Morena celebrations of rebel surrender: मुरैना। नईदुनिया प्रतिनिधि! चंबल के बीहड़ डाकुओं के लिए कुख्यात रही है, तो इसी चंबल की धरती ने पूरी दुनिया को शांति व अहिंसा का संदेश दिया था, जब जौरा के गांधी सेवा आश्रम में 654 डाकुओं ने आत्मसर्पण किया था। डकैतों का यह दुनिया का सबसे बड़ा समर्पण था, जिसे 50 साल हो रही है। बागी आत्मसर्पण की स्वर्णजयंती को 12 से 16 अप्रैल तक मनाया जाएगा, इसमें देशभर से गांधीवादी शामिल होंगे। सोमवार को पत्रकारों से चर्चा करते हुए यह जानकारी सर्वोदय समाज के राष्ट्रीय संयोजक व प्रख्यात गांधीवादी राजगोपाल पीवी ने कहीं।
राजगोपाल पीवी ने बताया, कि गांधीवादी डा. एसएन सुब्बाराव की प्रेरणा से 14 अप्रैल 1972 को जौरा में लोकनायक जयप्रकाश नारायण के समक्ष 654 बागी दस्युओं ने अपने हथियार महात्मा गांधी के चित्र के समक्ष डाले थे। यह घटना पूरी दुनिया के लिए अहिंसक मूल्यों पर रचनात्मक समाज की स्थापना की ओर एक महत्वपूर्ण कदम था। कालांतर में इन सभी समर्पित बागियों और पीड़ितों के परिवारों के लिए महात्मा गांधी सेवा आश्रम के द्वारा पुनर्वास का कार्य किया गया। पत्रकार वार्ता में महात्मा गांधी सेवा आश्रम के सचिव रनसिंह परमार ने बताया कि पूरी दुनिया में ह्दय परिवर्तन का यह एक अनूठा प्रयोग था। डा. सुब्बाराव की इच्छा थी कि बागियों के हृ्दय परिवर्तन की इस घटना के 50 वर्ष पूरे होने पर इस दिन दुनिया को जौरा से शांति व अहिंसा का चम्बल घाटी से प्रचार प्रसार हो, इसलिए बागी आत्मसमर्पण की स्वर्ण जयंती के अवसर पर 12 से 16 अप्रैल के बीच राष्ट्रीय युवा नेतृत्व शिविर, 14 अप्रैल को बागी आत्मसमर्पण दिवस और 14 अप्रैल से 16 अप्रैल के बीच अखिल भारतीय सर्वोदय समाज सम्मेलन का आयोजन किया जाएगा। स्वर्ण जयंती कार्यक्रम में चंदनपाल अध्यक्ष सर्व सेवा संघ, अमरनाथ भाई राष्ट्रीय युवा संगठन, जल पुरूष राजेन्द्र सिंह, पर्यावरणविद डाक्टर वंदना शिवा, डा. रजनीश अध्यक्ष गांधी दर्शन समिति राजघाट नई दिल्ली, इलाहाबाद विश्वद्यिालय के डा. प्रदीप शर्मा के अलावा केन्द्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, समाजवादी चिंतक मोहन प्रकाश, पूर्व सांसद सदस्य भक्त चरण दास आदि मौजूद थे।
आत्मसर्पिंत बागी आएंगे, बताएंगे अपने अनुभव
राजगोपाल पीवी ने बताया कि बागी आत्मसमर्पण दिवस के अवसर पर आत्मसमर्पित बागियों में जीवित बचे बागियों बहादुर सिंह कुशवाहा (कमला का पुरा, मुरैना), घमंडी सिंह (कोटसिरधरा, मुरैना), अजमेर सिंह यादव (कुलेथ, ग्वालियर), सोबरन सिंह (माधोगढ़, मुरैना),कूट सिंह उर्फ कुटटा (गोहटा, ष्योपुर), पंचम सिंह चौहान, मानसिंह व तिलक सिंह (लहार, भिण्ड), और खरगा कपूरी बाई (राजाखेड़ा धौलपुर) कार्यक्रम में अपने अपने अनुभवों को भी साझा करेंगे। युवा नेतृत्व शिविर में पूरे देश भर के 300 और मध्यप्रदेश के कई जिलों से 200 नवयुवक-नवयुवतियां, एकता परिषद व साथी संगठनों के 500 जमीनी स्तर पर शांति व न्याय के लिए काम कर रहे सामाजिक कार्यकर्ता सहित जाने-माने 200 गांधीवादी वरिष्ठ कार्यकर्ता सहित स्थानीय किसान, मजदूर व व्यापारियों का समूह भाग लेगा।