शामगढ़(नईदुनिया न्यूज)। सुवासरा विधानसभा के अंतर्गत आने वाले शामगढ़ में न तो अस्पताल में
चिकित्सक हैं और न ही रेलवे स्टेशन पर आने-जाने के लिए ट्रेनें हैं। और यहां के विधायक कैबिनेट मंत्री भी है फिर सरकार में शामिल होकर मंत्री पद का क्या औचित्य है। जनहित के तो कोई भी कार्य नहीं हो रहे हैं। फिर जनता भाजपा को वोट क्यों दे।
यह बात नगर निकाय चुनाव में कांग्रेस पर्यवेक्षक सतीश पुरोहित (पूर्व उपमहापौर रतलाम) ने कही। वे गोधूलि पैलेस में कांग्रेस कार्यकर्ताओं को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने दावा किया कि शामगढ़ में इस बार कांग्रेस का बोर्ड बनेगा। इस दौरान पुरोहित ने अध्यक्ष एवं पार्षद पद के प्रत्याशियों से वन टू वन चर्चा भी की। अध्यक्ष पद हेतु छह और 15 वार्डों में पार्षद के लिए 35 ने दावेदारी पेश की है। हर वार्ड से दो से चार दावेदारों ने चुनाव लड़ने की इच्छा जताई। पर्यवेक्षक पुरोहित ने कहा कि जहां तक संभव हो भोपाल तक सर्वसम्मति से एक ही नाम जाए, ऐसे प्रयास किए जा रहे हैं। ऐसा नहीं होने पर दो या तीन की पैनल भेजी जाएगी। पार्षद पद के दावेदारों में यहीं पर सर्वसम्मति कराई जाएगी। कांग्रेस किसी भी हालत में शामगढ़ नगर परिषद पर कब्जा करेगी। सभी एकजुट होकर चुनाव लड़े तो सफलता निश्चित है। ब्लॉक अध्यक्ष दूलेसिंह पंवार, संध्यादेवी जायसवाल, मनोज मुजावदिया, अमित चौधरी, पवन पांडे, महेंद्र पोरवाल सहित कांग्रेस कार्यकर्ता मौजूद थे।
आज आएंगे कांग्रेस के पर्यवेक्षक
सीतामऊ। नगर परिषद चुनाव हेतु मप्र कांग्रेस कमेटी द्वारा नियुक्त पर्यवेक्षक सौरभ त्यागी छह फरवरी को आएंगे। वे सभी कार्यकर्ताओं से बात करेंगे। यह जानकारी देते हुए ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष गोविंदसिंह पंवार ने बताया कि मार्च-अप्रैल में होने वाले नगर परिषद चुनाव में अध्यक्ष तथा पार्षद पद हेतु इच्छुक दावेदारों के साथ ही कांग्रेस कार्यकर्ताओं की बैठक छह फरवरी को दोपहर एक बजे से पोरवाल मांगलिक भवन सीतामऊ में होगी।
जनप्रतिनिधियों की उदासीनता से मूलभुत सुविधाओं से वंचित क्षेत्र
सीतामऊ (नईदुनिया न्यूज)। क्षेत्र की जनता से पहले से चली आ रही सुविधाओं को छीना जा रहा है। इसमें भी जनप्रतिनिधि एवं राजनीतिक दलों की उदासीनता से नागरिकों में आक्रोश पनपने लगा है। क्षेत्रवासी मूलभूत सुविधाओं के मोहताज बने हुए हैं। ऐसे में जनाक्रोश का लावा कभी भी बह सकता है। उल्लेखनीय है कि हाल ही में शासन ने तहसील कार्यालय में संचालित कोषालय को बंद करने के आदेश जारी किए हैं। इससे पूर्व भी क्षेत्र से विधानसभा मुख्यालय का दर्जा छीना जा चुका है। धीरे-धीरे क्षेत्र के अधिकारों का हरण हो रहा है, मगर सत्तापक्ष और विपक्ष दोनों में ही हलचल नहीं दिख रही है। कोषालय बंद होने का विरोध सिर्फ अभिभाषक संघ ने किया है। उनका विरोध भी सिर्फ ज्ञापन देने तक ही सीमित रहा। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में चिकित्सकों की कमी है। स्वच्छता अभियान मिशन भी सार्थक परिणामों से रूबरू नहीं हो पाया है। सुविधाओं का हरण एवं समस्याओं से जूझ रहे लोगों में आक्रोश है।