मंदसौर। शहरी क्षेत्रों से लेकर ग्रामीण अंचलों तक देवी के पौराणिक और नवनिर्मित मंदिर स्थित है, जहां श्रद्धाभाव से माता की पूजा-अर्चना की जाती है। देश के ग्रामीण इलाकोंं में दूर-दराज के इलाकों में देवी विराजमान हैै। इन जगहों पर नवरात्रि के अवसर पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं।
ऐसा ही एक मंदिर तहसील मुख्यालय भानपुरा से 12 किलोमीटर दूर भानपुरा-गरोठ मार्ग पर स्थित है, जिनको दूधाखेड़ी माताजी के नाम से जाना जाता है। नवरात्रि के अवसर पर भक्तों का मेला लगा हुआ है जिसमें हजारों श्रद्धालु गरोठ, भानपुरा, भवानीमंडी, रामगंज मंडी, झालावाड़, मंदसौर, शामगढ़, से आकर दर्शन कर रहे हैं।
भानपुरा तहसील का यह एक मात्र बड़ा धार्मिक स्थल है। इसका संचालन शासन की प्रबंध समिति करती है। ऐसी मान्यता है कि दूधाखेड़ी माताजी मंदिर में आने से ला-इलाज बीमारी के रोगी ठीक हो जाते हैं। आस्था विश्वास के कारण मंदिर में पूरे जिले में सर्वाधिक चढ़ावा आता है। प्रत्येक डेढ़ माह में यहां की दान पेटी से औसतन हर बार 25-35 लाख रुपए निकलते है। अब मंदिर विकास समिति यहां 30 करोड़ रुपए खर्च कर पूरे मंदिर परिसर का कायाकल्प कर रही है।
होल्कर राजवंश ने कराया जीर्णोद्धार
श्री दूधाखेड़ी माताजी की मूर्ति अत्यंत पुरानी है। इसके बारे में किवदंती है कि मूर्ति राजा मोरध्वज द्वारा स्थापित की गई थी कालांतर में इस मंदिर का जीर्णोद्धार अहिल्याबाई होल्कर द्वारा कराया गया। होल्कर राजवंश के लिए यह मंदिर सदैव श्रद्धा का केंद्र रहा है। समय के साथ लगातार श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ती जा रही है।
मास्टर प्लान के तहत मंदिर जीर्णोद्धार, सड़क चौड़ीकरण, फिजियोथेरेपी सेंटर, सुलभ कॉम्पलेक्स, भोजनशाला व संस्कृत पाठशाला के निर्माण कार्यों का भूमिपूजन हुआ है।