Madhya Pradesh News: हरिओम गौड़, मुरैना। आजादी के 75 साल पूरा होने पर देश में नए संसद भवन की नींव गुरुवार को रखी जाएगी। वर्तमान संसद भवन 93 साल पहले अंग्रेजों ने 84 लाख रुपये में बनवाया था, जबकि नए संसद भवन पर 971 करोड़ रुपये का खर्चा आंका जा रहा है। जानकार बताते हैं कि अंग्रेजों ने वर्तमान संसद भवन का डिजाइन मुरैना जिले के एक छोटे से गांव में बने सदियांे पुराने मंदिर से लिया था। यह मंदिर है मितावली-पड़ावली का चौसठ योगिनी मंदिर।
संसद भवन का डिजाइन उस दौर से मशहूर ब्रिटिश वास्तुविद एडविन के लुटियन ने साल 1912-13 में बनाया था। इसका निर्माण ब्रिटेन के ही वास्तुविद सर हर्बर्ट बेकर की निगरानी में वर्ष 1921 में शुरू हुआ और 1927 में बनकर तैयार हुआ। उस समय इसके निर्माण पर 83 लाख रुपये खर्च हुए थे और 1927 में इसका उद्घाटन भारत के तत्कालीन वायसराय लार्ड इरविन ने किया था। भवन का निर्माण अंगेजों ने दिल्ली में एक नई प्रशासनिक राजधानी बनाने के लिए किया था, पर आजादी के बाद यह संसद भवन बना। 13 मई 1952 में इस भवन में पहली राज्यसभा लगी और इस भवन को संसद भवन कहा जाने लगा।
संसद भवन और चौसठ योगिनी मदिर में समानता
चौसठ योगिनी मंदिर 101 खंभों पर और संसद भवन 144 मजबूत स्तंभ पर टिका है। दोनों ही गोलाकार संरचना के हैं। चौसठ योगिनी मंदिर में 64 कक्ष हैं, संसद में कक्षों की संख्या 340 है। जिस तरह चौसठ योगिनी मंदिर के बीच में एक विशाल कक्ष है, जिसमें बड़ा शिव मंदिर है उसी तरह संसद भवन के बीच में विशाल हॉल है। संसद भवन आधा किलोमीटर की परिधि में बना है जिसका कुल व्यास 170.69 मीटर है।
1323 ईसवी में बना था चौसठ योगिनी मंदिर
मुरैना जिले के पडावली के पास, मितावली गांव में स्थित चौसठ योगिनी मंदिर स्थित है। एक शिलालेख के अनुसार इस मंदिर का निर्माण 1323 ईसवी में कच्छप राजा देवपाल ने करवाया था। इसका एक नाम इकंतेश्वर या इकोत्तरसो महादेव मंदिर भी है। कहा जाता है कि यहां तंत्र-मंत्र की शिक्षा ली जाती थी, इसी मान्यता के कारण इस मंदिर मंे आज भी कोई इंसान रात नहीं रुकता। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने इस मंदिर को प्राचीन और ऐतिहासिक स्मारक घोषित किया है। इस मंदिर का नामकरण इसके 64 कमरे और हर कमरे में शिवलिंग होने के कारण हुआ था।
इनका कहना है
संसद का डिजाइन चौसठ योगिनी मंदिर जैसा ही है। मंदिर से ही संसद का डिजाइन लिया गया है यह इतिहास में कहीं या फिर संसद में नहीं लिखा गया, लेकिन इस बात से किसी ने इंकार भी नहीं किया। चौसठ योगिनी मंदिर और संसद के गोलाकार डिजाइन से लेकर कई निर्माण एक जैसे हैं।
-अशोक शर्मा, पुरातत्वविद्, पुरातत्व विभाग मुरैना