मुरैना(नईदुनिया प्रतिनिधि)। जौरा कस्बे सहित ढाई दर्जन से ज्यादा गांवों को पीने का पानी मुुहैया कराने वाले पगारा डैम अब बारिश के भरोसे नहीं रहेगा। यदि बारिश पर्याप्त नहीं होती और डैम खाली रहता है, तो इसकी पूर्ति अब चंबल नहर के पानी से की जाएगी। सिंचाई विभाग ने 18 किलोमीटर दूर चंबल नहर से पगारा डैम में पानी लाने की डिटेज प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) बनाई है, जिसे शासन को स्वीकृति के लिए भेजा गया है।
गौरतलब है, कि जौरा क्षेत्र में देश की आजादी से पहले साल 1931 में बने पगारा डैम बनाया गया था। यह जिले का सबसे बड़ा डैम है, जिसकी क्षमता 120 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी की है। लेकिन कई बार पर्याप्त बारिश नहीं होने से डैम खाली रह जाता है। इसी कमी को पूरा करने के लिए सिंचाई विभाग ने चंबल नहर के पानी से पगारा डैम को भरने की योजना तैयार की है। इसके लिए 18 किलोमीटर दूर पहाड़गढ़ क्षेत्र के जडेरू गांव से चंबल नहर से पाइप लाइन के जरिए पगारा डैम तक पानी लाया जाएगा। इस पूरे प्रोजेक्ट पर 200 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है। सिंचाई विभाग के अनुसार चंबल नहर के पानी से पगारा डैम को उसकी क्षमता का 80 फीसद यानी 96 मिलियन क्यूबिक मीटर तक भरा जा सकता है।90 साल से ज्यादा पुराना पगारा डैम कई गांवों की प्यास बुझाने से लेकर हजारों हेक्टेयर जमीन की सिंचाई करता है, इसी मायने में यह काम बहुत महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
इसलिए खास है यह प्लानिंगः
पगारा डैम से जौरा कस्बे सहित आसपास के 32 गांवों को पीने का पानी मुहैया कराया जाता है। इतना ही नहीं इस डैम के पानी को आसन नदी के जरिए जिले के दो अन्य डैम कोतवाल व पिलुआ डैम को भी भरा जाएगा। इन डैमों के पानी से मुरैना जिले की चार हजार हेक्टेयर और फायदा भिंड व गोहद क्षेत्र की एक लाख हेक्टेयर से ज्यादा जमीन की सिंचाई होती है। चंबल नहर के पानी से पगारा डैम भरते ही पेयजल व सिंचाई के लिए पानी की आपूर्ति ठप नहीं होगी।चंबल नहर में सर्दी के सीजन में जब गेहूं की फसलों की सिंचाई होती है, तब भरपूर पानी चलता है। ऐसे में सर्दी के दिनों में चंबल नहर के पानी से पगारा डैम को भरा जाएगा।
तीन साल से ओवरफ्लो नहीं हुआ पगारा डैमः
सिंचाई विभाग पगारा डैम को चंबल नदी के पानी से भरने की योजना इसलिए बना रहा है, क्योंकि कई बार पर्याप्त बारिश नहीं होती और डैम खाली रह जाता है। ऐसे में सिंचाई व पेयजल के पानी में कटौती करनी पड़ती है। पगारा डैम का रिकार्ड बता रहा है कि साल 2019 में ओवरफ्लो हुआ था, इसके बाद तीन साल से यह डैम अपनी क्षमता से फुल नहीं भर पाया है, क्योंकि पर्याप्त बारिश नहीं हुई। वर्तमान में भी हालत यह है, कि मानसून सीजन का डेढ़ महीने से ज्यादा बीत गया है और पगारा डैम अभी भी 55 फीसद से ज्यादा खाली है।
आसन बैराज के पानी से सुमावली में होगी सिंचाईः
सुमावली के पास आसन नदी पर बैराज बनाया जा रहा है। इस साल यह बैराज को बारिश के पानी से नहीं भरा जा रहा, क्योंकि आसन नदी पर निर्माणाधीन पुल बैराज को भरते ही डूब जाएगा। इस बैराज के पानी को ग्वालियर के तिघरा बांध तक पानी ले जाने की योजना है। इसके अलावा इसके पानी से सुमावली क्षेत्र की फसलों को सिंचाई के लिए पानी दिया जाएगा। इसके लिए 46 किलोमीटर लंबी पाइप लाइन बिछाकर सुमावली तक पानी ले जाया जाएगा। इस प्रोजेक्ट पर 120 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है।
वर्जन
- कई बार पर्याप्त बारिश नहीं होने से पगारा बांध खाली रह जाता है। तीन साल से यह बांध ओवरफ्लो नहीं हुआ है। हमने विकल्प के तौर पर चंबल नहर के पानी से पगारा डैम को भरने की योजना तैयार की है। 200 करोड़ की इस योजना की डीपीआर शासन को भेजी है। स्वीकृति मिलते ही इस पर काम शुरू हो जाएगा।
आरपी झा
मुख्य अभियंता, सिंचाई विभाग