नईदुनिया प्रतिनिधि, मुरैना-कैलारस। ग्वालियर-श्योपुर ब्रॉडगेज लाइन का काम छोटे-छोटे चरणाें में पूरा कर उस पर ट्रेन चलाने का काम जिस गति से शुरू हुआ, लोकसभा चुनाव के बाद वह गति धीमी पड़ गई है। जौरा से कैलारस तक का रेलवे ट्रैक महीनों से बनकर तैयार है, छह महीने पहले इस पर ट्रेन चलाने का सफल ट्रायल हो चुका है, लेकिन ग्वालियर से जौरा तक चल रही मेमू ट्रेन कैलारस स्टेशन का रुख नहीं कर पा रही।
ग्वालियर-श्योपुर तक बन रहे 195 किलोमीटर लंबे ब्रॉडगेज ट्रैक का काम विधानसभा व लोकसभा चुनाव से पहले पूरी रफ्तार से चला। पिछले साल 2 अक्टूबर को इस ट्रैक पर ग्वालियर के बिरला नगर से सुमावली तक ट्रेन का संचालन शुरू किया। दूसरे चरण में लोकसभा चुनाव से पहले सुमावली से जौरा तक मेमू ट्रेन का संचालन शुरू हुआ।
जौरा से कैलारस तक 15.8 किलोमीटर का ट्रैक करीब सात महीने पहले तैयार हो गया और 16 फरवरी को रेल संरक्षा आयुक्त (सीआरएस) प्रणजीत सक्सेना, साथ झांसी रेल मंडल के मुख्य प्रशासनिक अधिकारी निर्माण मंजुल माथुर, मंडल रेल प्रबंधक दीपक सिन्हा आदि आला अफसरों की निगरानी में जौरा से कैलारस तक के ट्रैक पर ट्रेन चलाकर ट्रायल किया गया।
इस ट्रैक पर 120 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से ट्रेन चलाई गई। इसके बाद से इस रूट पर ट्रेन चलाने की चर्चाएं चल रहीं हैं। जौरा से कैलारस तक मेमू ट्रेन शुरू होने में हो रही देरी के पीछे श्रेय लेने की राजनीति भी मुख्य कारण बन गई है।
सत्तापक्ष के ही अलग-अलग खेमे के नेता कैलारस तक ट्रेन चलाने के लिए बीते छह महीने में कई बार नई-नई तारीख दे चुके हैं। हालांकि रेलवे की ओर से अधिकृत तारीख का ऐलान नहीं हुआ। झांसी रेल मंडल के अफसरों का कहना है, कि अगस्त महीने के अंतिम सप्ताह तक जौरा से कैलारस तक ट्रेन चलाने की तैयारी चल रही है।
प्लेटफार्म उखड़ने लगा, छत से टपक रहा पानी और गेट तक तोड़ दिए
कैलारस रेलवे स्टेशन भवन व परिसर के अन्य निर्माण काम गुणवत्ता को लेकर सवालों के घेरे में हैं। एक महीने पहले जब कैलारस में लगातार तीन दिन बारिश हुई, उसमें स्टेशन के नए नवेले भवन की छत से पानी की धार बहने लगीं। स्टेशन मास्टर के कक्ष, कंप्यूटर रूम, यात्री प्रतीक्षालय, टिकट काउंटर और रिजर्वेशन काउंटर की छत से पानी इतना टपका कि कई उपकरण भीग गए, फर्श पर पानी भर गया।
इतना ही नहीं, प्लेटफार्म तक की टाइल्स भी अपने आप उखड़ रही हैं। इन प्लेटफार्म पर अभी तक ट्रेन नहीं आई और नहीं यात्रियों का आना-जाना है, फिर भी यह हालत होने लगी है। स्टेशन पर सुरक्षा के इंतजाम नहीं होने से शौचालयों के गेट तोड़ दिए गए हैं। यात्रियाें के पेयजल के लिए बनाए गए नलों की टोंटियां तक चोरी हो गई हैं।
पानी पीने के लिए बनाई गई प्याऊ की टाइल्स भी उखड़कर ऐसी हालत हो गई है, मानो यह स्टेशन दशकों पहले बना हो। प्लेटफार्म, स्टेशन परिसर, यात्री प्रतीक्षालय में डलीं सीमेंट की कई बैंच तक तोड़ दी गई हैं। उजाले के लिए लगाई गई कई लाइट गायब हो गई हैं, कई लाइट तोड़ दी गई हैं।
कैलारस तक मेमू ट्रेन शुरू होने से नेशनल हाईवे 552 पर वाहनों का दवाब कम होगा। जो यात्री वाहन या निजी वाहन कैलारस से ग्वालियर के लिए चलते हैं, उनकी संख्या कम हो जाएगी। ट्रेन शुरू होते ही अधिकांश लोग ट्रेन से ग्वालियर तक की यात्रा इसलिए करेंगे, क्योंकि कैलारस से ग्वालियर तक चलने वाली बसें 100 से 120 रुपये तक किराया वसूलती हैं।
यात्रियों को ग्वालियर पहुंचने के लिए मुरैना में बस बदलनी पड़ती है। इस कारण ग्वालियर से कैलारस की यात्रा में साढ़े तीन घंटे से ज्यादा का समय लगता है। मेमू ट्रेन चलने पर किराया 20 से 22 रुपये के बीच देना होगा और यात्रा भी दो घंटे में पूरी हो जाएगी। यानी लगभग 100 रुपये व डेढ़ घंटे की बचत होगी।
जौरा से कैलारस तक का रेलवे ट्रैक तैयार है, सभी ट्रायल सफलतापूर्वक पूरे हो चुके हैं। इस महीने के अंत तक मेमू ट्रेन चलाने की तैयारी है। अगर ट्रेन चलाने को लेकर क्षेत्र में बार-बार तारीखों की चर्चा है इसकी हमें जानकारी नहीं। रेलवे ने अभी तक कोई तारीख तय नहीं की है। - मनोज कुमार, जनसंपर्क अधिकारी, झांसी रेल मंडल