
हरिओम गौड़, नईदुनिया, मुरैना। किसी के घर-दुकान में चोरी हो जाए या फिर किसी का मोबाइल ही गुम हो जाता तो वह सीधे पुलिस थाने जाता है। लेकिन जब पुलिस थाने से ही केस डायरियों जैसे महत्वपूर्ण दस्तावेज गायब हो जाएं... तब पुलिस कहां जाए। ऐसा हुआ है, मुरैना जिले के थाना जौरा में। यहां लगभग 160 केस डायरियां गुम हो गई हैं। थाना से लेकर जिला पुलिस मुख्यालय तक इसको लेकर खलबली मची हुई है। एसपी ने एएसपी को मामले की जांचकर रिपोर्ट मांगी है।
हर साल नवंबर-दिवंबर महीने में पुलिस थानों में पेंडिंग अपराधों के निराकरण के लिए दिन-रात एक कर दिया जाता है। यही काम जौरा थाने में शुरू हुआ तो पता चला कि 160 एफआईआर से जुड़ीं केस डायरियां मिल ही नहीं रहीं। बताया गया है कि यह केस डायरियां साल 2023 से लेकर साल 2025 के मध्य तक दर्ज हुए अपराधों की हैं।
ये केस डायरियां मारपीट, गालीगलौज जैसे सामान्य अपराधों से लेकर धोखाधड़ी, डकैती, लूट, हत्या के प्रयास और हत्या जैसे कई संगीन अपराधों की हैं। इतनी संख्या में केस डायरियां थाने के पुराने भवन से नए भवन में रिकार्ड शिफ्ट करते समय कहीं भुला दी गईं या जिन विवेचकों को केस डायरियां सौंपी गईं, उन्होंने कहीं गुमा दी हैं, इसे लेकर कोई कुछ बोलने तैयार नहीं।
करीब 160 केस डायरियां खो जाने के कारण जौरा पुलिस को न्यायालय की नाराजगी का भी सामना करना पड़ रहा है। बताया गया है, कि करीब सौ प्रकरण ऐसे हैं, जिनके चालान कोर्ट में पेश नहीं हो पा रहे। चालान के साथ केस डायरी भी न्यायाधीश के समक्ष पेश की जाती है। जब केस डायरी नहीं तो जौरा पुलिस चालान कैसे पेश करे। बताया गया है कि 50 से अधिक केस डायरी तो ऐसी हैं, जिनके चालान पेश हो गए लेकिन अब वे आगे की कोर्ट सुनवाई व जांच लिए नहीं मिल रहीं।
ऐसी ही घटना करीब चार साल पहले मुरैना कोतवाली थाने में हुई, जब 60 केस डायरियां गुम हो गईं। इन केस डायरियों को दोबारा बनाना पड़ा। जौरा थाने में बीते साल भी 80 से 90 केस डायरियां नहीं मिलीं, तब थाना प्रभारी उदयभान सिंह यादव थे। उन्होंने भी वरिष्ठ अफसरों को शिकायत की, उसके बाद लगभग आधी केस डायरियां मिलने का दावा यादव कर रहे हैं। उदयभान सिंह वर्तमान में सिविल लाइन थाना प्रभारी हैं।