मुरैना। जिले के दो स्टेट हाइवे को हाल ही में घोषित हुए एनएच-552 में शामिल किया गया है। इस नए नेशनल हाइवे को सबलगढ़ से पोरसा तक पड़ने वाले आधा दर्जन कस्बों के बाहर से बायपास बनाकर निकाला जाएगा। इन बायपास के निर्माण के बाद शहर से गुजरे सड़क मार्गों को नेशनल हाइवे के नक्शे से हटा दिया जाएगा।
बायपास निर्माण के बाद इन बायपास को ही नेशनल हाइवे का हिस्सा माना जाएगा। मध्यप्रदेश सड़क विकास प्राधिकरण ने नए बायपास तैयार करने के लिए प्रस्ताव भी तैयार करने शुरू कर दिए हैं। केंद्र सरकार ने हाल ही में मध्यप्रदेश के 4 राज्य मार्गों को एक करके नेशनल हाइवे क्रमांक 552 तैयार किया है। यह हाइवे मध्यप्रदेश के श्योपुर, मुरैना और भिंड से होकर गुजरा है और राजस्थान और उत्तरप्रदेश के शहरों को आपस में जोड़ता है।
इस राष्ट्रीय राजमार्ग पर श्योपुर जिले के बाद मुरैना का सबलगढ़ कस्बा पड़ता है। इसके बाद कैलारस, जौरा और फिर मुरैना शहर इसी हाइवे पर स्थित है। इसके बाद क्रमश: अंबाह और पोरसा कस्बे हैं, जो राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित हैं। राष्ट्रीय राजमार्ग पर बड़े शहरों की बसाहट से हाइवे का ट्रैफिक प्रभावित होता है। ऐसे में इन कस्बों के बाहर से बायपास निकालने के लिए एमपीआरडीसी सैद्धांतिक स्वीकृति जारी कर चुका है। यानी बहुत जल्दी ही कस्बे के बाहर से बायपास निर्माण के लिए सर्वे पूरा हो जाएगा।
मुरैना में पहले ही है बायपास मौजूद
मुरैना ने नेशनल हाइवे तीन को शहर से बाहर मुड़ियाखेड़ा गांव में अंबाह रोड से जोड़ने के लिए पहले ही बायपास का निर्माण किया गया था। यह बायपास पीडब्ल्यूडी महकमे के अधीन है। ऐसे में अगर एनएच 552 के लिए नया बायपास बनाया जाना हो तो मुरैना गांव से नेशलन हाइवे के बायपास चौराहे तक सड़क मार्ग बनाया जा सकता है। इसी योजना पर एमपीआरडीसी मुरैना में काम भी कर रहा है। ऐसे में एनएच-552 मुरैना में आते ही मुरैना गांव से मुड़कर वापस अंबाह रोड तक पहुंच जाएगा।
शहर के सड़क मार्ग दे दिए जाएंगे दूसरी एजेंसियों को
अब तक मुरैना शहर में करीब 3 किमी लंबाई का एमएस रोड का हिस्सा और इतनी ही लंबाई का अंबाह रोड का हिस्सा शहरी क्षेत्र में है। लेकिन अगर एनएच 552 के लिए बायपास बना दिए जाते हैं तो यह कुल 6 किमी लंबा हिस्सा एनएचए-552 से अलग हो जाएगा। इसके बाद या तो एमपीआरडीसी इसे अपने संरक्षण में रखेगी या फिर पीडब्ल्यूडी या अन्य किसी निर्माण एजेंसी को यह सड़क सुपुर्द कर दी जाएंगी। ऐसा ही कुछ जिले के दूसरे कस्बों की सड़कों के साथ बायपास निर्माण के बाद होगा।
यह है कस्बों के बीच की दूरी
सबलगढ़ से कैलारस के बीच की दूरी करीब 25 किलोमीटर है। कैलारस से जौरा की दूरी 18 किमी के करीब है। जौरा से मुरैना 27 किमी दूर है। मुरैना से अंबाह की दूरी 33 किमी के करीब है और अंबाह से पोरसा लगभग 15 किमी की दूरी पर है। ऐसे में मुरैना में करीब 9 किमी लंबा बायपास बनाया जा सकता है। वहीं दूसरे कस्बां में 3 किमी या इससे ज्यादा लंबाई के बायपास बनाए जा सकते हैं।
फिलहाल एमपीआरडीसी ही करेगी हाइवे की देख-रेख
एमपीआरडीसी के अधिकारियों की मानें तो नेशनल हाइवे की देखरेख आम तौर पर एनएचएआई ही करती है, लेकिन एमपीआरडीसी भी केंद्रीय भूतल एवं परिवहन मंत्रालय के अधीन है। इसलिए फिलहाल मुरैना से गुजरे नेशनल हाइवे क्रमांक 552 की देखरेख फिलहाल एमपीआरडीसी ही करेगी। यही वजह है कि एमपीआरडीसी ही बायपास निर्माण को लेकर फिलहाल सारे निर्णय ले रही है।
बायपास से लाभ
-कस्बों के आस-पास के गांव व बस्ती बायपास के जरिए हाइवे से जुड़ जाएंगी।
- बाहर का सारा ट्रैफिक इन्हीं बायपास से आगे बढ़ेगा।
- शहरी क्षेत्रों में जाम की समस्या खत्म हो जाएगी।
-भारी वाहनों के लिए इन्हीं बायपास के किनारे स्थानीय निकाय ट्रांसपोर्ट नगर आदि बनाएंगे जिससे रोजगार बढ़ेगा।
इनका कहना है
आबादी क्षेत्रों में बायपास का निर्माण प्रस्तावित है। बायपास बनने के बाद शहरी क्षेत्र के रास्ते एनएच-552 का हिस्सा नहीं रहेंगे। बल्कि बायपास को ही हाइवे का हिस्सा माना जाएगा। इसके लिए प्रक्रिया चल रही है।
पंकज ओझा, एजीएम एमपीआरडीसी ग्वालियर