मंदसौर। रविवार नई आबादी स्थित संजय गांधी में श्री सुयश रामायण मंडल जनता कॉलोनी के द्वारा श्रीराम कथा का आयोजन प्रारंभ हुआ। कथा शुभारंभ के अवसर पर व्यासपीठ पर विराजित होकर पं दशरथ भाईजी ने धर्मालुजनों को रामकथा के महत्व से परिचित कराया, धर्मसभा में कहा कि रामचरित्र मानस भारतीय धर्म व संस्कृति का प्रतिबिम्ब है।
श्री राम कथा के प्रथम दिवस कथा शुभारंभ के मौके पर श्री सुयश रामायण मण्डल के द्वारा पोथी व कलश यात्रा निकली गई। जनता कॉलोनी के शीतलामाता मंदिर से विशेष पूजा अर्चना के बाद पोथी व कलश यात्रा प्रारंभ हुई। पंडित दशरथभाईजी एवं तीन छत्री बालाजी मंदिर खानपुरा के महंत श्री रामकिशोरदासजी महाराज के सानिध्य में यह पौथी व कलश यात्रा बैण्ड बाजे के साथ निकली। पंडित दशरथभाईजी ने बताया कि रामचरित मानस केवल एक ग्रंथ नही बल्कि आर्यावृत्त की धर्म व संस्कृति को प्रकट करने वाला विशिष्ट पुराण है। पंडित दशरथभाईजी ने कहा कि रामचरित मानस की रचना कर महर्षि तुलसीदासजी ने भारतवासियो पर अंनत उपकार किया है। यह ग्रंथ शिव व हरी विष्णु की महिमा को एकाकार करने की प्रेरणा देता है। रामचरित मानस में शिव व पार्वती की कथा एवं उसके बाद प्रभु श्रीराम की कथा दोनो ग्रंथ में समाहित है। आपने कहा कि जो भी धर्मालुजन रामचरित मानस की पौथी का पूरे मन वचन काया से पूजन करते है तथा आपने अपने घरो में इसका पाठ करते है। उन्हे प्रभु शिव व प्रभु राम दोनों की कृपा प्राप्त होती है। जीवन में जब भी रामकथा सुनने का अवसर मिले उस अवसर को नहीं चुकने दे। प्रभु राम भारत की भूमि पर निवास करने वाले करोडो लोगों की आस्था व विश्वास के प्रतीक है।
कथा शुभारंभ अवसर पर कथा के यमजान धर्मवीर रत्नावत परिवार ने पोथी पूजन किया। इस अवसर नाहरू खां व एवं पुष्पेन्द्र भावसार आदि उपस्थित थे।
भागवत कथा सुनने से मन का होता है शुद्धिकरण
गरोठ। ग्राम खारखेड़ा में आयोजित हो रही सात दिवसीय श्रीमद भागवत कथा के पांचवे दिन भगवान श्री कृष्ण की बाल लीलाओं का वर्णन किया गया तथा गोवर्धन गिरिराज की पूजा व परिक्रमा की गई। आचार्य पंडित तिलकराज शास्त्री महाराज श्रीधाम वृंदावन (पिछला वाले) ने कहा कि गिरिराजजी की परिक्रमा करने से कई जन्मों के पाप दूर हो जाते हैं और ब्रज में जाकर जो परिक्रमा का फल मिलता है। वहीं फल श्रीमद् भागवत की कथा में गिरिराजजी की परिक्रमा करने से मिल जाता है। भगवान कृष्ण की बाल लीलाओं का वर्णन विस्तारपूर्वक समझाया, कथा वाचक बताया कि भागवत कथा सुनने से मनुष्य के मन का होता हैं। शुद्धिकरण भागवत कथा में भीष्म पितामाह की झांकी का मंचन करते कलाकार कथा मे कहा कि हमारे भारत की धरा बहुत ही पुण्यशाली भूमि है। इस भूमि पर जन्म लेने के लिए देवता भी तरसते हैं। उन्होंने कहा कि भारत की संस्कृति व सभ्यता संसार में सर्व श्रेष्ठ है। इसे जीवन मे अपनाए। भगवान के प्रति अटूट श्रद्धा बनाए रखें। ईश्वर की कृपा के बगैर संसार मे कुछ नहीं होता हैं। कथा की सार्थकता तभी सिद्ध होती हैं जब इसे हम अपने जीवन के व्यवहार में धारण कर निरंतर हरि स्मरण हुए अपने जीवन में आत्मसात करें।