हरिओम गौड़, नईदुनिया, मुरैना-पहाड़गढ़: पहाड़गढ़ से श्योपुर जिले के सहसराम तक की 52 किलोमीटर लंबी टूलेन सड़क का निर्माण पिछले साल ही पूरा हुआ है। इस सड़क से मानपुर और गूलापुरा की ओर मुड़ते ही दोनों ओर खैर के पेड़ाें का घना जंगल दिखता है, लेकिन यह जंगल मृगतृष्णा जैसा ही हो गया है, जो दिखने में घना लगता है, लेकिन सड़क से 400 से 500 मीटर अंदर जाकर देखा तो पेड़ों की जगह कटे हुए ठूंठों का जंगल नजर आ रहा था, कहीं चाटी चलाकर समतल की गई जंगल की जमीन तो कहीं सैकड़ों बीघा में बने खेत, जिनमें सरसों की फसल के अवशेष खड़े नजर आ रहे थे।
पहाड़गढ़ के जंगल में अतिक्रमण की सूचना व शिकायताें के बाद नईदुनिया संवाददाता झुलसाने वाली गर्मी में जंगल के बीच पहुंचा तो जो नजारा दिखा वह रोंगटे खड़े कर देने वाला था। भू-माफिया जंगल की जमीन के लिए बेशकीमती खैर के पेड़ों की अंधाधुंध कटाई कर रहे हैं, पेड़ों को जला रहे हैं।
गौरतलब है, कि पहाड़गढ़ तहसील के मानपुर, रकेरा, गूलापुरा क्षेत्र में घना जंगल था, जिसमें केवल खैर के पेड़ थे, इसीलिए इस क्षेत्र को खैराई के नाम से पहचाना जाता है। भू-माफिया तेजी से इस जंगल को उजाड़ रहे हैं। जहां कभी घना जंगल हुआ करता था, वहां अब खैर के पेड़ों के काटे जाने के बाद हजाराें की संख्या में ठूंठ ही ठूंठ नजर आ रहे हैं।
भू-माफिया खैर के जंगल को उजाड़कर उसे खेत बनाने के लिए इतने बेखौफ हैं, कि जहां समतल जंगली जमीन देखी उसकी झाड़ियाें से बागड़ कर कब्जे में ले लेते हैं। इसके बाद खैर के पेड़ों की कटाई होती है। पेड़ों को काटकर जंगल में ही जला दिया जाता है, इस कारण जगह-जगह जले हुए पेड़ों की राख के ढेर, अधजले पेड़ नजर आते हैं। जंगल की जमीन पर चाटी चलाकर उसे सपाट करके हजारों बीघा जमीन में खेती हो रही है। बारिश से पहले जंगल को उजाड़ने का का जोरों पर है। हर महीने 80 से 90 बीघा जमीन पर कब्जा हो रहा है।
मानपुर, रकेरा, गूलापुरा क्षेत्र के खैर के जंगल में बीते डेढ से दो साल में डेढ़ हजार बीघा से ज्यादा का जंगल नष्ट कर उसे खेत बना लिए गए हैं। जिस जंगल में वन विभाग की तार फेंसिंग व बाउण्ड्री के पत्थर चोरी हो रहे हैं, उसी जंगल में भू-माफिया जंगल काटकर बनाए गए खेतों की बाउण्ड्री बड़ी शान से कर रहा है। लगातार उजड़ रहे जंगल को बचाने वन विभाग का भरापूरा अमला है, लेकिन जहां जगल उजड़ रहा वहां महीनों-महीनाें रेंजर तो क्या वनरक्षक तक नहीं जा रहे।
खैर का पेड़ बेहद कीमती एवं मजबूत होता है। खैर के गोंद में कई औषधीय गुण होते हैं, इसलिए इसके गोंद का उपयोग कई प्रकार की दवाओं में होता है। खैर की लकड़ी से ही कत्थे का निर्माण होता है और खैर की लकड़ी का कोयला सबसे महंगा व अच्छा कोयला होता है। सरकार के नियमानुसार वन विभाग को खैर के एक-एक पेड़ का हिसाब रखना होता है। सूखकर गिरे पेड़ को वन विभाग की कत्था बनाने वाली फैक्ट्री को नीलामी में बेचता है, लेकिन पहाड़गढ़ में यह बेशकीमती पेड़ काटकर आग के हवाले कर राख में तब्दील कर दिया गया है।
जिस तरह की स्थिति आपने बताई है, वह बेहद चिंताजनक है। पहाड़गढ़ क्षेत्र में एसडीओ, रेंजर से लेकर अन्य मैदानी अमला भरपूर संख्या में है, हर बीट में नियिमत गश्त करने के निर्देश हैं, इसके बाद भी जंगल में पेड़ काटे जा रहे हैं, जमीन पर कब्जा कर खेती हो रही है तो गलत है। मैं अभी टीम भेजकर इसकी जांच करवाता हूं। जंगल में अतिक्रमण करने वालों के अलावा लापरवाही बरतने वाले कर्मचारियों पर भी कार्रवाई होगी।-
स्वरूप दीक्षितडीएफओ, मुरैना