मुरैना-सबलगढ़(नईदुनिया प्रतिनिधि)। सरसों बिक्री को लेकर मुरैना कृषि उपज मंडी में लगातार तीसरे दिन गुरुवार को भी हंगामा हुआ। सरसों के सही दाम नहीं मिलने के आरोप लगाते हुए किसानों ने हंगामा किया तो व्यापारियों ने खरीदी बंद कर दी। इसके बाद किसानों ने मंडी ऑफिस का घेराव कर दिया। हंगामे के कारण दो घंटे से ज्यादा समय तक मंडी में खरीदी बंद रही। उधर सबलगढ़ में व्यापारियों पर मनमानी के आरोप लगाकर किसानों ने एमएस रोड पर जाम लगा दिया।
मंगलवार, बुधवार की तरह गुरुवार को भी व्यापारियों पर सरसों के सही भाव नहीं लगाने के आरोप लगाते हुए किसानों ने हंगाामा कर दिया। किसानों का कहना है कि सरसों के भाव 5100 रुपये क्विंटल से ज्यादा चल रहे हैं, लेकिन व्यापारी एकजुट होकर सरसों के भाव 4500 से 4600 रुपये ही लगा रहे हैं। इसे लेकर करीब दो घंटे तक मंडी में किसानों का हंगामा चलता रहा। एसडीएम आरएस बाकना के सामने कुछ व्यापारियों ने बोली नहीं लगाने की बात कहते हुए कहा कि सरसों गीली है इसलिए भाव कम लगते हैं और इसी बात पर किसान भड़क जाते हैं और गालीगलौज व मारपीट पर उतारू हो जाते हैं। व्यापारियों का तर्क सुनकर एसडीएम ने दो टूक कहा कि व्यापारियों को बोली तो लगानी पड़ेगी, ऐसे मंडी बंद नहीं कर सकते। उन्होंने कहा व्यापारी को भाव लगाने की स्वतंत्रता है और किसान को अपनी उपज उस भाव में बेचने एवं न बेचने के लिए स्वतंत्र है। एसडीएम ने कहा कि व्यापारी उपज में नमी को नापने का यंत्र रखें, अंदाज से फसल को गीला बताने से किसान असंतुष्ट हो जाते हैं। दूसरी ओर किसानों का गुस्सा इसलिए बढ़ रहा है, क्योंकि तीन-तीन दिन बाद भी उनकी सरसों नहीं बिक रही। कई किसान एक हजार रुपये प्रतिदिन के भाड़े पर ट्रैक्टर-ट्राली को लाए हैं और दो से तीन दिन का भाड़ा अब तक सिर पर चढ़ चुका है।
व्यापारियों ने नहीं लगाई बोली, किसानों ने सड़क पर ट्रैक्टर रखकर लगाया जाम :
उधर सबलगढ़ कृषि उपज मंडी में हर दिन किसानों व व्यापारियों के बीच तल्खी देखी जा रही है। बुधवार को हुई घटना के बाद गुरुवार को किसी भी व्यापारी ने मंडी में बोली नहीं लगाई। उधर सैंकड़ों किसान अपने वाहनों में उपज लेकर मंडी पहुंच गए। बोली शुरू न होने पर आक्रोशित किसानों ने दोपहर 2 बजे अपने ट्रैक्टरों को सड़क पर रखकर राममंदिर चौराहा पर जाम लगा दिया। इस दौरान कांग्रेस के नेता भी इस जाम में पहुंच गए। लगभग एक घंटे तक यहां जमा लगा रहा है मौके पर एसडीएम अंकिता धाकरे पहुंची और मंडी सचिव से दो टूक कहा कि अगर नौकरी नहीं हो रही है तो इस्तीफा दे दो। एसडीएम ने कहा की सबलगढ़ मंडी में कितने व्यापारी लाइसेंस वाले हैं सभी को नोटिस जारी करें। जो व्यापारी काफी लंबे समय से व्यापार नहीं कर रहे हैं उनके लाइसेंस को निरस्त करने की कार्रवाई करेंगे। इस दौरान व्यापारियों ने कहा कि मंडी में किसानों के साथ आए लोगों द्वारा हंगामा किया जाता है। पल्लेदारों की मारपीट की जाती है। जिसके चलते पल्लेदार नहीं आ रहे हैं। इस पर एसडीएम ने एसडीओपी सबलगढ़ को पुलिस स्टाफ मंडी के समय भेजने के लिए कहा, साथ ही 5 पटवारियों की ड्यूटी लगाई एवं मंडी के इस्पेक्टरों की जिम्मेदारी भी दी कि वे पल्लेदारों को देखेंगे।
समर्थन से मंडी में भाव अच्छा, इसलिए भीड़ः
समर्थन मूल्य पर सरसों की खरीदी समय पर नहीं हो पाई, पहले 15 मार्च की तारीख तय की गई, जिसे बढ़ाकर अब 22 मार्च कर दिया गया है। कृषि मंडियों में किसानों की भीढ़ बढ़ने का दूसरा मुख्य कारण यह है कि मंडियों में सरसों के दाम समर्थन मूल्य से 500 से 606 रुपये क्विंटल तक ज्यादा मिल रहे हैं। इस बार सरसों का समर्थन मूल्य 4650 रुपये क्विंटल है, जबकि मंडी में सरसों के दाम 5200 रुपये क्विंटल तक पहुंच गया है। यही कारण है मंडी में किसानों की भीड़ लगातार बढ़ रही है और व्यापरियों को सरसों बेचने के लिए हंगामे हो रहे हैं।
गोलगप्पे के पानी से तीन दिन बासी पराठे : पुरवास गांव के किसान राजू, जो मंगलवार की सुबह सरसों को बेचने के लिए आए थे। तीन दिन पहले घर से जो पराठे व सब्जी लाए थे, उसमें से सब्जी गर्मी के कारण खराब हो गई। इसके बाद राजू ने मंडी में गोलगप्पे बेचने आए एक ठेले वाले से लोटे में मसाले का पानी लिया, इसी गोलगप्पे के पराठे और हरी मिर्च के साथ किसान ने दो पराठे खाए और फिर सरसों के बिकने का इंतजार करने लगा।
वर्जन
पहले मेरी सरसों का भाव 4900 रुपये क्विंटल लगाया। हंगामे के बाद व्यापारियों ने खरीद बंद करदी और दो घंटे बाद फिर बोली शुरू हुई तो उसी सरसों के दाम 4800 रुपये बताए। यह व्यापारियों की मानमानी नहीं तो और क्या है। अफसर दर्शक बनकर खड़ा रहते हैं।
दिलीप गुर्जर किसान तालपुरा
मंगलवार को सरसों लेकर आया था, उस दिन बोली नहीं लगी। बुधवार को व्यापारियों ने फिर बोली नहीं लगाई। आज तीसरा दिन है और आज भी नंबर आना मुश्किल लग रहा है। तीन दिन से एक हजार रुपये प्रतिदिन ट्रैक्टर का भाड़ा लग रहा है।
द्वारिका प्रसाद कुशवाह किसान, मुरैना गांव
तीन दिन से सरसों की ट्राली लेकर यहीं लाइन में लगे हैं। व्यापारी उल्टे सीधे दाम लगा रहे हैं। एक भी व्यापारी के पास नमी नापने का कोई यंत्र नहीं, सूखी सरसों को भी गीली बताकर उसे औने-पौने दाम में खरीद रहे हैं, मंडी प्रशासन कुछ तो करे।
मुरारीलाल शर्मा किसान, कुम्हेरी गांव
वर्जन--
व्यापारियों को भाव लगाने की आजादी है। व्यापारी उपज को देखकर जितने भी भाव लगाएं यह उनकी मर्जी है, हम इसमें कोई हस्तक्षेप नहीं कर सकते। व्यापारी जो बोली लगाता है उस पर किसान को उपज बेचनी है या नहीं इसके लिए किसान स्वतंत्र है। हम तो मंडी में किसानों को स्थान, सुविधाएं और व्यापरियों की बोली की व्यवस्था ही करवा सकते हैं।
शिवप्रताप सिंह सिकरवार
मंडी, सचिव