नईदुनिया प्रतिनिधि, मंदसौर। गरोठ वन परिक्षेत्र में अफसरों-कर्मचारियों ने भ्रष्टाचार का नया उदाहरण पेश किया है। हनुमंतिया बीट में पौधे लगाने के बाद उनकी सिंचाई पर दो लाख चार हजार 48 रुपये खर्च किए गए। लगाए गए बिलों के मुताबिक, इनमें 1 लाख 53 हजार 600 रुपये का भुगतान टैंकर के लिए किया गया, वहीं सिंचाई की मजदूरी का भुगतान 50,448 रुपये रहा। खास बात यह है कि बिल में जो नंबर ट्रैक्टर के बताए गए, वह परिवहन विभाग में बाइक, मोपेड व स्कूटर के नाम पर पंजीकृत हैं, जबकि एक नंबर का तो परिवहन विभाग की वेबसाइट पर भी कोई रिकार्ड नहीं मिल रहा।
बता दें मंदसौर वन मंडल के अंतर्गत गरोठ वन परिक्षेत्र की हनुमंतिया बीट में 95.382 हेक्टेयर वन भूमि है। आरोप है कि यहां पदस्थ रहे वनरक्षक, परिक्षेत्र सहायक और वन परिक्षेत्र अधिकारी की मिलीभगत के चलते अभी तक वन क्षेत्र विकसित नहीं हो पाया है, जबकि कागजों में बिल भी लग रहे हैं। शिकायतकर्ता बालू सिंह निवासी किलगारी ने सूचना के अधिकार के तहत 15 फरवरी 2019 से 22 अप्रैल 2019 के बीच लगाए गए बिलों की पड़ताल की, तो धांधली सामने आई। 8 अप्रैल 2023 को शिकायत के दो साल बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई है। सीएम हेल्पलाइन पर भी शिकायत का निराकरण नहीं किया गया।
-ट्रैक्टर (एमपी 14-एए 6062) से 8 अप्रैल 2019 से 22 अप्रैल 2019 के बीच 20 दिन तक पानी पिलाया गया। 1200 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से 24,000 रुपये का भुगतान हुआ। इसके साथ ही तीन मजदूरों को 305.76 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से 18,345 रुपये का भुगतान किया गया।
-ट्रैक्टर (एमपी 14-के 2599) से 8 अप्रैल 2019 से 22 अप्रैल 2019 के बीच 15 दिन तक पानी पिलाया गया। 1200 रुपये एक दिन के हिसाब से 18,000 रुपये का भुगतान किया गया। इसके साथ ही पानी पिलाने वाले तीन मजदूरों को 305.76 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से 13,758 रुपये का भुगतान किया।
बिना नंबर के ट्रैक्टर व टैंकर से भी 8 अप्रैल 2019 से 22 अप्रैल 2019 के बीच 20 दिन तक पानी पिलाने के लिए 1200 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से 24,000 रुपये का भुगतान किया गया। वहीं, तीन मजदूरों को भी 305.76 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से 18,345 रुपये का भुगतान किया गया।
-ट्रैक्टर (एमपी 14-ए 7223) से 15 फरवरी 2019 से 5 मार्च 2019 के बीच 16 दिन तक पानी पिलाने के लिए 1200 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से 19,200 रुपये का भुगतान किया गया।
-ट्रैक्टर (एमपी 14-के 2599) से 11 अप्रैल 2019 से 20 अप्रैल 2019 के बीच भी नौ दिन तक टैंकर से पानी पिलाया गया। इन्हें भी 1200 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से 10,800 रुपये का भुगतान किया गया।
-ट्रैक्टर (एमपी 14-बीए 0682) से 15 फरवरी 2019 से 5 मार्च 2019 के बीच 16 दिन तक टैंकर से पानी पिलाया। इसके लिए 1200 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से 19,200 रुपये का भुगतान किया गया।
-ट्रैक्टर (एमपी 14-बीए 0682) से 6 मार्च 2019 से 21 मार्च 2019 के बीच 16 दिन तक टैंकर से पानी पिलाया गया। इसके लिए भी 1200 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से 19,200 रुपये का भुगतान किया गया।
-ट्रैक्टर (एमपी 14-ए 0353) से 15 फरवरी 2019 से 5 मार्च 2019 के बीच 16 दिन तक टैंकर से पानी पिलाया गया। इसके लिए भी 1200 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से 19,200 रुपये का भुगतान किया गया। इन बाइक व मोपेड से पानी पिलाया
-एमपी14-ए 0353- परिवहन विभाग में स्कूटर के नाम पर पंजीकृत -एमपी14-ए 7223- परिवहन विभाग में बुलेट मोटरसाइकिल के नाम पर पंजीकृत।
-एमपी 14-बीए 0682- परिवहन विभाग में मोपेड (लूना) के नाम पर पंजीकृत।
-एमपी 14-के 2599- परिवहन विभाग में कोई रिकॉर्ड नहीं मिला।
जब हमने वाउचर निकाले, तो उसमें टैंकर दर्ज था और परिवहन विभाग की वेबसाइट पर मोपेड, स्कूटर, बाइक बता रहे थे। अब वन विभाग को जवाब देना चाहिए कि दो पहिया वाहनों से कैसे लाखों लीटर पानी पिला दिया गया। इसकी जांच भी नहीं कर शिकायत ही दबा दी गई। -राजपालसिंह परिहार, आरटीआई कार्यकर्ता
पूरी जानकारी नहीं है। मेरे पास अभी मंदसौर का अतिरिक्त प्रभार है तो मामले की पूरी जानकारी नहीं है। पुराने समय में क्या हुआ है और क्या जांच हुई है यह देखकर ही बता पाएंगे। -एसके अटोदे, प्रभारी डीएफओ।