अब तक जितने भी सांसद चुने गए हैं, उनमें से नरेंद्र सिंह तोमर ही ऐसे नेता माने जाते हैं, जिन्होंने मुरैना व श्योपुर जिले को समान महत्व, बजट व सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाया। बीते साल दिसंबर में विधानसभा चुनाव जीतने पर नरेंद्र सिंह तोमर ने लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। अब वह मध्य प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष हैं।
नरेंद्र सिंह तोमर के प्रयासों से श्योपुर-मुरैना-ग्वालियर ब्रॉडगेज लाइन का काम तेजी से शुरू हुआ। इस रूट पर गांधी जयंती पर पहली मेमू ट्रेन ग्वालियर से सुमावली तक चली। अब सुमावली से कैलारस तक विस्तार की तैयारी है।
शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में अच्छी सड़कें स्वीकृत करवाई, तो चंबल नदी के अटार घाट व उसैद घाट पर पुल बनवाकर अंचल को राजस्थान व उत्तर प्रदेश से भी सीधे जोड़ा। नरेंद्र सिंह तोमर ने मुरैना स्थित त्रेतायुगीन शनि मंदिर को विश्व स्तर पर पहचान दिलाने का भी प्रयास किया।
अब राज्य सरकार इस मंदिर पर भी उज्जैन महाकाल मंदिर की तरह कॉरिडोर बना रही है। मुरैना की गजक को दुनियाभर में पहचान दिलाने के लिए इसे जीआई टैग दिलाने का श्रेय भी नरेंद्र सिंह तोमर के खाते में है। यहां उत्पादित होने वाले शहद को बाजार दिलाने के लिए उन्होंने खाद्य प्रसंस्करण यूनिट शुरू करवाई तो ग्रामीण क्षेत्रों में उच्च शिक्षा के लिए कई कालेज भी खुलवाए। इन उपलब्धियों के बीच कई काम ऐसे हैं, जो पूरे नहीं हो सके या फिर फाइलों से ही बाहर नहीं आ सके।
इन कार्यों में नहीं मिली सफलता
जिन कामों में नरेंद्र सिंह तोमर को अपेक्षित सफलता नहीं मिली, उनमें सबसे बड़ी परियोजना चंबल एक्सप्रेस-वे है, जो योजना से ही बाहर नहीं निकल पाया। नरेंद्र सिंह तोमर ने उन्नत तिलहन बीजों की खेती के लिए बीहड़ों में बीज विकास निगम का फार्म हाउस स्वीकृत करवाया। 100 करोड़ रुपये की लागत वाला यह फार्म हाउस भी अधूरा पड़ा है। मुरैना में मेडिकल कॉलेज का काम शुरू नहीं हो पा रहा। नूराबाद उद्यानिकी नर्सरी में करोड़ों रुपये खर्च करके दो बार इंडो-इजराइल पद्धति से खेती के प्रोजेक्ट लगाए। दोनों बार यह प्रोजेक्ट सफल नहीं हो पाया।
बेटे के बहुप्रसारित वीडियो से राजनीतिक नुकसान
वर्ष 2023 के विधानसभा चुनाव में नरेंद्र सिंह तोमर दिमनी विधानसभा से भाजपा प्रत्याशी थे। उस समय वह मुख्यमंत्री पद की दौड़ में भी माने जा रहे थे, लेकिन चुनाव के बीच उनके बेटे देवेंद्र प्रताप सिंह उर्फ रामू भैया के तीन ऐसे वीडियो इंटरनेट मीडिया पर बहुप्रसारित हो गए, जिसमें हजारों करोड़ रुपये के लेनदेन का जिक्र था। इन वीडियो ने नरेंद्र सिंह तोमर की छवि को नुकसान हुआ।
यह उपलब्धियां भी रहीं
- मुरैना के बैरियर चौराहा पर नेशनल हाईवे का ओवर ब्रिज बनवाया, जिससे शहर में ट्रैफिक जाम की समस्या का निदान हुआ।
- शहर में पेयजल व्यवस्था वर्ष 2050 तक सुनिश्चित करने के लिए चंबल नदी से पानी लाने की योजना स्वीकृत करवाई।
- श्योपुर और मुरैना में मेडिकल कॉलेज स्वीकृत करवाए, इनमें से श्योपुर में कालेज का काम प्रगति पर है।
- अंबाह-पोरसा की जर्जर सड़क को टू-लेन रोड बनवाया।
- सांसद निधि से लगभग 20 सड़कों का निर्माण शहरी क्षेत्र में करवाया।
- कोरोना महामारी के बीच फैक्ट्रियों व समाजसेवियों की सहायता से ऑक्सीजन प्लांट लगवाया।
- अंबाह व सबलगढ़ अस्पतालों में डेढ़-डेढ़ करोड़ रुपये की लागत से सीटी स्कैन मशीनें स्थापित हुईं।
- अंबाह में हॉर्टिकल्चर कॉलेज, दिमनी, रिठौरा और रजौधा में डिग्री कालेज स्वीकृत करवाए।
आदर्श गांव में पीने के पानी का भी संकट
सांसद रहते हुए नरेंद्र सिंह तोमर ने आदर्श गांव के रूप में विकसित करने मुरैना जनपद के पड़ावली गांव को गोद लिया था। इसी गांव को पूर्व सांसद अनूप मिश्रा ने भी गोद लिया था लेकिन दोनों सांसद 10 साल के कार्यकाल में इस गांव में ऐसा कोई आदर्श स्थापित नहीं कर पाए, जो जिले के 700 से ज्यादा गांवों के लिए उदाहरण बनता।
इस गांव की सबसे बड़ी समस्या पेयजल संकट की है। आधे से ज्यादा घरों को नलों से पानी ही नहीं मिलता। शिकायतें होती हैं तो बोरवेल से निकला खारा पानी सप्लाई कर दिया जाता है।
गांव में कंक्रीट की सड़कें हैं, लेकिन साफ-सफाई बदहाल है। सामुदायिक भवन बना है लेकिन इसमें शराबी व जुआरियों का जमावड़ा रहता है। बिजली संकट से जूझने वाले इस गांव में सौर ऊर्जा की लाइटें भी लगवाई गई लेकिन अधिकांश बंद व जर्जर पड़ी हैं।
ग्रामीणों की राय
सांसद बनने के बाद नरेंद्र सिंह तोमर ने 23 मार्च, 2015 को ग्रामीणों की बैठक ली, कई घोषणाएं की पर हुआ कुछ नहीं। पानी के लिए सांसद, विधायक व भोपाल तक शिकायत कर चुके हैं। कहने को यह आदर्श गांव है, लेकिन आवागमन तक की सुविधा नहीं है। अवैध शराब ठेका भी यहां चल रहा है।
पवन कुमार शर्मा, निवासी, पड़ावली
नरेंद्र सिंह तोमर की वजह से श्योपुर को कई योजनाएं मिली हैं। मेडिकल कॉलेज और ब्रॉडगेज रेल लाइन इसमें शामिल हैं। श्योपुर में बाढ़ के दौरान भी सांसद ने कई दौरे किए और शहर की जनता को आपदा से निकाला। वह लोगों के छोटे-छोटे कार्यक्रमों में भी शामिल होते हैं। इस कारण जनता से उनका सीधा जुड़ाव है।