नईदुनिया प्रतिनिधि, मुरैना-सबलगढ़। मुरैना जिले के सबलगढ़ कस्बे में कृषि उपज मंडी की 38 बीघा जमीन है। यह बेशकीमती जमीन सबलगढ़ के बीचोंबीच आ चुकी है, जहां कस्बे का मुख्य बाजार भी विकसित हो चुका है। इसी सरकारी जमीन से अतिक्रमण हटाने के लिए दो-चार नहीं, बल्कि 45 साल से ज्यादा समय ने नोटिस जारी किए जा रहे हैं।
कुछ अधिकारियों ने मकानों के आगे बुलडोजर तक खड़े करवाए, पर कोई भी 38 बीघा जमीन में से एक फीट का भी अतिक्रमण नहीं हटा पाया। स्थानीय प्रशासन ने कुछ दिन पहले फिर नोटिस जारी किए हैं। इसे लेकर लोगों का खुलकर कहना है कि, यह नोटिस अतिक्रमण हटाने नहीं, बल्कि अतिक्रामकों से मोटी उगाही का जरिया बन गए हैं।
सबलगढ़ कस्बे के पटवारी हल्का शिवलालपुरा के सर्वे नंबर 27 में कृषि उपज मंडी की 38 बीघा तीन बिस्वा जमीन है। 70 से 80 साल पहले कृषि मंडी ने कुछ गल्ला व्यापारियों को दुकान व मकान बनाने के लिए 600-600 वर्गफीट के प्लाट आवंटित किए थे, इन प्लाटों के आगे कृषि मंडी की खाली जमीन थी, जहां किसान अनाज से भरे ट्रैक्टर-ट्राली, बैलगाड़ी खड़े करते थे। समय के साथ इस जमीन पर अतिक्रमण होता गया।
स्थानीय प्रशासन के अनुसार कृषि मंडी की जमीन पर 374 लोगों का अतिक्रमण चिन्हित है, जहां आलीशान मकान, दुकानें व अन्य व्यवसायिक इमारतें तनी हैं। कुछ लोगों ने मंडी की जमीन को बेचकर उसकी रजिस्ट्री भी कर दी है, ऐसे एक मामले में तो सबलगढ़ थाने में केस भी दर्ज है। मंडी की जमीन पर इस अतिक्रमण के नाम पर सबसे पहले नोटिस का खेल साल 1980 में शुरू हुआ, जब तात्कालीन सबलगढ़ एसडीएम व मंडी प्रशासन ने मिलकर अतिक्रमण को हटाने के लिए नोटिस जारी किए।
नोटिस में मकान, दुकानें तोड़ने की चेतावनी दी गई, लेकिन एक फीट जमीन से भी अतिक्रमण नहीं हटा। कई व्यापारी खुलकर कहते हैं, कि उस समय 80 से 90 लाख रुपये की वसूली अतिक्रमण के नाम पर हुई। नियम-कायदों और कानून के नाम पर खिलवाड़ ऐसा हो रहा है, कि बीते 45 साल में अतिक्रमण हटाने के नाम पर 12 से 15 बार नोटिस जारी हो चुके हैं। कई बार ऐसा हुआ है, कि नया एसडीएम पदस्थ होने या फिर मंडी में कोई दबंग प्रवृत्ति का सचिव आता है, तो इन 374 लोगाें में से बड़े-बड़े नाम चिन्हित करके नोटिस जारी करते हैं और जेसीबी चलाने की चेतावनी दी जाती है।
वर्तमान एसडीएम वीके कटारे ने भी कुछ दिन पहले यह नोटिस जारी किए हैं। एसडीएम कटारे में सभी अतिक्रामकों की जगह कुछ चुनिंदा बड़े व्यापारियो को यह नोटिस थमाए हैं, इससे नोटिस के नाम पर वसूली के आरोप खुलकर लग रहे हैं। दूसरी तरफ नोटिस मिलने के बाद अतिक्रामकों में हडकंप मच गया है। सोमवार को एक प्रतिनिधि मंडल कलेक्टर से आकर मिला और मंगलवार को व्यापारियाें का एक प्रतिनिधि मंडल भोपाल पहुंचा है, जहां मंत्री व मंडी बोर्ड के अफसराें से मिलकर अतिक्रमण की जमीन को लीज पर दिए जाने की मांग रखी है।
मार्च 2013 में भी तत्कालीन एसडीएम अजय कटेसरिया ने मार्च 2013 में सबलगढ़ के संतर नंबर एक से पांच तक के 374 मकानों के बाहर अतिक्रमण चिन्हित किया। हाईकोर्ट के निर्देश पर अतिक्रमण हटाने का हवाला देकर 375 दुकान व चबूतरों को तोड़ने के लिए लाल निशान तक लगाए गए। पर अतिक्रमण के नाम पर एक चबूतरा तक नहीं हटाया, बाद में अतिक्रामकों पर करोड़ों रुपये का जुर्माना तय कर दिया, जिसे एडीएम ने माफ कर दिया। कमाल तब हो गया, जब इन्हीं एसडीएम ने 16 जुलाई 2016 को एक आदेश जारी कर जगदीश पुत्र रतनलाल गर्ग के घर के बाहर कृषि मंडी की 320 वर्गफीट जमीन का डायवर्सन कर दिया। इसी तरह नगर पालिका ने भी मंडी की कई जमीनों के नामांतरण कर डाले हैं, इनकी जांच हो तो कई मामले सामने आएंगे।
सबलगढ़ में कृषि मंडी की अरबों रुपये की जमीन है। इस जमीन की जांच पड़ताल करने के लिए 21 फरवरी 2006 में मंडी बोर्ड भोपाल के तात्कालीन मुख्य लेखा अधिकारी मनोज श्रीवास्तव ने सबलगढ़ आकर जांच की थी। मनोज श्रीवास्तव ने मंडी बोर्ड के तात्कालीन प्रमुख सचिव एमए खान को रिपोर्ट देकर बताया था, कि सबलगढ़ में कृषि मंडी की 47177 वर्ग फीट जमीन पर अतिक्रमण है। प्रमुख सचिव एमए खान ने इस अतिक्रमण को हटवाने के लिए मुरैना के तब के कलेक्टर आकाश त्रिपाठी को पूरी जांच रिपोर्ट भेजी और कार्रवाई के निर्देश दिए थे। कलेक्टर ने सबलगढ़ एसडीएम को आदेश जारी किए। 18 साल पहले भी किसी का अतिक्रमण नहीं हटा, बल्कि उसके बाद मंडी की अन्य खाली जगह पर भी अतिक्रमण हो गया।
बार-बार नोटिस क्यों दिए जाते हैं, इस बारे में मैं कुछ नहीं बता सकता। हम कुछ व्यापारी पहले कलेक्टर और फिर भोपाल में मंत्रीजी से मिले हैं। हमने मांग रखी है, कि जिस तरह मुरैना में पूर्व विधायक सोवरन मावई ने मंडी की जमीन व्यापारियों को लीज पर दिलाई, उसी तर्ज पर सबलगढ़ में भी घरों के सामने की जमीन लीज पर दी जाए, हम शासन द्वारा निर्धारित राशि जमा करने तैयार हैं। - उमेश मंगल, व्यवसायी, सबलगढ़
1980 से अब तक कई बार नोटिस दिए गए हैं, अतिक्रमण हटाने और कार्रवाई करने के नाम हर बार व्यापारियों को ठगा जा रहा है, उनसे वसूली की जाती है। वर्तमान एसडीएम साहब ने भी कुछ चुनिंदा लोगों को ही अतिक्रमण हटाने के नोटिस दिए हैं, जबकि अतिक्रमण तो पूरी जमीन पर है। इसके पीछे का उद्देश्य भी कार्रवाई का डर दिखाकर अवैध वसूली का है। - कमलेश शर्मा, निवासी, सबलगढ़
सीधी बात - वीके कटारे, एसडीएम सबलगढ़
नईदुनिया - कृषि मंडी की जमीन से अतिक्रमण हटाने के नाम पर 45 साल से नोटिस दिए जा रहे हैं, कार्रवाई क्यों नहीं होती?
एसडीएम कटारे - सभी अधिकारियों के काम करने का अलग-अलग तरीका होता है, पहले क्या हुआ यह मैं नहीं बता सकता। मैंने नोटिस दिए हैं और समयसीमा होने पर कार्रवाई भी होगी।
नईदुनिया - अतिक्रमण 374 लोगों का है, आपने कुछ चुनिंदा को ही नोटिस दिए हैं, ऐसा क्यों?
एसडीएम कटारे - मैंने 30 लोगों को अतिक्रमण के नोटिस दिए हैं, इनमें एक ने मंडी की जमीन बेच दी है, उस पर 420 का केस भी दर्ज है, ऐसे ही बड़े गड़बड़ी करने वालों को नोटिस दिए हैं।
नईदुनिया - आरोप लग रहे हैं कि यह नोटिस वसूली के लिए दिए जाते हैं, कार्रवाई के लिए नहीं?
एसडीएम कटारे - आरोप तो कार्रवाई करने पर लगते ही हैं, ये लोग गलत हैं तभी तो नोटिस दिए जाते हैं, अगर गलत नहीं होते तो नोटिस कैसे दे देते। मैंने सुना है कि कुछ व्यापारी भोपाल गए हैं, वहां से मंडी की जमीन को लीज पर लेने का आदेश हो जाएगा, तो उस हिसाब से कार्रवाई कर देंगे, तब आरोप लगेंगे कि वसूली के लिए यह नोटिस दिए गए।