नईदुनिया प्रतिनिधि, मुरैना: लगातार हो रही तेज बारिश, राजस्थान के डैमों से छोड़े गए पानी और पार्वती, सीप जैसी नदियों के पानी के कारण चंबल नदी रौद्र रूप में आ गई है। मुरैना में चंबल खतरे के निशान से तीन मीटर ऊपर बह रही है। चंबल किनारे के 91 गांव बाढ़ की चपेट में हैं। कई गांव टापू बन गए हैं। पांच मझरे-टोले डूब में आ गए, ऐसे में प्रशासन व आपदा प्रबंधन की टीमें बुधवार तड़के से रेस्क्यू में जुट गए और सैकड़ों ग्रामीणों को निकालकर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है।
चंबल नदी के राजघाट पर खतरे का निशान 138 मीटर हैं, बुधवार की दोपहर तीन बजे यहां जलस्तर 141 मीटर तक पहुंच गया। वहीं अंबाह के उसैद घाट पर चंबल नदी का खतरे का निशान पांच मीटर नीचे डूब गया है। दो दिन से चंबल नदी उफन रही है और तभी से प्रशासन की टीमें गांव-गांव में मुनादी करवा रही हैं। इसके बाद भी कई गांवों के लोग चंबल के डूब में आने वाले इलाकों को छोड़कर सुरक्षित स्थानों पर नहीं पहुंचे। बुधवार की सुबह चंबल की बाढ़ से अंबाह तहसील के बीलपुर के मझरा घेर, मल्हन का पुरा, कंचन का पुरा, छैकुरियन का पुरा और कुथियाना ग्राम पंचायत के रामप्रकाश का पुरा को खाली करवाया गया।
इन पांचों गांवों के 119 परिवारों के 310 सदस्यों को मोटरवोटों से निकालकर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है। दर्जनों परिवार पहले ही गांव खाली कर रिश्तेदारों के यहां पहुंच गए हैं। उधर सबलगढ़ तहसील का रायडी-रायधेन गांव चंबल की बाढ़ से घिर गया, यहां से गर्भवती महिलाओं सहित दर्जनों लोगों का रेस्क्यू किया गया। देवगढ़ क्षेत्र का गया का पूरा डूब में आ गया, बरवासिन गांव की कुछ बस्ती डूब में आ गई। इन गांवों में भी एसडीईआरएफ की टीमों को रेस्क्यू करना पड़ा।
चिन्नौनी क्षेत्र के भी तीन गांव चंबल नदी की बाढ़ में घिर गए हैं, वहां भी देर शाम तक आपदा प्रबंधन की टीमें रेस्क्यू में जुटी रहीं। जिला प्रशासन के अनुसार बाढ़ की चपेट में आए 91 गांव के लोगों के लिए प्रशासन ने 64 राहत शिविर बनाए हैं, इनमें से तीन राहत शिविर बुधवार से शुरू कर दिए गए। कलेक्टर अंकित अस्थाना बुधवार को दिनभर चंबल किनारों के गांवों में हालात जानते रहे, उन्होंने बाढ़ प्रभावित कई गांवों का दौरा किया।
चंबल नदी में दो दिन पहले कोटा बैराज डैम से 12 गेट खोलकर 2.90 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया, जिसका असर मुरैना क्षेत्र में 24 घंटे बाद दिखाई दिया। कोटा डैम के बाद राजस्थान की बड़ौद तहसील क्षेत्र में कालीसिंध नदी पर नवनिर्मित नौनेरा बांध, जिसे पहली बार भरा गया, उसके भी 27 गेट खोलकर लाखों क्यूसेक पानी छोड़ा गया। मंगलवार-बुधवार की रात में कोटा बैराज डैम के दो गेट फिर से खोल दिए गए, जिनसे 15783 क्यूसेक पानी चंबल में छोड़ा जा रहा है। कोटा बैराज व नौनेरा बांध के अलावा राजस्थान की कुल सात नदियों का पानी चंबल में आ रहा है। इनके साथ-साथ पार्वती और सीप जैसी कई नदियों का पानी भी चंबल में आ रहा है। पार्वती नदी श्योपुर-बड़ौदा क्षेत्र में विकराल रूप में हैं, जो खतरे के निशान से 20 मीटर ऊपर बह रही है। सीप नदी भी खतरे के निशान से ऊपर बह रही है। इतनी भारी मात्रा में आ रहे पानी के चंबल विकराल रूप में आ गई है।
चंबल, क्वारी और आसन जैसी मुख्य नदियों के अलावा बरसाती नदी-नाले भी उफान पर हैं। इनके कारण जिलेभर में 25 से अधिक रपटे पुलिया डूबे हुए हैं। रामपुर क्षेत्र में गोबरा क्षेत्र का रास्ता-पुलिया डूबने से 20 गांवों का आवागमन ठप हो गया है। बामसौली-बातेड़ के रपटे पर पांच फीट से ज्यादा पानी चल रहा है, जिससे 15 गांवों का संपर्क कट गया है। क्वारी नदी के उफान में बागचीनी व भैंसरोली के दोनों रपटे डूबे हैं। दिमनी में बीलपुर, कुथियाना, पलपुरा, भटपुरा, कोंथर गांव के रपटे डूबे हुए हैं।
आसन नदी की बाढ़ में हटूपुरा व घुरैया बसई के रपटे कई दिन से डूबे हुए हैं। इन दोनों रपटों से 20 से अधिक गांवों का सीधा संपर्क कट गया है, लोग कमर तक गहरे तेज बहाव से रपटा पार कर रहे हैं। इन नदियों की बाढ़ के कारण हजारों बीघा फसलें डूब में आ गई हैं। खेतों में दस-दस फीट तक पानी भर गया है।
लगातार बारिश से जिले की दोनों प्रमुख नदियां आसन और क्वारी नदी का जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है। दोनों नदियां खतरे के निशान की ओर बढ़ रही हैं। क्वारी नदी का जलस्तर नेपरी घाट पर 178.500 मीटर पहुंच गया, यहां खतरे का निशान 179.500 मीटर है। यानी खतरे के निशान से एक मीटर नीचे। बागचीनी में भी क्वारी नदी खतरे के निशान से एक मीटर नीचे बह रह है। उधर आसन नदी का जलस्तर जरेना घाट पर 172.10 मीटर पहुंच गया है, यहां खतरे का निशान 173.10 मीटर पर है। नदियों के अलावा जिले के तीनों डैम पगारा बांध, कोतवाल बांध और पिलुआ बांध भी क्षमता से अधिक भरे हुए हैं।
करीब तीन दशक बाद चंबल अंचल में जून और जुलाई में इतनी बारिश हुई है, कि औसत बारिश का आंकड़ा मानसून सीजन के डेढ़ महीने में ही पूरा हो चला है। जिले की औसत बारिश 706.9 मिलीमीटर है और बुधवार दोपहर तक बारिश का आंकड़ा 685.7 मिलीमीटर पहुंच गया है। यानी औसत बारिश के आंकड़े से करीब 21 मिलीमीटर कम है। बुधवार दोपहर से कई क्षेत्रों में तेज बारिश हुई, इससे जुलाई के अंतिम दिन गुरुवार को औसत बारिश का आंकड़ा पार हो जाएगा।
बीते साल 30 जुलाई तक 313.5 मिलीमीटर बारिश हुई थी। इस साल सबसे अधिक बारिश मुरैना तहसील क्षेत्र में हो रही है, जहां बारिश का आंकड़ा 885.2 मिमी पहुंच गया है। सबलगढ़ में 753, जौरा में 738, पोरसा में 720, कैलारस में 551 और अंबाह तहसील में सबसे कम 466.8 मिलीमीटर वर्षा दर्ज की गई है। बीते 24 घंटे में सबलगढ में 34, जौरा में 31, अंबाह में 18, मुरैना में 17, पोरसा-कैलारस में आठ-आठ एमएम बारिश हुई है।