
Pashupatinath Mandsaur: आलोक शर्मा, मंदसौर। उज्जैन में श्री महाकाल महालोक व काशी में विश्वनाथ कारिडोर धाम के बाद अब श्री पशुपतिनाथ लोक बनाने की तैयारी है। विशेषता यह है कि शिवना नदी मंदिर के पास बहती है। इससे यहां बनने वाला कारिडोर भव्य रूप में होगा।
मंदिर के आसपास अच्छी-खासी शासकीय जमीन है और जरूरत पड़ने पर निजी जमीन भी अधिग्रहित की जा सकती है। अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों की कोशिश है कि वर्ष 2028 में उज्जैन में होने वाले सिंहस्थ से पहले यह पूरा बनकर तैयार हो जाए, क्योंकि उस समय राजस्थान व अन्य प्रदेशों से लाखों श्रद्धालु मंदसौर होकर ही उज्जैन जाते हैं।
श्री पशुपतिनाथ लोक का विचार अभी शुरू हुआ है और जल्द ही कागजों पर पूरी योजना बनाने के लिए कंसल्टेंट की नियुक्ति की जा रही है। मंदिर प्रबंध समिति कंसल्टेंट को उपलब्ध जमीन के बारे में पूरी जानकारी देगी। इसके बाद प्लान तैयार कर डीपीआर बनाएंगे।
मंदिर के एक तरफ शिवना नदी होने से यह कारिडोर आकर्षक बनेगा और इसकी डिजाइन भी इसी तरह बनवाई जाएगी कि नदी किनारे बनने वाले घाट व अन्य निर्माण रात के समय रंग-बिरंगी लाइटिंग में आकर्षक लगें। बाढ़ के दौरान मंदिर तक पानी नहीं पहुंचे, इस पर भी विचार किया जाएगा।
शिव मंदिरों में भारत का तीसरा कारिडोर होगा
अब तक देश के शिव मंदिरों में सबसे पहले काशी व इसके बाद उज्जैन में कारिडोर (श्री महाकाल महालोक) बना है। अब सही समय पर श्री पशुपतिनाथ लोक तैयार होता है तो यह शिव मंदिरों में भारत का तीसरा कारिडोर बनेगा।
डिजाइन बनने के बाद ही तय होगी लागत
कलेक्टर गौतमसिंह ने बताया कि पशुपतिनाथ लोक की परिकल्पना की गई है। इसे मंदिर प्रबंध समिति की बैठक में रखा जाएगा, जिसमें इसकी डिजाइन और अन्य प्लान बनाने के लिए एक कंसल्टेंट एजेंसी की नियुक्ति भी की जाएगी। वह एजेंसी ही यहां उपलब्ध जमीन, कहां क्या बनेगा, शिवना नदी के किनारे के घाट कैसे रहेंगे, कारिडोर कितना बड़ा होगा आदि का समावेश कर डीपीआर बनाएंगे। इसके बाद ही इसकी लागत और अन्य बातें तय होंगी। हमारी कोशिश है कि इसे जल्द जमीन पर उतारा जाए, ताकि सिंहस्थ के पहले यह बनकर तैयार हो जाए।
इसलिए खास है भगवान पशुपतिनाथ महादेव की अष्टमुखी मूर्ति
विश्व में भगवान शिव की एकमात्र अष्टमुखी मूर्ति श्री पशुपतिनाथ महादेव की है। मूर्ति में आठों मुखों का नामकरण भगवान शिव के अष्ट तत्व के अनुसार किए गए हैं। 1- शर्व, 2 - भव, 3 - रुद्र, 4 - उग्र, 5 - भीम, 6 - पशुपति, 7 - ईशान और 8 महादेव के रूप में पूजे जाते हैं।
श्रावण माह में देश में सिर्फ इसी मंदिर में मनोकामना अभिषेक होता है। इतिहासकारों की मानें तो इस मूर्ति का निर्माण विक्रम संवत 575 ईस्वी के आसपास सम्राट यशोधर्मन के काल में हुआ होगा। मूर्तिभंजकों से बचाने के लिए इसे शिवना नदी में बहा दिया गया था। कलाकार ने प्रतिमा के ऊपर के चार मुख पूरी तरह बना दिए थे जबकि नीचे के चार मुख निर्माणाधीन थे। इसके बाद मूर्ति 1940 में शिवना नदी से निकाली गई। मंदसौर के पशुपतिनाथ की तुलना काठमांडू स्थित पशुपतिनाथ से की जाती है। नेपाल स्थित श्री पशुपतिनाथ महादेव चार मुखी हैं।