नईदुनिया प्रतिनिधि, मंदसौर। गांधीसागर अभयारण्य में दुर्लभ प्रजाति के स्याहगोश (कैराकल) की उपस्थिति दर्ज हुई है। यह बिल्ली प्रजाति का मांसाहारी जानवर है। वन विभाग द्वारा लगाए गए ट्रैप कैमरा में नर कैराकल कैद हुआ है, हालांकि अभी यह नहीं बताया गया है कि अभयारण्य में यह कितनी संख्या में है, लेकिन दुर्लभ प्रजाति के कैराकल के गांधीसागर अभयारण्य में दिखने से वन विभाग के अधिकारी खुश हैं।
उनका कहना है कि दुर्लभ माने जानी वाली प्रजातियों का अभयारण्य में दिखना जैव विविधता की दृष्टि से महत्वपूर्ण है। डीएफओ संजय रायखेरे ने बताया कि गांधीसागर अभयारण्य में संरक्षित आवासों की गुणवत्ता और संरक्षण के प्रति हमारी प्रतिबद्धता का प्रमाण है कि यहां दुर्लभ प्रजाति के जानवर भी दिख रहे हैं। कैराकल को स्थानीय रूप से स्याहगोश कहा जाता है।
कैराकल की उपस्थिति दर्शाती है कि गांधीसागर क्षेत्र के शुष्क और अर्द्ध-शुष्क पारिस्थितिकीय तंत्र अब भी इतने समृद्ध और संतुलित हैं जो इस दुर्लभ प्रजाति को आश्रय दे सकते हैं। मध्य प्रदेश में कई वर्षों बाद किसी संरक्षित क्षेत्र में कैराकल की पुष्टि हुई है, जो प्रदेश के लिए गर्व की बात है।
कैराकल मांसाहारी प्रजाति का अत्यंत शर्मीला, तेज गति से दौड़ने वाला और सामान्यत: रात्रिचर वन्यजीव है। यह मुख्य रूप से शुष्क, झाड़ीदार, पथरीले और खुली घास वाले इलाकों में मिलता है। भारत में अब यह प्रजाति विलुप्तप्राय श्रेणी में रखी गई है और इसकी उपस्थिति बहुत ही दुर्लभ मानी जाती है। कैराकल एक मध्यम आकार की बिल्ली है, जो भारत के मध्य और उत्तर पश्चिमी राज्यों में पाई जाती है।
वर्तमान में राजस्थान, गुजरात और मध्य प्रदेश तक ही सीमित है। इस प्रजाति को डब्ल्यूएएलपीए 1972 की अनुसूची-1 श्रेणी (उच्चतम सुरक्षा) के अंतर्गत वर्गीकृत किया गया है। भारत की दुर्लभ बिल्लियों में से एक एशियाई कैराकल को 19 फरवरी 2024 को मुरैना में चंबल नदी में एक सफारी के दौरान वैभव सांघवी द्वारा क्लिक किया गया था। यह छवि भी संभवतः रिकॉर्ड की गई सबसे दुर्लभ छवि में से एक है।