्वेश व राग के त्याग बिना जीवन का कल्याण संभव नहीं है। इस अवसर पर बड़ी संख्या में समाजजन मौजूद थे।
सिंगोली में हर्षोल्लास से मनाया जा रहा है पर्युषण पर्व
सिंगोली। स्थानीय श्वेतांबर वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ द्वारा पर्युषण महापर्व स्वाध्यायी सुशील सुराणा बेगूं, भूपेंद्र पगारिया भीलवाड़ा, विजय नाहर पहुना वालों के सान्निाध्य में हर्षोल्लास से मनाया जा रहा है। स्थानक भवन में प्रतिदिन प्रार्थना, प्रवचन, शास्त्र वाचन, सायंकाल प्रतिक्रमण, पौषध आदि गतिविधियां हो रही हैं। साथ हीनित नई ज्ञान वर्धक प्रतियोगिताओं का आयोजन भी हो रहा है। इसमें ध्यान, अंताक्षरी,ओपन संगीत सहित अन्य प्रतियोगिताएं शामिल हैं।
फोटो-01एनएमएच-41, सिंगोली के स्थानक भवन में मौजूद समाजजन।
भगवान की आकर्षक आंगी रचना
हरवार। जैन समाज के पर्युषण में प्रतिदिन जैन मंदिरों में अनुष्ठान किए जा रहे हैं। इस दौरान गांव के श्री आदिनाथ जैन मंदिर में भगवान की आकर्षक आंगी रचना की गई। प्रतिदिन बड़ी संख्या में श्रावक-श्राविकाएं पहुंचकर भगवान की विशेष पूजा-अर्चना कर रहे हैं।
फोटो- 01एनएमएच-25, हरवार में श्री आदिनाथ जैन मंदिर में भगवान की आंगी रचना की गई।
संवत्सरी दिवस आज
जीरन। पर्युषण पर्व के अंतिम दिवस को संवत्सरी के रूप में मनाया जाएगा। नगर के सदर बाजार स्थित श्री रसिकलाल जीएम धारीवाल आराधना भवन में विराजित साध्वी अर्पितगुणा श्रीजी की निश्रा में दो सितंबर को आठ दिवसीय पर्युषण पर्व के अंतिम दिवस संवत्सरी दिवस मनाया जाएगा। इस दौरान समाजजन के प्रतिष्ठान पूर्ण रूप से बंद रहेंगे। समाजजन द्वारा उपवास की तपस्या की जाएगी।