मंदसौर(नईदुनिया प्रतिनिधि)। महू-नीमच राजमार्ग पर तीन जगह से सड़क के बीच में आ रही डीपी को हटाने के दस सालों से मांग उठ रही थी। इसके बाद भी विद्युत वितरण कंपनी इसे हटाने को तैयार नहीं थी। इधर लोकोपयोगी सेवा की लोक अदालत में एक याचिका लगी। इसकों लेकर विद्युत कंपनी सहित जिम्मेदारों को नोटिस जारी कर 13 जनवरी तक जवाब देने को कहा गया था। न्यायालय में तारीख लगने से पहले ही कंपनी ने तीनों जगह से डीपी हटा दी हैं। इससे रोड भी चौड़ा हो गया हैं और अब दुर्घटनाओं का डर भी नहीं रहा है।
महू-नीमच राजमार्ग का चौड़ीकरण लगभग दस साल पहले प्रारंभ हुआ था। रोड चौड़ा भी हो गया उसके बाद भी तीन जगह बीटीआई कालेज के बाहर, वायडी नगर थाने के सामने व कृषि उपज मंडी से थोड़ा आगे बीच सड़क पर ही ट्रांसफार्मर(डीपी) लगी हुई थी राजमार्ग पर डिवाइडर निर्माण, चौड़ीकरण होने बाबजूद मप्र पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी, लोक निर्माण विभाग, नगर पालिका व यातायात विभाग ने डीपी हटाने की कोई कार्रवाई नहीं की। इस कारण कई राहगीर दुर्घटना का शिकार भी हो गए। यातायात विभाग द्वारा कोई संकेतक नहीं लगाने से भी लगातार दुर्घटनाएं हो रही थी। चारों विभागों को कई बार शिकायत भी की गई किंतु कार्रवाई के स्थान पर टालमटोल ही होता रहा। विद्युत वितरण कंपनी भी डीपी नहीं हटा रही थी।इससे असंतुष्ट होकर अभिभाषक पुखराज दशौरा व डा. राघवेंद्रसिंह तोमर ने अपर जिला सत्र न्यायाधीश एवं प्रधान न्यायाधीश लोकोपयोगी सेवा की लोक अदालत मो. रइस खान की अदालत में याचिका प्रस्तुत कर कार्यवाही का निवेदन किया था। इसमें मप्र पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी, लोक निर्माण विभाग, यातायात विभाग एवं नगर पालिका को भी प्रतिवादी बनाया गया था। पुखराज दशौरा व डा. राघवेंद्रसिंह तोमर ने बताया कि अदालत ने चारों विभागों को नोटिस भेजकर 13 जनवरी को तलब किया था। इसके पहले ही विद्युत वितरण कंपनी ने तीनों डीपी को रोड से हटाकर एक तरफ साइड में कर दिया गया है। गुरूवार को कोर्ट में पहुंचकर हटाई गई डीपी के फोटो भी पेश कर दिए। लोकोपयोगी सेवा की लोक अदालत के हस्तक्षेप के बाद वर्षों पुरानी गंभीर समस्या से आमजन को निजात मिली है। जबकि जिम्मेदार लोग इतने वर्षों से सभी को गुमराह कर रहे थे। अब दशौरा व तोमर ने प्रशासन से मांग की है कि अगर इतने वर्ष पूर्व सड़क निर्माण हुआ था उस समय विद्युत डीपी नहीं हटाने के क्या कारण रहे और इसके पीछे कौन दोषी रहा इसकी जांच कर कठोर कार्यवाही होना चाहिए।