MP Election 2023: हरिओम गौड़, मुरैना। चंबल नदी के किनारे बीहड़ों के बीच बसा है नायकपुरा गांव। जैसा इस गांव का नाम है, वैसी ही यहां की ख्याति है। ये गांव मुरैना की राजनीति का सिरमौर है, क्योंकि इस गांव से अब तक छह विधायक बन चुके हैं। ग्वालियर-चंबल ही नहीं, बल्कि संभवत: मध्य प्रदेश का यह इकलौता गांव है, जहां के इतने निवासी विधायक बने हैं। पिछले चुनाव में इस गांव के दो नेता अलग-अलग सीटों से चुनाव जीतकर विधानसभा में पहुंचे थे।
मतदाताओं की संख्या लगभग 1140
जिला मुख्यालय से 27 किलोमीटर दूर बसे नायकपुरा गांव में मतदाताओं की संख्या लगभग 1140 है। गांव अब कई छोटे-मजरों में बदल गया है, जिनकी आबादी लगभग 2000 के करीब है। इस गांव ने तत्कालीन मध्य भारत प्रदेश के पहले विधानसभा चुनाव (वर्ष 1951) में ही विधायक दे दिया था।
पहली विधानसभा के लिए कंषाना विधायक बने
पहली विधानसभा के लिए गांव के सोवरन सिंह कंषाना विधायक चुने गए थे। इसके बाद 16 विधानसभा चुनावों में नायकपुरा का कोई न कोई नेता किसी न किसी विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ता रहा है। वर्ष 2018 के चुनाव में इस गांव के दो नेता एदल सिंह कंषाना (सुमावली विस से) और रघुराज सिंह कंषाना (मुरैना विस से) एक साथ विधायक बने थे।
कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए
रोचक यह भी है कि ये दोनों ही कांग्रेस छोड़कर अब भाजपा सरकार में कैबिनेट दर्जा प्राप्त मंत्री हैं। नायकपुरा गांव में मढ़वाली माता का एक प्राचीन मंदिर है। लोगों की मान्यता है, कि गांव की कुलदेवी के वरदान से ही गांव का एक व्यक्ति हर समय ऊंचे पद पर व शासन में भागीदार रहता है।
ये नेता पहुंचे सदन तक