मुरैना(नईदुनिया प्रतिनिधि)। चंबलों के बीहड़ों में अटल चंबल प्रोग्रेस-वे को बनाने के लिए केंद्र सरकार ने इस प्रोजेक्ट को भारत माला परियोजना में शामिल कर लिया है। यानी 6000 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाले अटल प्रोग्रेस-वे का पूरा खर्च भारत सरकार उठाएगी। मप्र सरकार को इस इंटर स्टेट मेगा हाइवे के लिए राष्ट्रीय सड़क विकास प्राधिकरण (एनएचएआई) को जमीन आवंटित करनी है। मुरैना, भिंड और श्योपुर जिला प्रशासन ने सरकारी जमीन को आवंटित कर दी है, लेकिन निजी भूमि अधिग्रहण की कोई स्पष्ट गाइडलाइन सरकार ने ही जारी नहीं की, इसी कारण तीनों जिलों के अफसर पशोपेश में हैं। नतीजा अटल प्रोग्रेस-वे के लिए तीनों जिलों में निजी क्षेत्र की एक इंच जमीन का अधिग्रहण नहीं हो पाया, ऐसे में चंबल में विकास की इस नई इबारत में देरी होना लाजिमी है।
अटल चंबल प्रोग्रेस वे कुल 404 किलोमीटर का बनेगा, जो राजस्थान के दीगोद (कोटा-दिल्ली नेशनल हाइवे) से शुरू होकर श्योपुर, मुरैना और भिंड जिले के बीहड़ों से गुजरते हुए उत्तर प्रदेश के इटावा दिल्ली-आगरा-मुंबई नेशनल हाइवे) से जुड़ेगा। इस 404 किमी के प्रोग्रेस वे का 309 किमी का हिस्सा मुरैना, श्योपुर और भिंड जिले में बनेगा। चंबल के बीहड़ों में बनने वाले इस प्रोग्रेस-वे के लिए राजस्व विभाग की 1523 हेक्टेयर जमीन है और वन विभाग की 291 हेक्टेयर जमीन यानी कुल 1814 हेक्टेयर सरकारी जमीन है, जिसमें से अधिकांश का आवंटन एनएचएआई को हो चुका है। इसके अलावा तीनों जिलों के 149 गांवों के करीब साढे तीन हजार से ज्यादा किसानों की 1249 हेक्टेयर जमीन का आवंटन होना है। इनमें से अभी तक एक भी किसान अपनी जमीन देने के लिए राजी नहीं है, क्योंकि सरकार ने जमीन अधिग्रहण की कोई स्पष्ट गाइडलाइन ही जारी नहीं, इस कारण मुरैना, श्योपुर व भिंड जिला प्रशासन भी निजी जमीनों के अधिग्रहण में अब तक कोई विशेष रुचि नहीं ले रहा।
कहीं दोगुनी जमीन तो कहीं जमीन के बदले जमीन का वादाः
अटल प्रोग्रेस-वे के लिए निजी जमीन का अधिग्रहण करने के लिए कई तरह की बातें की गईं। सरकार ने कोई स्पष्ट गाइडलाइन जारी नहीं की, इसीलिए मुरैना जिले में जमीन के बदले जमीन देने का वादा किसानों से किया गया। वहीं श्योपुर जिले में जमीन के बदले दोगुनी जमीन देने का वादा किसानों से किया गया, यानी किसी की एक बीघा जमीन प्राग्रेस-वे के लिए ली जाएगी तो उस किसान को दो बीघा जमीन प्रशासन दूसरी जगह पर देगा, लेकिन सरकार ने दोगुनी जमीन देने की कोई नीति जारी नहीं की। इस भ्रांति के कारण श्योपुर जिले में तो किसानों ने जमीन अधिग्रहण का विरोध कर दिया और इसे लेकर किसानों ने संघर्ष समिति के नाम पर एक संगठन खड़ा कर दिया, जो जमीन के बदले नगद मुआवजे की मांग कर रहा है। इन सबके इतर भिंड जिले में शुरुआती दौर में किसानों को जमीन के बदले नकद मुआवजा दिलाने के वादे नेता व अफसरों ने किए। बाद में जमीन के बदले जमीन की बातें कहीं गईं, ऐसे भ्रामक हालातों ने भिंड जिले के किसानों को भी इस प्रोजेक्ट से फिलहाल विमुख कर रखा है।
मुरैना में प्रोग्रेस-वे
- मुरैना जिले में 144 किलोमीटर का बनेगा।
- इसके लिए कुल 1694 हेक्टेयर जमीन चाहिए।
- राजस्व विभाग की 986 हेक्टेयर जमीन है जो तीन महीने पहले आवंटित हो चुकी है, वन विभाग की 121 हेक्टेयर जमीन है जिसके आवंटन की तैयारी है।
- निजी क्षेत्र की 587 हेक्टेयर जमीन जो 70 गांवों के करीब 1600 किसानों से ली जानी है, लेकिन एक भी किसान से जमीन आवंटित नहीं हुई है।
श्योपुर में प्रोग्रेस-वे
- श्योपुर जिले में में 97 किलोमीटर का बनेगा।
- जिले में 919 हेक्टेयर जमीन कुल चाहिए।
- 350 राजस्व भूमि जो एनएचएआई को आवंटित हो चुकी है, 15 हेक्टेयर वन विभाग की जमीन के आवंटन की प्रक्रिया चल रही है।
- 554 हेक्टेयर जमीन निजी क्षेत्र की है जो 54 गांवों के 1465 किसानों से ली जानी है, जिसमें से एक का भी भूमि अधिग्रहण नहीं हुआ।
भिंड में प्रोग्रेस-वे
- भिंड जिले में 67 किमी का हिस्सा होगा।
- इसके लिए कुल 450 हेक्टेयर जमीन चाहिए।
- राजस्व विभाग की 187 हेक्टेयर जमीन है जो आवंटित हो चुकी है, वन विभाग की 155 हेक्टेयर जमीन के आवंटन की प्रक्रिया चल रही है।
- निजी क्षेत्र की 108 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण होना है, जो करीब 450 किसानों की है, लेकिन एक भी किसान जमीन देने राजी नहीं।
वर्जन
- रेलवे ने भी जमीनों का अधिग्रहण किया है, उन्होंने जमीन के बदले नकद मुआवजा किसानों को दिया है। भारत सरकार की निजी जमीन के अधिग्रहण के लिए जो गाइडलाइन है उसके हिसाब से जमीनें ली जाएं तो किसान विरोध नहीं करेंगे। किसान भी समझते हैं कि यह प्रोजेक्ट अंचल में विकास लाएगा, लेकिन जिस तरह किसानों की जमीन लेने की योजना है, वह सही नही इसीलिए किसान राजी नहीं हो रहे।
रामप्रसाद रावत,किसान, सबलगढ़
अटल चंबल प्रोजेक्ट-वे के लिए हमने राजस्व की जमीन का आवंटन कर दिया है। वन विभाग की जमीन के आवंटन की प्रक्रिया भी चल रही है जो जल्द पूरी हो जाएगी। निजी जमीन के अधिग्रहण को लेकर कोई स्पष्ट गाइडलाइन नहीं आई। दोगुनी जमीन देने का तो कोई नियम ही नहीं है। जो दिशा निर्देश मिलेंगे उसके हिसाब से किसानों की जमीन का अधिग्रहण होगा।
शिवम शर्मा,कलेक्टर, श्योपुर
जमीन के बदले जमीन देने के आदेश मिले थे, उसी हिसाब से अधिग्रहण की तैयारी की थी, लेकिन इस प्रोजेक्ट के लिए अभी तक मुरैना जिले में किसी किसान की जमीन का अधिग्रहण नहीं हुआ। सरकारी जमीन का आवंटन तो हम तीन महीने पहले ही एनएचएआई को कर चुके हैं।
संजीव जैन,संयुक्त कलेक्टर, मुरैना